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Saturday, August 24, 2013

गैलिलियो नरेंद्र दाभोलकर की निर्मम हत्या के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन में कोलकाता भी शामिल

गैलिलियो नरेंद्र दाभोलकर की निर्मम हत्या के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन में कोलकाता भी शामिल


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


आधुनिक भारत के गैलिलियो नरेंद्र दाभोलकर की निर्मम हत्या के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन में कोलकाता भी शामिल हो गया।तमाम जनसंगठनों ने सोशल नेटवर्किंग के मार्फत लोगो से कालेज स्क्वायर में जमा होकर जुलूस निकालने की अपील कर रहे हैं।इसी बीच फश्चिमबंग विज्ञान मंच की ओर से अकादमी आफ फाइन आर्ट्स में एक प्रतिवाद सभा का आयोजन भी हो गया।जिसमें हाजिर हुए कोलकाता के विशिष्ट विद्वतजन।सभा में हुई चर्चा में सहमति हुई कि  डॉ.दाभोलकर की साजिशाना हत्‍या से जाहि़र होता है कि देश में अंधश्रद्धा, धर्मांधता, अंधराष्‍ट्रवाद, सांप्रदायिक राष्‍ट्रवाद और अंधअर्थवाद का खतरनाक गठजोड़ कायम हो र‍हा है। निहित स्‍वार्थी तत्‍व विवेकवादी आवाजों को दबाने में तत्‍पर हैं। इसके खिलाफ कानून को अपना कर्तव्‍य तत्‍तरता से अंजाम देना चाहिए तभी अंधश्रद्धामूलक और धर्मांध शक्तियों को रोका जा सकेगा।, डॉ दाभोलकर पहले व्यक्ति हैं, जो पुनरुत्थानवादी-सांप्रदायिक तत्वों के हाथों शहीद हुये हैं।


महाराष्ट्र सरकार अब दाबोलकर की शहादत के बाद अध्यादेश लाने की बात कर रही है। यह काम तो पिछले आठ सालों में कभी भी हो जाना चाहिए था।क्योंकि 2005 में महाराष्ट्र विधान सभा ने जिस अंधविश्वास-पाखंड-प्रसार विधेयक को पारित कर दिया था।


गौरतलब है कि महाराष्ट्र के जाने माने समाजसेवी डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की पुणे में 20 अगस्त को गोली मारकर हत्या कर दी गई है। दाभोलकर अंधविश्वास निर्मूलन समिति के अध्यक्ष और संस्थापक भी थे। दाभोलकर को बदमाशों ने उस वक्त गोली मारी जब वह सुबह टहलने निकले थे।डॉ. दाभोलकर अंधश्रद्धा निर्मूलन बिल पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले थे। महाराष्ट्र सरकार जल्द ही इस पर बिल लाने वाली है। हमलावरों की उम्र 25 से 26 साल बताई जा रही है।नरेंद्र दाभोलकर महाराष्ट्र की मशहूर मैगजीन साधना के 16 साल से संपादक थे। डॉ दाभोलकर जो अभियान चलाये हुये थे, उसके निहितार्थों को ढँग से समझा जाये, तो यह साफ़ हो जायेगा कि वह वैज्ञानिक सोच विकसित करने और पाखण्ड पर चोट करने सम्बंधी संवैधानिक दायित्वों का ही निर्वाह कर रहे थे।





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