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Friday, August 9, 2013

राष्ट्रद्रोह में फंसाने की धमकी देकर खत्म कराया आंदोलन !


  • राष्ट्रद्रोह में फंसाने की धमकी देकर खत्म कराया आंदोलन ! 
    (खबर आभार : राष्ट्रीय सहारा दिनांक 07-08-2013)

    नौसिखिए डॉक्टरों द्वारा किए गए आपरेशन में नवजात की मौत और महिला का गर्भाशय निकालने के खिलाफ चल रहा आंदोलन तो समाप्त हो गया है, लेकिन उसके बाद कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं । इससे जिम्मेदार डॉक्टरों, एसटीएच प्रशासन, कुछ नेताओं और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत भी सामने आयी है । यह भी साफ हो गया है कि आंदोलन को अलोकतांत्रिक तरीके से खत्म कराया गया । नेतृत्व करने वाले को माओवादियों से संबंध और राष्ट्रद्रोह के मामले में फंसाने की धमकी दी गई । यह खुलासा आंदोलन समाप्ति के बाद राष्ट्रीय सहारा को मिले एक ऑडियो से हुआ है । 

    गौरतलब है कि 8 जुलाई को डा. सुशीला तिवारी राजकीय अस्पताल में एक आपरेशन के दौरान नवजात की मौत हो गई थी । बाद में महिला का दूसरा ऑपरेशन कर गर्भाशय ही निकाल दिया गया । पीड़ित पक्ष शुरू से ही इलाज में लापरवाही का आरोप लगा रहा था। आरोप है कि सीनियर रेंजीडेंट की अनुपस्थिति में कुछ परास्नातक मेडिकल छात्रों ने ऑपरेशन किया जबकि इससे चंद घंटे पहले परिजनों को सामान्य प्रसव की बात कही गई थी । इस घटना के बाद परिजनों के लगातार विरोध को देखते हुए मेडिकल कालेज प्राचार्य ने जांच कमेटी गठित कर दस दिन के भीतर जांच कर कार्रवाई का भरोसा दिया गया था । लेकिन माह के अंत तक जांच पूरी नहीं हुई तो पीड़ित पक्ष ने अस्पताल परिसर में धरना शुरू कर दिया । तीसरे दिन धरना क्रमिक अनशन में तब्दील हो गया । इस बीच भारी दबाव के बीच पुलिस प्रशासन ने अनशनकारियों को अस्पताल से खदेड़ दिया तो अनशन अस्पताल गेट के समक्ष शुरू हो गया । सोमवार को एसएसपी डा. सदानंद दाते के नेतृत्व में अचानक भारी पुलिस फोर्स अस्पताल पहुंचा और अनशनकारियों का टेंट उखाड़ फेंका । पुलिस अनशनकारियों पर आंदोलन वापस लेने का दबाव बनाने लगी और नेतृत्वकर्ता व पीड़ित परिजनों को हिरासत में ले लिया। बाद में सभी को अलग-अलग कमरों में बंद कर दिया गया । 

    आरोप है कि पुलिस अधिकारियों ने पीड़ित परिजनों से मारपीट भी की । इस बीच नेतृत्वकर्ता सुशील को वार्ता के लिए जबरन बुलाया गया । फिर एक बंद कमरे में एसएसपी समेत तमाम पुलिस प्रशासनिक अधिकारी और अस्पताल प्रबंधन की कथित वार्ता हुई । वार्ता के बाद अधिकारियों ने सौहार्दपूर्ण बातचीत और समझौते के बाद आंदोलन वापस होने का दावा किया था । इस बीच प्राचार्य ने सीनियर रेजीडेंट का कार्यकाल समाप्त कर दिया और मेडिकल छात्रों को नोटिस जारी किये गये । सीनियर कंसल्टेंट को भी अंतिम जांच रिपोर्ट तक प्राचार्य कार्यालय से सम्बद्ध कर लिया गया जबकि जांच रिपोर्ट अंतिम निर्णय के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग को अग्रसारित कर दी गई । अस्पताल प्रशासन ने आंदोलनकारियों की 24 घंटा सीनियर रेजीडेंट की तैनाती की मांग भी मान ली गई । हालांकि पीड़ित महिला को सेरोगेसी, मुआवजा देने और दोषी डॉक्टर्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग पर सहमति नहीं बन पाई । वार्ता के बाद आंदोलन का नेतृत्व क र रहे सुशील ने जनहित में आंदोलन वापस लेने का ऐलान किया । मंगलवार को राष्ट्रीय सहारा को बंद कमरे में हुई बातचीत का ऑडियो रिकार्ड मिला है । 

    इससे साफ हो रहा है कि बंद कमरे में वार्ता के नाम पर एक लोकतांत्रिक आंदोलन का कैसे दमन किया गया । इस रिकार्डिग से दोषी डाक्टरों, एसटीएच प्रशासन, कुछ नेताओं और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत का भी पर्दाफाश हो गया है । रिकार्डिग में एसएसपी साफ कहते सुने जा रहे हैं कि आंदोलन वापस नहीं लिया तो मैं तुम्हें (सुशील भट्ट) को माओवादी बहादुर सिंह जंगी के समर्थन में अंदर कर दूंगा । कप्तान साहब का साफ इशारा राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के मामले में फंसा देने का था । इतना ही नहीं बंद कमरे में एसटीएच के एमएस कर्नल एके तिवारी की ओर से सुशील के खिलाफ अस्पताल में अव्यवस्था फैलाने समेत कई आरोप लगाते हुए तहरीर भी लिखवायी गयी । एसएसपी ने इस कथित तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार करने की धमकी भी दी । सुशील से उसके परिजनों के खिलाफ कार्रवाई की बात भी कही गई । एसएसपी यह भी कहते सुने गए कि तुम्हारे कुछ नेता ही आंदोलन के पक्ष में नहीं हैं । उन्होंने नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट और पूर्व काबीना मंत्री व कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत का नाम लेते हुए कहा कि ऐसे में तुम क्यों अड़े हो । सुशील का पहले मीडिया को दिया गया बयान भी इस कथन की तस्दीक कर रहा है । सुशील ने पूर्व में कहा था कि कुछ भाजपा नेता उस पर आंदोलन खत्म करने का दबाव बना रहे हैं । प्राचार्य ने सुशील से कहा कि कल (मंगलवार) से अस्पताल के सारे डॉक्टर इलाज ठप कर देंगे और हड़ताल पर चले जाएंगे । इससे सैकड़ों मरीजों की जान पर बन आएगी । इस तरह आंदोलन खत्म करने के लिए सुशील पर पुलिस प्रशासन ने तमाम तरह के हथकंडे अपनाए और धमकाने, दबाव बनाने, बलप्रयोग के बाद आंदोलन को भावनात्मक रूप से भी तोड़ दिया गया । इस रिकार्डिग की बाबत एसएसपी से बातचीत का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नही हो पाया ।

    एसटीएच में नवजात की मौत व गर्भाशय निकालने का मामला राष्ट्रीय सहारा को मिली ऑडियो रिकार्डिग में सनसनीखेज खुलासा एसएसपी बोले -आंदोलन वापस लो नहीं तो माओवाद में अंदर कर दूंगा धमकी, बलप्रयोग, भावनात्मक दबाव से किया लोकतांत्रिक आंदोलन का दमन l — with Rajiv Lochan Sah and 19 others.

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