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Friday, August 9, 2013

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद धर्मतल्ला से बस अड्डा हट नहीं रहा!

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद धर्मतल्ला से बस अड्डा हट नहीं रहा!


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​




कोलकाता में प्रदूषण की समस्या भयानक है। महानगर की भीड़ को ढीली किये बिना इस समस्या का कोई हल नहीं है। मध्य कोलकाता में निकासी समस्या सबसे भयंकर है। थोड़ी सी बारिश हुई नहीं कि हर रास्ते पर समुंदर। मध्य कोलकाता में ट्राफिक कभी खुला हुआ मिलना मुश्किल है। इस समस्या के मद्देनजर सुप्राम कोर्ट ने धर्मतल्ला बस अड्डा को हटाने का आदेश दिया हुआ है,जिस पर अमल हो नहीं रहा है।


सुप्रीम कोर्ट का साफ आदेश है कि धरर्मतल्ला से बस अड्डा हटाना ही होगा। लेकिन राज्य सरकार ने अभीतक इस दिशा में कोई पहल की ही नहीं है।मैदान की हरियाली के विध्वंस पर 1950 में धर्मतल्ला का जो बस अड्डा बना.वहीं से महानगर से यात्रा शुरु होती है महानगर के दूसरे हिस्सों की तरह दूर दराज के गंतव्य के लिए।


जाहिर है कि यह बस अड्डा बहुत महत्वपूर्ण होने के साथ इतने वर्षों में विराटाकार भी हो गया है। उसे स्थानांतरित करना कोई बांए हाथ का खेल भी नहीं है और न कोई जादू से यह संभव है।यात्रियों को असुविधा नहीं हो ,पहले ऐसी जगह का चुनाव करना है और फिर वहां जमीन का इंतजाम करके उपयुक्त ढांचा भी तैयार करना है। पिरवहन समस्या कोलकाता और उपनगरों में बहुत तेजी से जटिल और असंभव होती जा रही है।राज्य सरकार के पास इन हालात से निपटने के लिए पर्याप्त कोष है ही नहीं।आर्थिक बदहाली के आलम में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार के लिए इस सिलसिले कुछ कर पाना निहायत ही असंभव लग रहा है।


कोलकाता महानगर केफेफड़े के बतौर परिचित मैदान के 27 लाख वर्गमीटर इलाके की बीस प्रतिशत जमीन पर धर्मतल्ला बस अड्डा है,जो पर्यावरण के लिए खतरे की घंटी है। इसके अलावा इतने बड़े बस अड्डे की मौजूदगी में मध्य कोलकाता में अबाध ट्राफिक भी असंभव है। अभियोग है कि इसी बस अड्डे के कारण विक्टोरिया मेमोरियल पर भी प्रदूषण का असर है,जो महानगर की विरासत है।


28 सितंबर ,2007 को कोलकाता हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि इस बस अड्डे को न्यू टाउन या विद्यासागर सेतु के नीचे स्थानांतरित कर दिया जाये।इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। लंबी सुनवाई के बाद 12 सितंबर,2011 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्टके आदेश को बहाल करते हुए बस अड्डे के स्थानांतरण का आदेश जारी कर दिया।हाई कोर्ट ने छह महीने की मोहलत दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने राहत यह दी कि बस अड्डे के स्थानांतरण की समयसीमा हटा दी।अब गेंद राज्य सरकार के पाले में है।


गौरतलब है कि धर्मतल्ला बस अड्डे से रोजाना तीन हजार बसें रवाना होती हैं और इस बसअड्डे को घेरे हुए हैं 133 छोटे बड़े होटल।यह सियालदह,हावड़ा और डलहौसी के मध्य में हैं और इसलिए न बस मालिक और यात्री इसे हटाये जैने के पक्ष में हैं।बस अड्डा हटा तो नित्ययात्राओं को अपना रोजमर्रे का यातायात रुटीन ही बदलना पड़ेगा।जाहिर है कि राज्य सरकार हड़बड़ में कोई बड़ी गड़बड़ के लिए कतई तैयार नहीं है।

 

 



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