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Friday, April 5, 2013

फर्जी मुठभेड़: तीन पुलिसकर्मियों को फांसी, पांच को उम्रकैद

फर्जी मुठभेड़: तीन पुलिसकर्मियों को फांसी, पांच को उम्रकैद

Friday, 05 April 2013 15:59

लखनऊ। सीबीआई की विशेष अदालत ने उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में 31 साल पहले हुए फर्जी मुठभेड़ कांड मामले में दोषी ठहराये गये तीन पुलिसकर्मियों को फांसी तथा पांच अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई। 
फांसी की सजा पाये तीनों पुलिसकर्मी पुलिस उपाधीक्षक के. पी. सिंह तथा 12 अन्य लोगों की फर्जी मुठभेड़ दिखाकर हत्या करने के दोषी पाये गये।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक 12 मार्च 1982 में गोंडा जिले के कटराबाजार थाना क्षेत्र के माधवपुर गांव में दो पक्षों की रंजिश भड़कने की आशंका के मद्देनजर मौके पर पहुंचे तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक के. पी. सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। इस हत्या की साजिश कौड़िया के तत्कालीन थानाध्यक्ष आर. बी. सरोज, तत्कालीन मुख्य कांस्टेबल राम नायक पाण्डेय तथा सिपाही राम करन ने रची थी।
इसके बाद पुलिसकर्मियों ने माधवपुर पहुंचकर 12 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने इसे मुठभेड़ का नाम दिया था। के. पी. सिंह की पत्नी विभा सिंह ने बाद में संदेह होने पर उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी। अदालत के आदेश पर मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गयी थी।

सीबीआई की जांच में मुठभेड़ को फर्जी पाया गया था। इस मामले में कुल 19 पुलिसकर्मियों के खिलाफ सीबीआई ने आरोपपत्र दाखिल किया था जिसमें पुलिस उपाधीक्षक केपी सिंह समेत 13 लोगों की फर्जी मुठभेड़ में हत्या करने के आरोप थे। आरोपी पुलिसकर्मियों में से 10 की मुकदमा विचारण के दौरान मृत्यु हो गयी थी।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश राजेंद्र सिंह ने गत 29 मार्च को दोनों पक्षों को सुनने के बाद कौड़िया के तत्कालीन थानाध्यक्ष आर. बी. सरोज, पीएसी कमाण्डर रमाकान्त दीक्षित, दरोगा नसीम अहमद, मंगल सिंह, परवेज हुसैन, राजेन््रद प्रसाद सिंह, हेड कांस्टेबल राम नायक पाण्डेय तथा कांस्टेबल रामकरन को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाने की तारीख पांच अप्रैल मुकर्रर की थी। 
एक आरोपी पुलिसकर्मी प्रेम सिंह रैकवार को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया था।
अदालत ने आज सजा सुनाते हुए आर. बी. सरोज, राम नायक तथा राम करन को फांसी तथा बाकी दोषी करार पांच पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई।

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