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Jyoti basu is dead

Dr.B.R.Ambedkar

Sunday, June 8, 2014

बंगाल में संघ परिवार का धावा जबकि कुणाल घोष ने शारदा फर्जीवाड़े में ममता को लाभ लेने वालों में अव्वल बताकर सीबीआई को चिट्ठी लिख दी और अब मिथून चक्रवर्ती भी लपेटे में।

बंगाल में संघ परिवार का धावा जबकि कुणाल घोष ने शारदा फर्जीवाड़े में ममता को लाभ लेने वालों में अव्वल बताकर सीबीआई को चिट्ठी लिख दी और अब मिथून चक्रवर्ती भी लपेटे में।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

সারদায় প্রভাবশালী কারা, খুঁজবে সিবিআই

সারদা কেলেঙ্কারিতে সিবিআই তদন্তের অভিমুখ কী হবে, সুপ্রিম কোর্টই তা কার্যত বেঁধে দিয়েছিল। এবং সেই অভিমুখকে ভিত্তি করেই এফআইআর দায়ের করল সিবিআই। সারদা-কাণ্ডে কারা লাভবান হল, তা নিয়ে রাজ্য পুলিশ (সিট) কোনও তদন্ত করেছে কি? মামলাটি সিবিআইয়ের হাতে দেওয়ার আগে রাজ্যের কৌঁসুলিদের কাছে তা জানতে চেয়েছিল শীর্ষ আদালত। সিবিআইয়ের এফআইআরে ইঙ্গিত, 'লাভবানদের' খুঁজে বার করার চেষ্টা তারা চালাবে।

শিবাজী দে সরকার

০৭ জুন, ২০১৪

কুণালকে চলতি মাসেই ডাকছে সারদা কমিশন

বারবার নিজের বক্তব্য জানাতে চেয়েছেন জেলবন্দি তৃণমূল সাংসদ কুণাল ঘোষ। কথা বলার সুযোগ দেওয়া হচ্ছে না বলে অভিযোগও তুলেছেন। অবশেষে তাঁকে ডেকে পাঠানো হচ্ছে সারদা কমিশনে। সারদা গোষ্ঠীর আর্থিক তছরুপে ক্ষতিগ্রস্তদের টাকা ফিরিয়ে দেওয়ার জন্য বিচারপতি শ্যামলকুমার সেনকে শীর্ষে রেখে কমিশন গড়েছে রাজ্য সরকার।

অনুপ চট্টোপাধ্যায়

০৭ জুন, ২০১৪


বিজেপির নয়া অস্ত্র চক্রান্তের অভিযোগ

রাজ্যের বিভিন্ন জায়গায় তাঁদের সঙ্গে শাসক দল তৃণমূলের সংঘর্ষ যখন নিত্যকার ঘটনা, তখন চাঞ্চল্যকর অভিযোগ আনলেন বিজেপির রাজ্য সভাপতি রাহুল সিংহ। তাঁর দাবি, কেন্দ্রের মোদী সরকারকে বেকায়দায় ফেলতে তৃণমূল বাংলায় অশান্তি ও অস্থিরতা তৈরির চেষ্টা করছে। এমন একটা দিনে তিনি দাবি করেছেন, যে দিন বীরভূমের ইলামবাজারে বিজেপির এক সমর্থক খুন হয়েছেন। সেই ঘটনায় অভিযোগ তৃণমূল আশ্রিত দুষ্কৃতীদের বিরুদ্ধেই।


http://www.anandabazar.com/


बंगाल के लिए,वामपंथियों ,काग्रेस और खासतौर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए खतरे की घंटिय़ां टनटनाने लगी है।जबकि शारदा फर्जीवाड़े मामले में सीबीआई जांच शुरु होते न होते इस बहुचर्चित घोटाले में ईमानदारी के अन्ना सर्टिफिकेट धारक उजली छवि की मुख्यमंत्री को शारदा फर्जावाड़े में लाभ पाना वाले लोगों में अव्वल बताकर सीधे सीबीआई को जेल से विस्पोटक पत्र लिखा है कुनाल घोष ने और इस चिट्ठी में लिखे आरोपों का खुलासा आनंद बाजार पत्रिका से लेकर टीवी चैनल 24 घंटा ने भी कर दिया है।इसी बीच,पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एम.के. नारायणन ने शनिवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की। करीब एक घंटे तक बंगाल के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई।आरोप है कि बंगाल के नेता शारदा के मालिक सुदीप्तो से आठ सौ करोड़ वसूल कर चुके हैं।


हालांकि इसी बीच शारदा चिटफंड घोटाले या किसी भी आरोपी का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा, कोई भी मुझसे ज्यादा कार्रवाई नहीं करता। अगर लोग मेरी पार्टी के भी हैं तो मैं कार्रवाई करती हूं चाहे वे मेरे सांसद, विधायक या पार्षद ही क्यों नहीं हों।लेकिन इस फर्जीवाड़े में दीदी खुद और उनके परिजन फंसे हुए हैं।लोकसभा चुनाव के दौरान कोलकाता में पानी के मोल बेशकीमती जमीन खरीद लेने के जो आरोप माकपा नेता गौतम देव ने लगाये,उसके जवाब में तो सत्तादल ने इस खरीददारे के एवज में चैक्स चुका देने की सफाई भर दी है।यह मामला भी नये सिरे से कभी भी दीदी के लिए सरदर्द बन सकता है।दीदी ने खुद कहा था कि मां की मृत्यु के बाद वे एक्ली रहती हैं और उनका कोई परिवार नहीं है।इसके विपरीत उन्होंने अपने छब्बीस वर्षीय भतीजे को संसद में भेजकर कुनबापरस्ती का नमूना भी पेश कर दिया।



बहरहाल शारदा फर्जीवाड़े मामले में उनके मंत्री मदन मित्र,सांसद मुकुल राय,शताब्दी राय,कुणाल घोष,अर्पिता राय और अब मिथून चक्रवर्ती समेत पार्टी के अनेक नेता आरोपों के घेरे में है और दीदी इन सबका बचाव करती रही हैं जबकि टेट घोटाले के मद्देनजर शिक्षा मंत्री ब्रात्यबसु को हटाकर अपने भतीजे को जिताने के पुरस्कार बतौर हाशिये पर फेंके गये पार्थ चटर्जी को शिक्षा मंत्री बना दिया।


शारदा समूह की कंपनी के ढहने से उपजे असंतोष के बादल अभी छटे भी नहीं थे कि पश्चिम बंगाल की एक और कंपनी विवादों के दायरे में फंसती नजर आ रही है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मंगलम एग्रो प्रोडक्ट लि. (एमएपीएल) की जांच करने का आदेश दिया। कंपनी पर लोगों से अनधिकृत रूप से पैसे वसूलने का आरोप है। कंपनी के निवेशकों की धन वापसी संबंधी एक अर्जी पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एन. पाथेर्या ने कंपनी के वित्तीय लेन-देन पर रोक लगाने के भी आदेश दिए हैं।


अब इस कांड में तृणमूल से हाल में राज्यसभा सांसद बने और लोकसभा चुनावों में राज्यभर के दीदी के सफरसंगी मुख्य प्रचारक फिल्म स्टार मिथुन चक्रवर्ती का नाम भी जुड़ गया है,दक्षिण 24 परगना के बारुईपुर में पहलीबार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शीर्ष पदाधिकारी मोहन भागवत की सार्वजनिक सभा हो गयी,जिसमें तमाम भाजपाई शामिल हुए।


शारदा चिटफंड घोटाले में अभिनेता और तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य मिथुन चक्रवर्ती का नाम भी सामने आ रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के जांच अधिकारी अगले सप्ताह मिथुन को तलब करने की तैयारी में हैं। सूत्रों के मुताबिक जांच में पता चला है कि मिथुन ने शारदा कंपनी से दो करोड़ रुपये का चेक लिया था।

चेक किस कार्य के एवज में दिया गया था, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है। लिहाजा ईडी उनसे पूछताछ करने की तैयारी में है। शारदा प्रमुख सुदीप्त सेन ने सीबीआई को जो पत्र लिखा था उसमें प्रभावशाली लोगों में मिथुन चक्रवर्ती का भी जिक्र है। पत्र में लिखा गया था कि शारदा के एक टीवी चैनल के साथ मिथुन का संपर्क था। सुदीप्त और सांसद कुणाल घोष मिथुन को प्रति महीने 20 लाख रुपये देकर अपनी कंपनी का ब्रांड एंबेसडर बनाना चाहते थे। मिथुन ने उनके एक शो में शिरकत की थी। घोटाले के सामने आने पर मिथुन ने आरोप लगाया था कि शारदा के पास उनके कुछ रुपये बाकी हैं।

चुनौतियां अनेक


इसी बीच संदेश खाली की तर्ज पर भाजपा प्रतिनिधिमंडल वीरभूम जिले के कुनूरगांव मे भी पहुंच रहा है।इस भाजपाई गांव पर तृणमूली हमले में अल्पसंख्यक समुदाय का एक भाजपा समर्थक मारा गया है और वहां हालात बेहद तनावपूर्ण है जबकि गांव में सुरक्षाबलों के जवान गश्त लगा रहे हैं।


एक मुश्त कांग्रेस और वामदलों के जनाधार में सेंध लगाने के बाद संघ परिवार का लक्ष्य अब दीदी का जनाधार है और इस सिलसिले में शारदा कांड का इस्तेमाल होना है।


उधर साल भर बाद भी बलात्कार के बाद मार दी गयी कालेज छात्रा के लिए न्याय न मिलने से हताश कामदुनी के आंदोलनकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दरवाजे पर दस्तक देने का ऐलान कर चुके हैं।खबर है कि मिथुन चक्रवर्ती से भी सीबीआई पूछताछ करने वाली है।


सबसे अहम बात तो यह है कि शारदा फर्जीवाड़े का फायदा उठानेवालों को सीबीआई चुन चुनकर घेर रही है और कुनाल घोष रेडीमेड गवाह है जिसने कहा है कि बड़े नेताओं के हित साधने केलिए ङी जानबूझकर शारदा को फेल कर दिया गया और तमाम निवेशक सड़क पर आ गये।खास बात यह भी है कि  केंद्रीय एजेंसियां सतर्कता निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो शारदा चिटफंड घोटाले की जांच में एक..दूसरे से सहयोग करेंगी, हालांकि वे स्वतंत्र रुप से जांच करेंगी।


रिकार्ड सीबीआई मामले एक ही दिन


सर्वोच्च न्यायालय ने 9 मई को एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया। करोड़ों रुपये के शारदा चिट फंड घोटाले (पश्चिम बंगाल में लगभग 2,500 करोड़ रुपये और ओडिशा में 10,000 करोड़ रुपये रुपये) के शिकार हुए निवेशकों ने हाल में पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर रेल यातायात जाम किया, क्योंकि उन्हें उनकी रकम नहीं मिली है। हालांकि राज्य सरकार ने निवेशकों (लगभग 17 लाख) को रकम की अदायगी के लिए एक फंड बनाया है, लेकिन हालात गंभीर बने हुए हैं। शारदा मामले में दुकानदार और सामान्य परिवार जैसे छोटे निवेशकों ने आकर्षक प्रतिफल के वादे के साथ इस चिट फंड में निवेश किया।


अदालत के निर्देश पर सीबीआई ने सोमवार को एक विशेष जांच दल का गठन किया। इस दल में पश्चिम बंगाल, ओडिशा और बिहार के अधिकारियों को शामिल किया गया है। इस घोटाले ने पांच राज्यों के निवेशकों को कंगाल बना दिया।



गौरतलब है कि सीबीआई ने 10,000 करोड़ रुपये के शारदा  चिट फंड घोटाले की अपनी जांच के सिलसिले में एक ही दिन  रिकार्ड संख्या में 46 मामले दर्ज किए। इसके तहत तृणमूल कांग्रेस से मौजूदा राज्य सभा सदस्य कुणाल घोष को भी एक आरोपी के तौर पर नामजद किया गया है।शारदा  चिटफंड कंपनी पर बंगाल के साथ असम और ओडिशा में भी घोटाले का आरोप है। कंपनी पर निवेशकों के 2500 करोड़ रुपये हड़पने का आरोप है। इस मामले में तृणमूल के निलंबित सांसद कुणाल घोष से भी पूछताछ हो चुकी है।


कोलकाता के मेयर भी कटघरे में


इसी बीच कोलकाता नगर निगम और कोलकाता के मेयर दीदी के खासमखास शोभनदेव भी आरोपों केघेरे में हैं।कोलकाता नगर निगम के  कांग्रेसी निगम पार्षद प्रकाश उपाध्याय ने मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अधिकारियों के साथ मुलाकात कर करोड़ों रुपये के सारदा घोटाले से संबंधित दस्तावेज सौंप दिए। उपाध्याय से घोटाले में निगम के साथ-साथ मेयर शोभनदेव चटर्जी की भूमिका के संबंध में पूछताछ की गई थी। उपाध्याय ने आरोप लगाया है कि चटर्जी ने गैरकानूनी तरीके से दागी कंपनी को कई व्यापार लाइसेंस दिए। इसी से संबंधित दस्तावेज उन्होंने यहां सीबीआई को सौंपे।


मुलाकात के बाद उपाध्याय ने कहा, मैंने अधिकारियों से शारदा समूह की एक कंपनी को व्यापार लाइसेंस देने में कोलकाता पालिका परिषद की भूमिका के बारे में बताया। मैंने उनसे आग्रह किया है कि सभी पहलुओं से घोटाले की गहन जांच की जाए और जिन लोगों ने गरीबों का पैसा लूटने का काम किया है उन्हें गिरफ्तार किया जाए।


इससे पहले उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय के साथ संपर्क किया। यह एजेंसी भी घोटाले की जांच कर रही है।


नेताओं के खाते में आठ सौ करोड़


इस बीच घोटाले के सरगना सुदीप्त सेन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा घोटाले की जांच और निवेशकों की धन वापसी का उपाय सुझाने के लिए गठित श्यामल सेन आयोग के सामने पेश हुए। सुदीप्त सेन अभी न्यायिक हिरासत में हैं। सेन नियमित रूप से आयोग के सामने पेश होते रहे हैं। सीबीआई को जांच सौंपे जाने के बाद वे पहली बार आयोग के सामने पेश हुए। आयोग को 17.39 लाख जमाकर्ताओं ने धन वापसी के लिए अर्जी दी है।


सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शारदा चिटफंड घोटाले की सीबीआइ जांच शुरू होते ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को बड़ा सुबूत हाथ लगा है। शारदा समूह के विभिन्न बैंक खातों की जांच से पता चला कि कंपनी द्वारा विभिन्न दलों के नेताओं के खातों में 800 करोड़ रुपये की मोटी धनराशि ट्रांसफर की गई।

ये रुपये अदृश्य बैंक खातों व हवाला के माध्यम से नेताओं तक पहुंचते थे। कोलकाता में तैनात ईडी अधिकारियों ने दिल्ली मुख्यालय भेजी रिपोर्ट में बताया है कि किस नेता को कितनी राशि दी गई।

शारदा समूह द्वारा आर्थिक लेनदेन की एक डायरी लिखी जाती थी, जो शारदा के मिडिलटन पार्क स्थित मुख्यालय में थी लेकिन ईडी को नहीं मिल रही। ईडी अधिकारियों का कहना है कि इस डायरी में उन सभी लोगों के नाम व अन्य जानकारी मौजूद है, जिन्हें रुपये दिए जाते थे।

ईडी अधिकारियों के अनुसार, शारदा के गिरफ्तार निदेशक देवयानी मुखर्जी ने बताया कि इस डायरी को विधाननगर पुलिस ने जब्त किया था। जबकि विधाननगर पुलिस डायरी होने से इन्कार कर रही है।

सवाल उठाए जा रहे हैं कि पुलिस किसी को बचाने में लगी है, क्योंकि घोटाले के सरगना सुदीप्त सेन की पत्नी व बेटे का लॉकर पुलिस ने ईडी से पहले खोला था। ईडी की रिपोर्ट पर कार्रवाई शुरू होगी तो कई नेताओं की गिरफ्तारी भी संभव है।

इसके अलावा कांड की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित श्यामल सेन आयोग पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम को पूछताछ के लिए समन जारी करने जा रहा है। आयोग ने सोमवार को असम के पूर्व कांग्र्रेस सांसद मतंग सिंह की पत्नी मनोरंजना सिंह को भी पूछताछ के लिए तलब किया है।

ईडी को मिले रोजवैली के एक हजार खाते

सारधा के बाद रोजवैली पोंजी कंपनी की जांच में जुटे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को कई तथ्य हाथ लगे हैं। ईडी अधिकारियों के मुताबिक पिछले तीन दिनों की जांच में रोजवैली के 1000 बैंक खातों के बारे में पता चला है। इसके अलावा एक ही पते पर कई कंपनियों के रजिस्ट्रेशन के भी प्रमाण मिले हैं।

शारदा घोटाला: 300 बैंक अकाउंट, 200 कंपनियों का इस्तेमाल


शारदा चिटफंड घोटाले के आरोपियों ने कथित रूप से ट्रांजैक्शन के लिए 338 बैंक अकाउंट्स और 224 कंपनियों के नेटवर्क का इस्तेमाल किया। इस घोटाले में पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम समेत कई राज्यों में निवेशकों को चूना लगाया गया।


एनफोर्समेंट डायरेक्ट्रेट (ईडी) शारदा घोटाले की जांच मनी लॉन्ड्रिंग लॉ के तहत कर रहा है। डायरेक्ट्रेट ने शारदा ग्रुप और इसकी सहयोगी कंपनियों के कथित संदिग्ध कारोबारी लेन-देन के तौर तरीकों के बारे में पता लगाया है और इसके कई ट्रांजेक्शंस की जांच की जा रही है। जांच में पाया गया कि शारदा ग्रुप से जुड़ी 90 पर्सेंट से ज्यादा कंपनियां सिर्फ कागजों में हैं। कुल 224 कंपनियों में से सिर्फ 17 ने ही थोड़ा बिजनेस किया है।


जांचकर्ताओं का दावा है कि बाकी कंपनियों का इस्तेमाल कथित पोंजी योजनाओं को कवर करने के लिए किया गया। डायरेक्ट्रेट के मुताबिक इस मामले में लॉन्ड्रिंग की रकम 1900 करोड़ रुपये के आसपास है। जांचकर्ताओं ने बताया कि इस रकम के एक हिस्से को कई बैंकों में करीब 338 अकाउंट्स के जरिए इन्वेस्ट किया गया। कुल मिलाकर 224 प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों को शुरू किया गया, ताकि अवैध रकम को छुपाया जा सके।

कुणाल को शिकायत है


कुणाल घोष को शिकायत है कि जांच के हित में वह पुलिस से हर तरह से सहयोग कर रहे हैं। लेकिन पुलिस उनके बयानों को रिकार्ड नहीं कर रही है। जलपाईगुड़ी में सीजेएम की अदालत में अपनी जमानत की अर्जी के लिए अपना पक्ष रखने के क्रम में सारधा कांड के आरोपी कुणाल घोष अदालत के कठघरे में रो पड़े। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने दमदम केंद्रीय कारागार में रहते हुए अपना बयान लिखित रुप में अदालत के समक्ष दर्ज कराने के लिए जब फार्म मांगा तो उसे उपलब्ध नहीं कराया गया। उन्हें झूठे मामलों में फंसाया गया है। जो लोग इस कांड में सीधे तौर पर संलिप्त हैं उन्हें गिरफ्तार करना तो दूर रहा उनसे पूछताछ तक नहीं की गई है। एक ही मामले में उन्हें विभिन्न थानों में घुमाया जा रहा है। ऐसा कब तक चलेगा। उन्होंने सीजेएम शांतनु दत्त के समक्ष जमानत की अर्जी पेश की जिसे नामंजूर कर दिया गया। इस रोज सारधा कांड के एक नए मामले में कुणाल घोष और सोमनाथ दत्ता को अदालत में भक्तिनगर थाने ने पेश किया।


अदालत से बाहर निकलकर मीडिया से मुखातिब राज्य सभा सांसद कुणाल घोष ने कहा कि उन्होंने शर्त सापेक्ष जमानत की अर्जी दी है। जब बुलाया जाएगा तो वे उपस्थित होंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि यह मामला सीबीआइ को सौंपा गया है। इसके बावजूद उनके खिलाफ नए सिरे से मामले लादे जा रहे हैं।



पश्चिम बंगाल में तीन नये मामले दर्ज करने के बाद और ओड़िशा पुलिस से 42 मामले अपने हाथों में लेने के बाद सीबीआई प्रवक्ता ने बताया कि साजिश का एक बड़ा पहलू भी जांच के दौरान निगरानी के दायरे में आएगा, जिसमें नियामक प्राधिकरणों की भूमिका और इस घोटाले में पैसे के लेन देन की जांच भी शामिल हैं।


सीबीआई सूत्रों ने बताया कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, भारतीय रिजर्व बैंक जैसी नियामक संस्थाएं, कंपनी मामलों के मंत्रालय की भूमिका की भी उच्चतम न्यायालय के आदेशों के मुताबिक जांच की जाएगी। शीर्ष न्यायालय ने ही सीबीआई को इस मामले की जांच का आदेश दिया है।


पश्चिम बंगाल से जुड़ी अपनी तीन प्राथमिकियों में सीबीआई ने शारदा समूह के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक सुदीप्त सेन, सारदा रियल्टी की तत्कालीन निदेशक देबजनी मुखर्जी, सारदा मीडिया के सीईओ एवं तणमूल कांग्रेस सांसद कुणाल घोष, सारदा मीडिया के तत्तकालीन वरिष्ठ उपाध्यक्ष सोमनाथ दत्ता, सारदा रियल्टी के तत्कालीन निदेशक मनोज नाघेल और सारद ग्रुप ऑफ कंपनी के एक कर्मचारी अरबिंदो चौहान के खिलाफ मामला दर्ज किया है।


घोष ने उन संदेशों और फोन कॉलों का कोई जवाब नहीं दिया जो उनकी प्रतिक्रिया लेने के लिए उन्हें किए गए।


फिर आयेगा भाजपा दल



पार्टी कार्यकर्ताओं व समर्थकों पर जारी हमले व हिंसा को लेकर भाजपा शीर्ष नेतृत्व दूसरी बार केंद्रीय टीम को बंगाल भेजने का फैसला लिया है। आगामी एक- दो दिन में केंद्रीय टीम बंगाल पहुंचेगी। यह दूसरी बार है जब भाजपा की केंद्रीय टीम बंगाल दौरे पर आ रही है।

शनिवार को बीरभूम जिले के इलमबाजार इलाके में एक पार्टी कार्यकर्ता की हुई हत्या के मद्देनजर जमीनी हालात का आकलन करने के लिए केंद्रीय टीम पश्चिम बंगाल का दौरा करेगी। आरोप है कि तृणमूल समर्थकों के हमले में अल्पसंख्यक समुदाय के भाजपा कार्यकर्ता की मौत हुई है। इस घटना की समाज के सभी हलकों में विरोध और निंदा की जा रही है।

हालांकि, तृणमूल कांग्रेस ने हमले के आरोप को बेबुनियाद बताया है। पार्टी इसके लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से मौके पर अपनी टीम भेजकर हालात का ब्योरा तैयार कराने का अनुरोध करेगी।

राहुल सिन्हा ने कहा है


बंगाल भाजपा के अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने कहा है कि बंगाल में परिवर्तन के बाद भी कोई परिवर्तन नहीं हुआ. राज्य की वर्तमान स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। राज्य में ना ही उद्योग बच गया है और ना ही बंगाल की संस्कृति सुरक्षित है।


राहुल का कहना है कि बंगाल की संस्कृति भी एक दूसरे को गाली देने का प्रचलन नहीं था, लेकिन वर्तमान समय में राज्य में गाली गलौज एवं गुंडा गर्दी चरम पर हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी गुंडागर्दी का माहौल है। तृणमूल छात्र यूनियन के दबाव में राज्य सरकार की ओर से कॉलेजो में ऑन लाइन भर्ती प्रक्रिया को बंद कर यूनियन के माध्यम से कालेज में भर्ती की प्रक्रिया शुरू किया गया है। इससे भर्ती में धांधली बढ़ेगा। मेधा के आधार पर स्वच्छता के साथ छात्रों की भर्ती नहीं हो सकेगी।


उनके मुताबिक भाजपा इसका विरोध करती हैं। इसी कारण शुक्रवार को विकास भवन के घेराव के साथ भाजपा समर्थकों ने राज्य के लगभद 442 कालेजो का घेराव किया. तृणमूल समर्थकों की ओर से इस घेरवा में बाधा उत्पन्न कर भाजपा समर्थकों पर हमला भी किया गया। बारासात एवं गोबरडांगा में भाजपा के हमले के कारण कई भाजपा समर्थक घायल भी हुए है। सिन्हा ने यह बाते प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा।


मोदी लहर का असर, पश्चिम बंगाल में बीजेपी से जुड़ रहे हैं मुस्लिम



लोकसभा चुनाव में मोदी लहर का फायदा बीजेपी को पश्चिम बंगाल में भी मिला. भले ही पार्टी ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब नहीं हुई लेकिन उनके वोट शेयर में भारी इजाफा रिकॉर्ड किया गया. 2009 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ 6.14 प्रतिशत वोट पाने वाली बीजेपी को इस बार 17.5 फीसद वोट मिले.

चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद एक और चौंकाने वाला राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिल रहा है. पश्चिम बंगाल के कई ग्रामीण इलाकों में मुस्लिम समुदाय के लोग बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. खासकर उन इलाकों में जहां पार्टी के वोट शेयर में अप्रत्याशित बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इस आशय की खबर छापी है अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने.

अखबार के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाके खासकर जलपाईगुड़ी, अलीपुरदुआर, कूचबिहार लोकसभा सीट और रायगंज, बालूरघाट और नाडिया के कुछ इलाकों में सैकड़ों मुस्लिम परिवार बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. इन इलाकों में बीजेपी योगदान कार्यक्रम का आयोजन कर रही है. 16 मई को नतीजे होने घोषित के बाद से ही राज्य के इन इलाकों में पार्टी ने इस कार्यक्रम का आगाज कर दिया था.

हालांकि, इस पूरी प्रक्रिया के जरिए अब तक कितने लोग बीजेपी में शामिल हुए, इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा तो नहीं है. पर स्थानीय बीजेपी इकाई के मुताबिक सिर्फ जलपाईगुड़ी इलाके में करीब 50000 लोग पार्टी से जुड़े हैं.

इस राजनीतिक घटनाक्रम की कई वजहें बताई जा रही है. मुस्मिल समुदाय के लोग राजनीतिक विश्वास, डर और लेफ्ट नेतृत्व के कमजोर होने की वजह से बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. इसके अलावा स्थानीय बीजेपी नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर सिर्फ विकास की बात कर रहे है. वह लोगों को बता रहे हैं कि पार्टी के एजेंडे पर नौकरी, सुरक्षा और आर्थिक संपन्नता है न कि हिंदुत्व. जिसका फायदा उन्हें मिल रहा है.



और भी... http://aajtak.intoday.in/story/riding-high-on-vote-surge-bjp-gets-muslims-to-sign-up-across-rural-bengal-1-767037.html


Sudipta forced to write tell-all letter?

TNN | Jun 8, 2014, 01.33 AM IST

KOLKATA: Saradha scamster Sudipta Sen's "tell-all letter" to CBI may not have been written by him. "Someone close to the Trinamool top brass either forged his signature while Sen went to ground, or made him sign the letter under duress," claimed suspended Trinamool MP and Saradha media CEO Kunal Ghosh, now in custody, in his 91-page letter to the Enforcement Directorate (ED) probing the Ponzi scam.


Ghosh also accused the Mamata Banerjee government of sitting tight on the alert from the Ministry of Corporate Affairs over the Saradha muddle. "It is not true that the Trinamool-led government and the party were unaware of the reality. They never bothered to intervene despite my repeated warnings. In fact, they overlooked the letter from the Ministry of Corporate Affairs," Ghosh wrote in the letter.


"The letter (Sudipta Sen's purported letter to CBI) was leaked on April 18 last year by a top Trinamool leader while Sen was absconding. I have earlier said that Sen had not written the letter. Even if he had written it, that was under pressure. He was forced to write it and was tutored," Ghosh wrote in the letter. In his letter, Ghosh mentions that even Sudipta Sen denied having written the letter in January this year. "If Sen himself denied having written the letter then who was behind it? What was the motive behind the drama?" Ghosh asked in his letter.


Calling it a part of a "larger conspiracy," the undertrial named a top Trinamool leader who masterminded the plan. "Several important persons having influence in the state and also at the national level have been shortlisted by the investigating agency for interrogation," the SC bench comprising Justice TS Thakur and Justice C Nagappan had recently said.


According to Ghosh, Sudipta Sen was aware that his empire was sinking.


"Why was I kept in the dark about Saradha? The top leadership of the party (Trinamool Congress) was aware of it. Why didn't they alert me? Is it a part of their politics?" Ghosh wrote in the letter.


To Ghosh, the silence on the part of Trinamool is because the party had been utilizing the Saradha Group's media outfits as and when they required. "The party was not in power then. It couldn't issue advertisements in media. Therefore, all media outfits were used by the party high command."


According to him, the larger conspiracy can be unearthed if investigators start questioning everyone involved. "I am not sure whether the truth will come out as several documents have been destroyed. Police never questioned me. In fact, my statements in the court room were not even recorded. That has prompted me to submit written statements with the judges."


Ghosh, who had expressed fears of torture on him while in captivity, said that he was even warned by Sudipta Sen for speaking against Trinamool. He was with Sen at the same jail in April, 2014. Ghosh in his letter wrote Sen telling him: "Tumi Trinamool er biruddhe katha bola kom koro (you better stop saying against Trinamool)."

http://timesofindia.indiatimes.com/city/kolkata/Sudipta-forced-to-write-tell-all-letter/articleshow/36225374.cms



BJP focus on booth force

OUR SPECIAL CORRESPONDENT

Calcutta, June 7: The Bengal BJP is preparing a strategy to ensure at least two cadres at each booth in the 2016 Assembly elections.

The state unit has decided that the focus would be on preparing those cadres who have been associated with the BJP for a long time.

Many speakers at the BJP's two-day state executive committee meeting said the party's plan to emerge as a force to reckon with would not be possible without a well-oiled machinery that could take on the Trinamul Congress's organisational might.

"In the Lok Sabha elections, we failed to field polling agents in around three-fourths of the booths. Unless we have a presence down to the booth level, we can never realise the true potential of the party in Bengal," said Chandan Mitra, who unsuccessfully contested the Hooghly Lok Sabha seat.

Senior party leaders said the absence of BJP polling agents gave Trinamul "the chance to rig the polls".

"Ideally, we should have seven to eight active party cadres for each booth (Bengal has around 77,000 booths). But to begin with, we should have at least two cadres per booth," said Mitra, a BJP national executive committee member.

Hacked to death

A BJP supporter was hacked to death in Birbhum today. The BJP accused Trinamul of the attack. Trinamul has denied the charge.

http://www.telegraphindia.com/1140608/jsp/bengal/story_18490336.jsp#.U5TU43KSxWI



Saradha scam: CBI sets new record, files 46 FIRs in one day


In a probable one-day record, the Central Bureau of Investigation yesterday registered as many as 46 first information reports in the Saradha chit fund scam. Among those named in the FIRs are businessman Sudipta Sen, who headed the Saradha Group, and Kunal Ghosh, the Trinamool Congress MP who was sacked after the scam surfaced.

The Kolkata-based Saradha Group had collapsed in April 2013, leaving lakhs of small investors bankrupt in West Bengal and Orissa.

How many of the FIRs will actually stick remains to be seen, as the country's premier investigating agency is becoming increasingly notorious for filing charges without a shred of substantial evidence – likened by some to blindly flinging mud in the sanguine hope that some of it will stick.

In this first set of FIRs, the CBI has registered three cases in West Bengal and 43 in Odisha with charges that include criminal conspiracy (120-B of the IPC), cheating (420) and breach of trust (405).

- See more at: http://www.domain-b.com/finance/financial_services/20140605_saradha_scam.html#sthash.eMcayytp.dpuf


24 ঘন্টার খবর অনুযায়ী সারদা কাণ্ডে সুপ্রিম কোর্ট সিবিআই তদন্তের নির্দেশ দেওয়ার পরেই, জেলে বসে কেন্দ্রীয় গোয়েন্দা সংস্থাকে একানব্বই পাতার চিঠি লিখেছিলেন কুণাল ঘোষ। সেই চিঠি সিবিআইয়ের সিজিও কমপ্লেক্সের অফিসে হাতে হাতে পৌছে দেওয়া হয়। চিঠির বিষয়বস্তু হাতে পেয়েছে চব্বিশ ঘণ্টা। চিঠির ছত্রে ছত্রে রাজ্য পুলিসের বিরুদ্ধে ঝরে পড়েছে একরাশ ক্ষোভ ও হতাশা। সারদা থেকে প্রথম সুবিধাভোগী ব্যক্তির নাম মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। সারদার যা সুফল মমতা একা পেয়েছেন। আর কেউ পাননি এতটা, অভিযোগ জেলবন্দি তৃণমূল সাংসদ কুণাল ঘোষের। সিবিআইকে তাঁর হাতে লেখা একানব্বই পাতার বিস্ফোরক চিঠিতে কুণাল ঘোষের দাবি, ২০১১ তৃণমূল কংগ্রেসের জয়ের পিছনে সারদা একটা বড় ফ্যাক্টর।


24 ঘন্টার খবর অনুযায়ী সাধারণত এরকম দেখা যায় না। কিন্তু সেটাই ঘটল রাজ্যে। প্রকাশ্য রাজনৈতিক প্রচারে নামল আরএসএস। বিজেপি কর্মীদের উপর হামলার প্রতিবাদে বারুইপুরে জনসভা করল সঙ্ঘ। মুখ্যমন্ত্রী আর তৃণমূলের বিরুদ্ধে চড়া সুরে আক্রমণ শানালেন নেতারা। হাজির ছিলেন লোক সভা ভোটে বিজেপি-র দুই প্রার্থী তথাগত রায় ও সুভাষ সরকারও।


তৃণমূলের আক্রমণের শিকার হচ্ছেন বিজেপি কর্মীরা। এই অভিযোগে রবিবার বারুইপুর রাসমাঠে সভা করল আরএসএস। সন্ত্রাসের মতো রাজনৈতিক বিষয়ে সঙ্ঘের এরকম প্রকাশ্য সমাবেশ সাধারণত দেখা যায় না।


চোখে পড়ল ব্যাপক ভিড়। আর সরকারের সমালোচনায় হাততালি।


সভায় বিজেপি-র পরিচিত মুখ সুভাষ সরকার, তথাগত রায়দের উপস্থিতি বুঝিয়ে দিল সঙ্ঘের সঙ্গে বিজেপি-র নিবিড় সম্পর্ক ঢেকে রাখার কোনও চেষ্টাই হবে না।


তথাগত রায় সরাসরি মুখ্যমন্ত্রীকে আক্রমণ করে বললেন, ওনার দিন শেষ।


২০১৬ বিধানসভা ভোটকে টার্গেট করে তারা যে সর্বশক্তি নিয়ে নামছে সেটাই যেন বুঝিয়ে দিয়ে গেল রবিবারের দুপুরে বারুইপুরে রাজনৈতিক ইস্যুতে আরএসএসের প্রকাশ্য জনসভা।


**পঞ্চম পৃষ্ঠার চতুর্থ অনুচ্ছেদে কুণাল ঘোষ লিখেছেন,

সারদা ক্ষেত্রে দেখলাম, তৃণমূলের প্রভাবশালীরা মালিকের বন্ধু। আমি তো শুধু মিডিয়া দেখতাম। বাকিরা তো নানাভাবে যুক্ত।


** পঞ্চম পৃষ্ঠার সপ্তম অনুচ্ছেদে কুণাল ঘোষ লিখেছেন,

প্রথমে আমাকে সামনে রেখে গোটা মিডিয়াটা ব্যবহার করা হল। কাগজের প্রতি লাইন, টিভির প্রতি মিনিট, দিদির জন্য ব্যবহৃত। নিরপেক্ষ কিছু হলেই ফোনে রাগ, ধমক, মালিককে চাপ।


**অষ্টম পৃষ্ঠার প্রথম অনুচ্ছেদে কুণাল ঘোষ লিখেছেন,

সারদা মিডিয়ার যা খরচ হয়েছে(সেন বলতে পারবেন)তার প্রথম সুবিধাভোগী ব্যক্তির নাম মমতা। এটা কোনও টাকা নেওয়ার থেকেও বেশি। টাকা নিয়েছেন কি নেননি, আমি সে বিষয়ে বলছি না। বলছি, সরাসরি টাকা নেওয়ার থেকেও এটা কি কম?


**অষ্টম পৃষ্ঠার দ্বিতীয় অনুচ্ছেদে কুণাল ঘোষ লিখেছেন,

মনে রাখুন দুহাজার এক সালের আগেও মমতা রেলমন্ত্রী ছিলেন। তখনও কংগ্রেসের সঙ্গে জোট হয়েছিল। কিন্তু মমতা জেতেননি। দুহাজার এগারোতে জিতলেন। এই পারিপার্শ্বিক কারণগুলির মধ্যে প্রচার ও সারদা একটা বড় ফ্যাক্টর। সারদার যা সুফল মমতা একা পেয়েছেন, আর কেউ পাননি এতটা।


**ষোলোতম পৃষ্ঠার পঞ্চম অনুচ্ছেদে কুণাল ঘোষ লিখেছেন, সারদা মিডিয়ার পূর্ণ সুবিধা নিয়েছে তৃণমূল কংগ্রেস ও এখনকার রাজ্য সরকার। কাগজের প্রতি পাতা, চ্যানেলের প্রতি মিনিট প্রত্যক্ষ ও পরোক্ষ প্রচার দিয়েছে তাদের। এখন আমাকে মিথ্যা অভিযোগে হয়রান করে নিজেদের আড়াল করছে। পুলিসকে তদন্তে সাহায্য করে দেখেছি পুলিস একতরফা চলছে। উপর মহলের নির্দেশে চলছে। আমি হতাশ, বীতশ্রদ্ধ।


অবশেষে সারদা-কাণ্ডে মামলা রুজু করল সিবিআই। এই ইস্যু নিয়ে এখন তোলপাড় হচ্ছে পশ্চিমবঙ্গের রাজনীতিতে। বিরোধী দলের প্রতিবাদ, মিছিল, সমাবেশে জেরবার হচ্ছে রাজ্য রাজনীতি। পশ্চিমবঙ্গ রাজ্য বিধানসভায় এই ইস্যু নিয়ে বিরোধী বাম দল ইতিমধ্যে তিন দিন বিধানসভার অধিবেশন বয়কট করেছে।...


প্রাথমিক পর্যায়েপশ্চিমবঙ্গের জন্য তিন এবং ওড়িশা চ্যাপ্টারের জন্য মোট ৪৩টি মামলা রুজু করেছে সিবিআই। প্রতারণা, ষড়যন্ত্র এবং বিশ্বাসভঙ্গের অভিযোগে মামলা দায়ের করেছে সিবিআই। প্রথম পর্যায়ে তিনটি অভিযোগে মামলা দায়ের করলেও, আগামিদিনে নতুনকরে বেশ কয়েকটি মামলা দায়ের করা হবে বলে সূত্রের খবর। ফলে, সরকারিভাবে এবারসারদা-কাণ্ডের তদন্তভার গ্রহণ করল সিবিআই। আগামী সপ্তাহ থেকেই সারদা মামলার তদন্তে জোর দেবে তদন্তকারী আধিকারিকরা। জানা গিয়েছে অভিযোগে সুদীপ্ত সেন, দেবযানী মুখোপাধ্যায়, কুণাল ঘোষ, মনোজ নাগেল এবং সোমনাথ দত্তের নাম রয়েছে।


সারদা মামলায় স্পেশাল ইনভেস্টিগেশন টিম অথবা সিট গঠন করে রাজ্য। ইতিমধ্যে, তাদের কাজ থেকে প্রায় ১৪টি মামলার তদন্ত ফাইল হাতে পেয়েছে সিবিআই। তাদের হাত থেকে মামলাগুলির তথ্য পেয়েই অভিযোগ দায়ের করল সিবিআই। সূত্রের খবর, সিটের তদন্ত এবং ইডির তদন্তের সমস্ত ফাইল খুতিয়ে দেখছেন তদন্তকারী আধিকারিকরা। দুই সংস্থার তদন্তের অগ্রগতি খতিয়ে দেখার পরেই আলাদাভাবে সারদা-কাণ্ডের তদন্ত শুরু করবে সিবিআই বলে জানা গিয়েছে।


আজকালের প্রতিবেদনঃ

সারদা-কাণ্ডে আরও কয়েকজনের নামে এফ আই আর করতে চলেছে সি বি আই৷‌ সুদীপ্ত সেন, দেবযানী মুখার্জি, কুণাল ঘোষ-সহ ৬ জনের বিরুদ্ধে ইতিমধ্যেই এফ আই আর হয়েছে৷‌ তাঁদের হেফাজতে নেওয়ার তোড়জোড় শুরু হয়েছে৷‌ আগামী সপ্তাহেই তাঁদের সি বি আইয়ের স্পেশাল আদালতে তোলা হতে পারে বলে জানা গেছে৷‌ সারদার ঘনিষ্ঠ এবং ওই গোষ্ঠীর কাছ থেকে সুবিধা নিয়েছে এমন কয়েকজনের নামের তালিকা তৈরি করছে সি বি আই৷‌ শুধু সারদা-কাণ্ডেই নয়, রাজ্যের বাকি ১৬টি চিটফান্ডের তদম্তের বিষয়েও একই গুরুত্ব দেওয়া হবে৷‌ ওই সব চিটফান্ডের কর্তা এবং ডিরেক্টরদের বিষয়ে খোঁজখবর এবং তথ্য জোগাড় করতে শুরু করে দিয়েছে সি বি আই৷‌ এ বিষয়ে এনফোর্সমেন্ট ডিরেক্টরের অফিসারদের সাহায্য নিচ্ছেন তাঁরা৷‌ রাজ্য সরকারকেও প্রয়োজনীয় নথিপত্র দিতে বলা হয়েছে৷‌ এই তদম্তে ছাড় পাবেন না সুবিধাভোগীরাও৷‌ বিদেশে টাকা পাচারের ক্ষেত্রে তাঁদের কোনও ভূমিকা রয়েছে কিনা, সে বিষয়েও খতিয়ে দেখা হচ্ছে৷‌ কয়েকদিন আগে প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদির সঙ্গে সি বি আইয়ের ডিরেক্টর রঞ্জিত সিন‍্হার কথা হয়৷‌ এর পরেই অফিসারদের নিয়ে একটি উচ্চ পর্যায়ে বৈঠক করেন রঞ্জিত সিন‍্হা৷‌ ওই বৈঠকে ঠিক হয়, দ্রুত এবং নিরপেক্ষভাবে তদম্ত চালানো হবে৷‌ বৃহত্তর আর্থিক কেলেঙ্কারির তদম্তে যাঁদের জেরা করার দরকার মনে হবে, তাঁদের ডাকা হবে৷‌ প্রয়োজনে এফ আই আরও করা হবে তাঁদের নামে৷‌ সি বি আইয়ের স্পেশাল ইনভেস্টিগেশন টিম (সিট) সেই নির্দেশেই তদম্ত শুরু করেছে৷‌ সারদা-কাণ্ডে ই ডি, পশ্চিমবঙ্গ পুলিস, বিভিন্ন কেন্দ্রীয় সংস্হাগুলির কাছ থেকেতথ্য সংগ্রহ করা সত্ত্বেও, এফ আই আর করতে সময় নিচ্ছিলেন সিটের অফিসারেরা৷‌ এই বৈঠকের পর সি বি আইয়ের ডিরেক্টরের কাছ থেকে সুনির্দিষ্ট নির্দেশিকা পেয়ে এফ আই আর করা হয়৷‌ সি বি আই সূত্রে জানা গেছে, ২০১০ সালের পর থেকে উল্লেখযোগ্যভাবে সারদা গোষ্ঠীর সঙ্গে অনেকেই যুক্ত হয়েছেন৷‌ তাঁদের সম্পর্কে বিস্তারিত খোঁজখবর শুরু হয়েছে৷‌ কেন তাঁরা সারদা গোষ্ঠীর সঙ্গে এত ঘনিষ্ঠতা রেখে ছিলেন? সারদার বিভিন্ন অনুষ্ঠানে গিয়ে প্রভাবশালী ব্যক্তিদের প্রচারের উদ্দেশ্য কী ছিল? পাশাপাশি সুদীপ্ত সেনের ছেলে শুভজিৎ এবং দ্বিতীয় পক্ষের স্ত্রী পিয়ালির ভূমিকা, সে বিষয়েও গুরুত্ব দিচ্ছে সি বি আই৷‌ অন্য দিকে সারদার মতো একটি চিটফান্ড কোম্পানিকে নিয়ম না মেনে লাইসেন্স প্রদান এবং ব্যবসা চালানোর ক্ষেত্রে সেবি, রেজিস্ট্রার অফ কোম্পানিজ, রিজার্ভ ব্যাঙ্ক এবং কলকাতা পুরসভার ভূমিকা কী ছিল, সে-সব বিষয়ে জোর দেওয়ারও নির্দেশ দেওয়া হয়েছে সিট-কে৷‌ এই কেন্দ্রীয় সংস্হাগুলির অফিসারেরা সারদার কাছ থেকে কিছু সুবিধা পেয়েছিলেন কিনা, তাও তদম্তের ক্ষেত্রে অত্যম্ত গুরুত্বপূর্ণ বলে জানান সি বি আইয়ের এক অফিসার৷‌ তিনি জানান, তদম্তের ক্ষেত্রে প্রতিটি দিকই খুঁটিয়ে দেখা হবে৷‌ জানা গেছে, সি বি আইকে লেখা কুণাল ঘোষের চিঠি এবং তাঁর ভিডিও সিডিটি খতিয়ে দেখেছেন অফিসারেরা৷‌ তিনি নির্দিষ্ট করে কয়েকজনের নাম করেছেন৷‌ কেন? সে বিষয়ে কুণালকে হেফাজতে নিয়ে জিজ্ঞাসাবাদ করা হবে৷‌ তিনি নিজের নিরাপত্তা নিয়েও আশঙ্কা প্রকাশ করেছেন চিঠিতে৷‌ তাঁর নিরাপত্তা বাড়ানোর জন্য রাজ্য সরকারকে জানিয়েছে সি বি আই৷‌

ভুয়ো সংস্থা ও অ্যাকাউন্ট দেখিয়ে সরানো হয়েছে টাকা, সারদা দুর্নীতিতে ইডি-র তদন্তে নয়া তথ্য

বিজেন্দ্র সিংহ, এবিপি আনন্দ

Sunday, 08 June 2014 04:12 PM

নয়াদিল্লি: সারদাকাণ্ডে এনফোর্সমেন্ট ডিরেক্টরেট(ইডি)-র তদন্তে এবার নয়া তথ্য৷ তদন্তকারীদের দাবি, ২২৪টি নকল সংস্থা ও ৩৩৮টি ব্যাঙ্ক অ্যাকাউন্ট দেখিয়ে সরানো হয়েছে কোটি কোটি টাকা

এ যেন অবিকল সেই শিয়াল পণ্ডিতের কুমীরছানা দেখানোর গল্পের বাস্তব সংস্করণ৷ আদপে যাঁর কোনও অস্তিত্বই নেই, তা দেখিয়েই লোক ঠকানো৷ এনফোর্সমেন্ট ডিরেক্টরেট সূত্রে খবর, পশ্চিমবঙ্গ, ওড়িশা এবং অসমে আমানতকারীদের টাকা সরাতে সারদা-কর্তারা তিনশো আটত্রিশটি ব্যাঙ্ক অ্যাকাউন্ট ও দু'শো চব্বিশটি সংস্থার নাম ব্যবহার করেছেন৷ কিন্তু, বাস্তবে এর মধ্যে নব্বই শতাংশেরই অস্তিত্ব শুধুমাত্র খাতায় কলমে৷

ইডি আধিকারিকরা জানিয়েছেন, সারদা কেলেঙ্কারির জাল বিভিন্ন স্তরে ছড়িয়ে৷ এই জাল সংস্থা ও অ্যাকাউন্টগুলি নিয়ে তথ্য বিভিন্ন জায়গায় ছড়িয়ে ছিটিয়ে ছিল৷ কার্যত ধাঁধার খেলার কায়দায় সেই তথ্যগুলিকে একে অপরের সঙ্গে জুড়ে সম্পূর্ণ ছবিটা খানিকটা সামনে এসেছে৷

তদন্তকারীরা মূলত সারদা গোষ্ঠীর চারটি সংস্থাকে মাইক্রোস্কোপের তলায় ফেলেছেন৷ এই সংস্থাগুলি হল,

সারদা রিয়্যালটি প্রাইভেট ইন্ডিয়া লিমিটেড৷

সারদা ট্যুরস অ্যান্ড ট্রাভেলস প্রাইভেট লিমিটেড৷

সারদা গার্ডেন রিসর্ট অ্যান্ড হোটেল প্রাইভেট লিমিটেড৷

আর সারদা হাউসিং প্রাইভেট লিমিটেড৷

ইডির তদন্তকারীদের বক্তব্য, মূলত এই চারটি সংস্থাতেই টাকা বিনিয়োগ করা হত৷ আর টাকা তোলার জন্য 'ডামি' হিসেবে ব্যবহার করা হত এই তিনশো আটত্রিশটি ব্যাঙ্ক অ্যাকাউন্ট এবং দু'শো চব্বিশটি সংস্থার নাম, যেগুলি বাস্তবে ছিলই না৷

তদন্তে এনফোর্সমেন্ট ডিরেক্টরেটের আধিকারিকরা জানতে পেরেছেন, এই সংস্থাগুলি যে জাল, সেবিষয়ে ধারণা আরও বদ্ধমূল হয়, যখন তাঁরা দেখেন যে, এই সংস্থাগুলিতে বিনিয়োগের জন্য আমানতকারীদের কোনও সার্টিফিকেট দেওয়া হত না৷

সারদা মামলা চলাকালীন সুপ্রিম কোর্টে বারবার তদন্তকারীদের প্রশ্ন করেছে, সারদার যে বিপুল পরিমাণ টাকার হদিশ মিলছে না, তা কোথায় গেল, এবং সেই টাকায় কারা লাভবান হল৷

সর্বশেষ রিপোর্টে ইডি জানিয়েছে, সারদা সংস্থা থেকে মোট ১৯৮৩.০২ কোটি টাকা বেআইনিভাবে সরানো হয়েছে৷কিন্তু, সেই টাকা কীভাবে সরানো হল, তা নিয়ে ধোঁয়াশা ছিল৷ এবার তদন্তে পাওয়া ডামি সংস্থার তথ্যে সেই ধোঁয়াশা খানিকটা দূর হবে বলেই মনে করছেন তদন্তকারীরা৷ তবে টাকা কাদের হাতে গেল, তা নিয়ে এখনও তদন্ত চলছে৷

গ্রাফিক্স আউট

কেন্দ্রীয় সংস্থা সূত্রে খবর, আগামী মাসের মধ্যে এই মামলায় চার্জশিট পেশ করা হতে পারে৷

http://abpananda.abplive.in/state/2014/06/08/article339078.ece/%E0%A6%AD%E0%A7%81%E0%A7%9F%E0%A7%8B-%E0%A6%B8%E0%A6%82%E0%A6%B8%E0%A7%8D%E0%A6%A5%E0%A6%BE-%E0%A6%93-%E0%A6%85%E0%A7%8D%E0%A6%AF%E0%A6%BE%E0%A6%95%E0%A6%BE%E0%A6%89%E0%A6%A8%E0%A7%8D%E0%A6%9F-%E0%A6%A6%E0%A7%87%E0%A6%96#.U5TWHXKSxWI



বাংলা দৈনিক আজকালের প্রতিবেদনেঃ



সব্যসাচী সরকার


সারদা-কাণ্ডের তদম্তে এ রাজ্যের তিনটি এফ আই আরের নথি আদালতে জমা দিল সি বি আই৷‌ ব্যাঙ্কশাল কোর্ট, আলিপুর আদালত ও বিধাননগর আদালতে বৃহস্পতিবার বিকেলে জমা দেওয়া হয়েছে বলে সি বি আই সূত্রের খবর৷‌ তিনটি মামলাতেই ভারতীয় দণ্ডবিধির ১২০বি, ৪০৬, ৪০৯, ৪২০ ধারা দেওয়া হয়েছে৷‌ এদিকে, এফ আই আরের পরেই ওড়িশায় সারদা গোষ্ঠীর ৪৩টি সংস্হার যাবতীয় কাজকর্মের নথিপত্র বাজেয়াপ্ত করেছে সি বি আই৷‌ সেই সঙ্গে ওড়িশার সি বি আই দপ্তর যাঁরা ওই সংস্হাগুলির ডিরেক্টর পদে ছিলেন, তাঁদের জেরা করার প্রস্তুতি নিচ্ছে৷‌ জানা গেছে, সুদীপ্ত-পুত্র শুভজিৎ সেন ওড়িশায় বেশ কয়েকটি সংস্হার ডিরেক্টর পদে ছিলেন৷‌ সি বি আই সারদা-গোষ্ঠীর সংস্হার ডিরেক্টরদের (ভুয়ো বাদেক্ক) গত তিন বছরের কাজকর্মের পর্যালোচনা শুরু করেছে৷‌ কর্পোরেট মন্ত্রকের ভূমিকাও খতিয়ে দেখা শুরু হয়েছে৷‌ সি বি আই দেখেছে সারদা গোষ্ঠীর অন্যতম ডিরেক্টর দেবযানী মুখার্জিকে ৩৫টি সংস্হার ডিরেক্টর করা হয়েছিল৷‌ এবং কর্পোরেট মন্ত্রকের ওয়েবসাইটে দেখা যাচ্ছে, দেবযানী মুখার্জি ২০০৮ সাল থেকেই কোনও না কোনও সংস্হার ডিরেক্টর ছিলেন৷‌ ২০০৮ সালের এপ্রিল মাসের ৫ তারিখে সারদা ট্যুরস অ্যান্ড ট্র্যাভেলসের ডিরেক্টর হন৷‌ ২০০৯ সালে ১১ আগস্ট ৬টি সংস্হার ডিরেক্টর হন৷‌ ২০১১ সালে ৯ ফেব্রুয়ারি দেবযানী মুখার্জি ২০টি সংস্হার ডিরেক্টর হন৷‌ প্রশ্ন, এভাবেই একই দিনে গণ্ডায় গণ্ডায় কোম্পানির ডিরেক্টর পদে একই ব্যক্তির উপস্হিতি ও দায়িত্ব গ্রহণ আইন মোতাবেক কিনা? কত সংস্হার নামে লাইসেন্স ইস্যু করা হয়েছে, সেগুলির কী কাজকর্ম ছিল? এতদিন যাবৎ ই ডি যে সমস্ত তথ্য সংগ্রহ করেছে, সেখানেও কয়েকটি বিষয় নিয়ে প্রশ্ন তোলা হয়েছে৷‌ সারদার টাকা জমা নেওয়া ও ব্যাঙ্কে জমা করার প্রক্রিয়াটি নিয়েও ই ডি যে প্রশ্ন তুলেছে, তা-ও খতিয়ে দেখবে সি বি আই৷‌ সি বি আইয়ের তদম্তকারী অফিসাররা ইতিমধ্যেই সারদা তদম্তের যে দিকগুলি দেখেছেন, তাতে এ রাজ্যের চেয়েও বেশি টাকা তছরুপ করা হয়েছে ওড়িশায়৷‌ ই ডি এ-যাবৎ মোট ৬টি এফ আই আরের ভিত্তিতে তাদের এ রাজ্যে সারদার গোলমালের তদম্ত করেছে৷‌ ই ডি গত বছর ১৬ এপ্রিল এফ আই আর নম্বর ৩২ থেকে শুরু করে এফ আই আর নম্বর ৩৬, ৩৭, ৩৯ ও আরও দুটি এফ আই আরের ভিত্তিতেই তাদের তদম্ত চালিয়েছে৷‌ সেই সূত্রেই হাতে এসেছে অন্যান্য অর্থ তছরুপ সংক্রাম্ত তথ্য৷‌



নেতা-স্বার্থেই সারদায় কোপ, দাবি কুণালের

সুনন্দ ঘোষ

কলকাতা, ৬ জুন, ২০১৪, ০৩:১৮:০১

তৃণমূল ঘনিষ্ঠ এক নেতার অর্থলগ্নি সংস্থাকে আরও প্রতিষ্ঠিত করার উদ্দেশ্য নিয়েই সুদীপ্ত সেনের সংস্থা সারদা-কে বিপাকে ফেলা হয়েছিল বলে অভিযোগ এনেছেন তৃণমূলের সাসপেন্ড হওয়া সাংসদ কুণাল ঘোষ।

দমদম সেন্ট্রাল জেল থেকে এনফোর্সমেন্ট ডিরেক্টরেট (ইডি)-এর অফিসে গোপনে একটি চিঠি পাঠান কুণাল। তাতেই এই অভিযোগ তুলে তিনি লিখেছেন, 'সারদা গোষ্ঠীর পতন স্বাভাবিক ঘটনা নয়। পরিকল্পিত একটি চিত্রনাট্যের যবনিকাপাত মাত্র।' যার প্রেক্ষাপটে ইডি'র তদন্তকারীদের কাছে তাঁর আর্জি, নিরপেক্ষ তদন্তে নাটকের 'কুশীলবদের' খুঁজে বার করা হোক।

চিঠিতে কুণাল জানিয়েছেন, তিনি গোটা ঘটনারই নিরপেক্ষ তদন্ত চান। এ-ও চান, সিবিআই তাঁকে এবং সারদা-কর্ণধার সুদীপ্ত সেনকে মুখোমুখি বসিয়ে জেরা করুক। শ্যামল সেন কমিশনও ডাকুক। সেখানে তিনি নিজের বক্তব্য জানাতে উৎসুক।

'তৃণমূল ঘনিষ্ঠ' নেতাটি ও তাঁর অর্থলগ্নি সংস্থার নাম চিঠিতে বেশ ক'বার উল্লেখ করেছেন কুণাল। 'তৃণমূলের মূল লক্ষ্য ছিল, সুদীপ্ত সেনকে সরিয়ে সারদার জায়গায় ওই নেতার সংস্থাকে আরও প্রতিষ্ঠিত করা।' লিখেছেন তিনি। অভিযোগ করেছেন, শুধু সারদা নয়, একাধিক মানি-মার্কেট সংস্থার সঙ্গেও তৃণমূলের ঘনিষ্ঠ যোগাযোগ রয়েছে, এবং তার মধ্যে একটি সংস্থার মালিক দলের সদস্যও বটে। অন্য এক লগ্নি সংস্থার মালিকের নাম জানিয়ে লিখেছেন, '২০১০-এর অগস্টে কালিম্পঙের ডেলো বাংলোয় তৃণমূলের সর্বোচ্চ নেতৃত্ব সুদীপ্তর সঙ্গে বৈঠক করেন। একই সময়ে অন্য এক চিট ফান্ডের মালিকের সঙ্গেও তাঁদের বৈঠক হয়।'

সারদা-কেলেঙ্কারি নিয়ে ইডি নিজের মতো তদন্ত করছে। তবে তারা এখনও কুণালকে জেরা করেনি। অন্য দিকে বুধবার রাজ্য পুলিশের হাত থেকে সারদা-তদন্তের ভার নিয়েছে সিবিআই। তারাও এখনও কুণালকে জেরা করেনি। ইডি-সূত্রের খবর: সম্প্রতি কুণালের হাতে আগাগোড়া বাংলায় লেখা ৯১ পাতার যে চিঠিটি তাদের দফতরে এসে পৌঁছেছে, সেটির তারিখ ১ মে। ইডি-র তদন্তকারীরা চিঠির বক্তব্য গুরুত্ব দিয়ে খতিয়ে দেখছেন।

সারদা-কাণ্ডে জেলবন্দি সাংসদ কুণাল ঘোষ তাঁর চিঠিতে বিভিন্ন ব্যক্তি ও প্রতিষ্ঠানের বিরুদ্ধে নানা ধরনের অভিযোগ এনেছেন। পাশাপাশি এ-ও জানিয়েছেন, অভিযোগ প্রমাণ করার মতো তথ্য তাঁর হাতে নেই। তাঁর দাবি: সারদা-সংক্রান্ত যে সব তথ্য-প্রমাণ বিভিন্ন জায়গায় ছিল, গত এক বছরে রাজ্য পুলিশ, বিশেষত বিধাননগর কমিশনারেট সে সব ধাপে ধাপে নষ্ট করে ফেলেছে। তাই সিবিআই বা ইডি তদন্তে বিশেষ সুবিধা করতে পারবে না বলে তিনি মনে করেন। বিধাননগর কমিশনারেটের যে অফিসার কুণালের তিরের লক্ষ্য, সেই গোয়েন্দা-প্রধান অর্ণব ঘোষ বৃহস্পতিবার এ প্রসঙ্গে বলেন, "আমি ছুটিতে আছি। এ ব্যাপারে মন্তব্য করব না।"

কুণাল কেন তৃণমূল নেতৃত্বের বিরাগভাজন হয়ে পড়লেন, চিঠিতে তারও বিস্তারিত উল্লেখ রয়েছে। বলা হয়েছে, রায়গঞ্জ কলেজে তৃণমূল সমর্থকেরা অধ্যক্ষকে মারধর করেছিল। তা সারদার চ্যানেলে সম্প্রচার করা হয়েছিল, এবং কুণালের দাবি অনুযায়ী, সে সময় তিনি ঘটনাটির সমালোচনাও করেছিলেন। আর তাতেই নেতৃত্ব ক্ষিপ্ত হয়ে ওঠেন বলে তাঁর দাবি। 'আমাকে ধমক দেওয়া হয়। আমার সঙ্গে কথা বলাও বন্ধ করে দেওয়া হয়। সর্বোচ্চ নেতৃত্বের কাছাকাছি থেকেও তাঁর অন্যায় সিদ্ধান্তের বিরুদ্ধে লড়াই করা যে কতটা কঠিন ও চাপের, বাইরে থেকে তা বোঝা সম্ভব নয়। কারণ, তাঁর অন্ধকার দিকটি বড় তীব্র।' পর্যবেক্ষণ কুণালের। তৃণমূলের এক শীর্ষস্থানীয় নেতা তাঁর এই বক্তব্যকে হাস্যকর বলে উড়িয়ে দিয়েছেন।

কুণালের চিঠিতে অভিযোগের তির অবশ্য তৃণমূলের সর্বোচ্চ নেতৃত্বে আসীন একাধিক ব্যক্তির দিকেই। তিনি লিখেছেন, 'যে সময়ে আমি সারদা-পরিচালিত মিডিয়ার মাথায় আছি, তখন তৃণমূলের প্রথম সারির নেতা-নেত্রীদের সভা হলেই সারদার চ্যানেলে সরাসরি সম্প্রচার করতে হতো। ওই সব সভায় ওবি ভ্যান পাঠাতে হতো। এর পিছনে বিপুল টাকা খরচ হয়েছে।' এখন তাঁর প্রশ্ন, 'যে সব ধারা আমার ক্ষেত্রে প্রয়োগ করা হচ্ছে, সেগুলো তা হলে অন্যদের বিরুদ্ধে কেন প্রয়োগ করা হবে না?' কুণালের অভিযোগ, 'পূর্ব মেদিনীপুরে সুদীপ্তর আবাসন-প্রকল্পের জন্য তৃণমূলের কয়েক জন নেতা এক সময়ে বিপুল টাকা দাবি করে আসছিলেন। তৃণমূলের উচ্চমহল থেকে হস্তক্ষেপ করা হয়। আবার সেই উচ্চমহলের কথা মতোই দক্ষিণ কলকাতার দশটি পুজো উদ্যোক্তাকে বিপুল অর্থ দিয়েছিলেন সুদীপ্ত।'

চিঠির বিভিন্ন অংশে একাধিক বার এক আইপিএস অফিসারের নামও উল্লেখ করেছেন কুণাল, যিনি কি না তৃণমূলের সর্বোচ্চ নেতৃত্বের সঙ্গে সুদীপ্ত সেনের 'যোগসূত্র' হিসেবে কাজ করেছেন বলে তাঁর দাবি। রাজ্যের প্রাক্তন পুলিশকর্তাটিকে ইডি ইতিমধ্যে জিজ্ঞাসাবাদ করেছে। বিভিন্ন তৃণমূল নেতার পাশাপাশি ওই পুলিশ অফিসারের নাম উল্লেখ করে কুণাল আক্ষেপ করেছেন, 'সারদার ক্ষেত্রে দেখলাম, তৃণমূলের প্রভাবশালীরা মালিকের বন্ধু। আমি শুধু মিডিয়া দেখতাম। বাকিরা তো নানা ভাবে যুক্ত! আমাকে সামনে রেখে নিজেরা সাধু সাজছেন!'

প্রসঙ্গত, চিঠির সঙ্গে একটি 'সুইসাইড নোট'ও জুড়ে দিয়েছেন কুণাল। এবং ইডি'কে আর্জি জানিয়েছেন, তাঁর মৃত্যুর পরে এই চিঠিকেই যেন 'এফআইআর' হিসেবে গণ্য করা হয়। প্রথম পাতাতেই তিনি লিখেছেন, 'চরম সিদ্ধান্ত নেওয়া ছাড়া ওরা (পুলিশ ও ষড়যন্ত্রকারীরা) আমার জন্য কোনও পথ খোলা রাখছে না।' প্রশাসনের উদ্দেশে চিঠির হুঁশিয়ারি 'যদি জামিনে বেরোতে না দেয়, তা হলে চূড়ান্ত সিদ্ধান্ত নিতে বাধ্য হব।'

সারদা-কর্ণধার সম্পর্কে চিঠিতে কী রয়েছে?

কুণাল জানিয়েছেন, গত ক'মাসে জেল ও আদালতে সুদীপ্ত সেনের সঙ্গে তাঁর দেখা হয়েছে, কথাও হয়েছে। সেই সব কথোপকথনের বেশ কিছু অংশ প্রশ্নোত্তরের আকারে চিঠিতে উল্লেখ করেছেন তিনি। যেমন এক জায়গায় সুদীপ্তর বয়ানে লিখেছেন, 'তৃণমূলের জন্য সব করলাম। আজ সবচেয়ে বড় বিশ্বাসঘাতকতা ওরাই করল! আমি (সুদীপ্ত) তো পুলিশকে বলেছি যে, তুমি (কুণাল) নির্দোষ। কিন্তু পুলিশ না-মানলে কী করব?' সুদীপ্তর বয়ানেই আর এক জায়গায় কুণাল লিখেছেন, 'তুমি (কুণাল) তৃণমূলের সঙ্গে আর ঝগড়া কোরো না। ওরা যা করেছে, তা তো করেইছে। এখন আরও রেগে যাচ্ছে। সরকার বা তৃণমূল অসন্তুষ্ট হয়, এমন কিছু আর তুমি বোলো না।' মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের ছবি কেনার প্রসঙ্গও এসেছে। কুণালের দাবি: সুদীপ্ত তাঁকে বলেছিলেন, 'যতটা বলা হচ্ছে, অত বেশি টাকা নয়। দিতে বলেছিল, দিয়েছি। নগদে। তবে ছবিটা পেয়েছিলাম কি না, মনে নেই।'

কুণাল এ-ও জানিয়েছেন, জেলে সুদীপ্তর সঙ্গে কথা বলে তাঁর মনে হয়েছে, সারদা-কর্ণধার এখনও মুখ খুলতে ভয় পাচ্ছেন। 'উনি প্রথমে ভেবেছিলেন, ছেলে (শুভজিৎ) ও স্ত্রী (পিয়ালি)-কে ধরা হবে না। এই সরকার সে কথা রাখেনি। কিন্তু তার পরে এখনও সরকারের বিরুদ্ধাচরণ করতে পারছেন না সুদীপ্ত। এখনও পুলিশ তথা তৃণমূলের শেখানো বুলি বলছেন। এখনও সুদীপ্তর আশা, ভবিষ্যতে এই নেতা-নেত্রীদের কেউ কেউ ওঁকে ওঁর প্রাপ্য ফিরিয়ে দেবেন।' লিখছেন কুণাল।

চিঠির একটি অংশে কুণাল দাবি করেছেন, সারদা-কাণ্ডে তদন্তরত রাজ্য পুলিশের অফিসারদের তিনি বারবার বিভিন্ন তথ্য দিয়ে সাহায্য করতে চাইলেও পুলিশ তাঁর কথায় কর্ণপাত তো করেইনি, উল্টে বারবার তাঁকে বিভিন্ন মামলায় ফাঁসানোর চেষ্টা করেছে। কোনও জেরা না-করে তাঁকে শুধু এক জেল থেকে অন্য জেলে স্থানান্তরিত করা হচ্ছে। 'পুলিশ যা গল্প সাজাচ্ছে, তা থেকে বেরোব কী করে? প্রশ্ন কুণালের। বন্দি সাংসদের দাবি: তাঁকে বলা হয়েছিল, ১৬৪ ধারা (আদালতে গোপন জবানবন্দি) প্রত্যাহার করে নিলে নতুন করে মামলায় জড়ানো হবে না, ঘনিষ্ঠদের হয়রান করা হবে না। অথচ ১৬৪ প্রত্যাহার করে নেওয়ার পরেও তাঁকে একের পর এক মামলায় ফাঁসানো শুরু হয়েছে বলে চিঠিতে আক্ষেপ করেছেন কুণাল। ইডি'কে তিনি লিখেছেন, 'প্রথমে বিধাননগর কমিশনারেট, তার পরে একের পর এক থানা তদন্তের নামে প্রহসন চলছে! কোথাও জেরা করা হচ্ছে না। কোথাও আমার বক্তব্য নথিভুক্ত করা হচ্ছে না!'

'এরা সবাই মিথ্যেবাদী, সুবিধাবাদী, অকৃতজ্ঞ, বিশ্বাসঘাতক।' বলছেন বন্দি সাংসদ।


সি বি আই জেনেছে, শুধু সারদা ট্রাভেলস সরিয়েছে ৯৮৮ কোটি






সব্যসাচী সরকার

তদম্ত শুরু করার পরেই সি বি আই সারদা-কাণ্ডে পেল বহু চাঞ্চল্যকর তথ্য৷‌ সি বি আইয়ের প্রাথমিক রিপোর্টে যে তথ্য উঠে এসেছে, তা রীতিমতো চমকপ্রদ৷‌ সারদা গোষ্ঠী আমানতকারীর টাকা সরাতে যা যা করণীয়, তার সবই করেছে৷‌ আমানতকারীদের প্রলুব্ধ করতে চ্যানেল ও সংবাদপত্র খুলে প্রচার চালিয়েছে৷‌ প্রাথমিক রিপোর্টে বলা হয়েছে, জানুয়ারি ২০১১ থেকে ফেব্রুয়ারি ২০১১– মাত্র একমাসে ৬০টি ভুয়ো কোম্পানি খোলা হয়৷‌ সারদা ট্যুরস অ্যান্ড ট্রাভেলস, যার প্রথম দিকে ডিরেক্টর ছিলেন খোদ দেবযানী মুখার্জি, সেই সংস্হাই সরিয়ে ফেলেছে ৯৮৮ কোটি ৩৬ লাখ ৭১৮ টাকা৷‌ বড় তথ্য যেটি সি বি আই পেয়েছে, তা হল অডিট রিপোর্ট, অ্যাকাউন্ট বুক এবং ভাউচার তৈরির নকল কাগজপত্র তৈরি করা হয়েছে৷‌ এমনকী অডিট করার সময় রিজার্ভ ব্যাঙ্ক অফ ইন্ডিয়ার নিয়ম মানা হয়নি৷‌ সারদা গোষ্ঠী টাকা সরানোর জন্য ১৬০টি ভুয়ো কোম্পানি খুলেছিল৷‌ যে সংস্হাগুলির কাজকর্ম সম্পর্কে কোনও মানুষই কিছু জানতেন না৷‌ সবই খাতায় কলমের সংস্হা৷‌ সারদা ট্যুরস অ্যান্ড ট্রাভেলসে টাকা কোথা থেকে এসে জমা হত, আর কোথায় যেত, তা নিয়েও প্রশ্ন তুলেছে সি বি আই৷‌ টাকা সরানোর মূল মাথা ছিলেন স্বয়ং সুদীপ্ত সেনই৷‌ তাঁর নির্দেশেই কাগজপত্রে সইসাবুদ করতেন দেবযানী মুখার্জি৷‌ তবে দেবযানী মুখার্জি টাকা সরিয়ে ফেলার সঙ্গে সরাসরি যুক্ত ছিলেন না, বলে তদম্তে সি বি আই পাচ্ছে৷‌ রিপোর্টে সি বি আই জানিয়েছে, সুদীপ্ত সেন, মনোজ নাগেল, দেবযানী মুখার্জি, অরবিন্দ চৌহান, কুণাল ঘোষ, সোমনাথ দত্ত– এঁরা প্রত্যেকেই কোনও না কোনও ভূমিকায় ছিলেন৷‌ এ ছাড়া সি বি আই আরও কয়েকজন 'সন্দেহভাজন' ব্যক্তির খোঁজ চালাচ্ছে৷‌ ব্যাঙ্কের ভূমিকা নিয়েও রিপোর্টে প্রশ্ন তোলা হয়েছে৷‌ এত ব্যাঙ্ক অ্যাকাউন্ট এক-একটি সংস্হার নামে, কেন ব্যাঙ্ক কর্তৃপক্ষ বিষয়টি দেখেননি৷‌ সেক্ষেত্রে ব্যাঙ্ক ম্যানেজারদেরও তদম্তে জেরায় ডাকবে সি বি আই৷‌ টাকা সরানো হয়েছে নিজেদের স্বার্থে৷‌ বিলাস-ব্যসন, বিদেশ ভ্রমণ, গাড়ি ও জমি-বাড়ি কেনায়, বেআইনিভাবে আমানতকারীদের টাকা ব্যবহার করা হয়েছে৷‌ আমানতকারীদের মোটা টাকা ফেরত দেওয়ার প্রতিশ্রুতি দিয়ে, তাঁদের টাকা নয়ছয় করা হয়েছে৷‌ সি বি আই, যাদের বিরুদ্ধে এফ আই আর করেছে, তাদের মধ্যে দু'জনকে চিহ্নিত করেছে 'মূল চক্রী' হিসেবে৷‌ টাকা সরানোর চক্রাম্তে মনোজ নাগেল, অরবিন্দ চৌধুরিরা প্রত্যক্ষভাবে জড়িত, তাদের কাজকর্মে যাতে কোনও 'অসুবিধে' না হয়, সেজন্য প্রভাবশালীদের একাংশকে ব্যবহার করা হয়েছে৷‌ তাদের মোটা টাকা দেওয়া হয়েছে৷‌ ব্যবহার করা হয়েছে পদস্হ সরকারি কর্মীদের একাংশকে, রিপোর্টে এমন সন্দেহ প্রকাশ করা হয়েছে৷‌ প্রাথমিক রিপোর্ট ইতিমধ্যেই তৈরি, তার সঙ্গে ওড়িশা ও আসামে এ রাজ্যের টাকা কীভাবে সরিয়ে রাখা হয়েছে, তারও রিপোর্ট পরবর্তী সময়ে সংযুক্ত করা হবে৷‌ সি বি আইয়ের এক কর্তা জানান, আপাতত যা পাওয়া গেছে, তার ভিত্তিতে রিপোর্ট তৈরি করা হয়েছে৷‌ যথাসময়ে আদালতে আমরা তা জানাব৷‌ সি বি আইয়ের তদম্তকারীরা মনে করছেন, শুধু একটি মাত্র সংস্হা থেকে যদি শয়ে শয়ে কোটি টাকা সরানো হয়ে থাকে, তা হলে অন্যান্য সংস্হা থেকে কত টাকা পাচার হয়েছে? যারা সারদা সংস্হার মোটা বেতনের কর্মী ছিলেন, বিশেষত ডিরেক্টর পদমর্যাদার, টাকা সরানোর ব্যাপারে তাদেরও প্রত্যক্ষ যোগাযোগ ছিল– এমনটাই তদম্তে পাচ্ছে সি বি আই৷‌ শুধু সারদা নয়, তার সঙ্গে কতগুলি অন্য সংস্হাও ঋণ নেওয়া, ঋণ শোধ দেওয়া ইত্যাদিতে যুক্ত ছিল, যা আসলে বেআইনিভাবে টাকা সরানোর একটি প্রক্রিয়া৷‌



সারদার ৪৩ লাইসেন্স বাতিল করতে তিন বছর! তদম্তে সি বি আই


সোমনাথ মণ্ডল


সারদা গোষ্ঠীর বেআইনি ৪৩টি ট্রেড লাইসেন্স বাতিল করতে তিন বছর সময় লাগল কেন, এ বিষয়ে খোঁজখবর শুরু করল সি বি আই৷‌ ২০১০ সালে ৪৫৫ নম্বর ডায়মন্ডহারবার রোডের বেহালার ওই অফিসের একটি ঠিকানাতে লাইসেন্সগুলি ইস্যু করেছিল কলকাতা পুরসভা৷‌ সাব টেনেন্ট হয়ে সারদা কীভাবে এতগুলো লাইসেন্স পেয়েছিল? লাইসেন্সগুলি পাওয়ার ক্ষেত্রে কোনও প্রভাব খাটানো হয়েছিল কিনা, সে বিষয়ে তদম্ত করা হবে বলে জানিয়েছেন সি বি আইয়ের গোয়েন্দারা৷‌ এ ছাড়া আরও ২৫টি লাইসেন্স নেওয়া হয়েছিল বিভিন্ন সংস্হার নামে৷‌ সেগুলিও পরে বাতিল হয়ে যায়৷‌ বৃহস্পতিবার বিধাননগরের সি বি আই অফিসে যান পুরসভার ২৯ নম্বর ওয়ার্ডের কাউন্সিলর প্রকাশ উপাধ্যায়৷‌ লাইসেন্স প্রসঙ্গে তাঁর সঙ্গে প্রায় এক ঘণ্টা কথা বলেন গোয়েন্দারা৷‌ তিনি এদিন বেশ কিছু নথিপত্র তুলে দেন অফিসারদের হাতে৷‌ প্রকাশবাবু বলেন, 'সারদা-কাণ্ড সামনে আসার পর আমি প্রথম পুরসভার অধিবেশনে বিষয়টি তুলি৷‌ তা নিয়ে আলোচনাও হয়৷‌ বিরোধীরাও এ বিষয়ে সরব হয়েছিলেন৷‌' সারদাকে লাইসেন্স দেওয়ার ক্ষেত্রে যাঁরা জড়িত তাঁদের শাস্তির দাবি জানান প্রকাশবাবু৷‌ সি বি আই সূত্রে খবর, প্রকাশবাবু গোয়েন্দাদের জানিয়েছেন, ২০১৩ সালের সেপ্টেম্বরের মাসিক অধিবেশনে তিনি সারদা-কাণ্ড নিয়ে সরব হন৷‌ ফের পরের অধিবেশনেও এ বিষয়ে আলোচনা হয়৷‌ তারপর ওই বছরেরই ডিসেম্বরমাসে কলকাতা পুরসভা বেআইনি ৪৩ লাইসেন্স বাতিল করে দেয়৷‌ সি বি আইয়ের এক অফিসার জানান, লাইসেন্সগুলির বিষয়ে খোঁজখবর শুরু হয়েছে৷‌ প্রকাশবাবু আমাদের কাছে নথি জমা দিয়েছেন৷‌ সেগুলি খতিয়ে দেখা হচ্ছে৷‌ কেন লাইসেন্সগুলি বাতিলে এত সময় লাগল, সে বিষয়েই তদম্ত হবে৷‌ জানা গেছে, এক ভাড়াটের কাছ থেকে বেহালার ওই দোকানঘর ভাড়া নিয়ে ৪৩টি সংস্হার লাইসেন্স পায় সারদা গোষ্ঠী৷‌ ইডি সে বিষয়ে তদম্ত করে সি বি আইয়ের হাতে নথিপত্র তুলে দিয়েছে৷‌ ওই অফিসে তল্লাশিতে মিলেছে বেশ কিছু গুরুত্বপূর্ণ নথি৷‌ সই করা ফাইল৷‌ যা অত্যম্ত গুরুত্বপূর্ণ৷‌ 'সাব টেনেন্ট' হয়ে কেউ বা কোনও সংস্হার ব্যবসার জন্য এতগুলি লাইসেন্স পাওয়ার কথা নয়৷‌ গত বৃহস্পতিবার প্রকাশবাবু ইডি-র এক কর্তাকে এ কথা জানান৷‌ তার পরেই ইডি নথি জোগাড



সারা ক্ষণ টাকার চিন্তায় ভুগতেন সুদীপ্ত

শুভাশিস ঘটক

কলকাতা, ৬ জুন, ২০১৪, ০৩:১৯:৪৩


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সুদীপ্ত সেনের স্ত্রী পিয়ালি। ফাইল চিত্র।

টাকাগুলো সব গেল কোথায়?

এই প্রশ্নের হদিস করতেই সারদা কেলেঙ্কারির ভার সিবিআইকে দিয়েছে সুপ্রিম কোর্ট। সিবিআইয়ের তরফে প্রথম এফআইআর রুজু হওয়ার পরে সেই একই প্রশ্ন ফিরে ফিরে আসছে পিয়ালি সেনের মুখে।

পিয়ালি, সারদার কর্ণধার সুদীপ্ত সেনের স্ত্রী।

এত দিন সিআইডি, ইডি সকলকেই তদন্তের ব্যাপারে সব রকম সহযোগিতা করেছেন বলে পিয়ালির দাবি। এ বার প্রয়োজন হলে সিবিআইকেও সাহায্য করতে প্রস্তুত তিনি। কেননা, তাঁর নিজেরও প্রশ্ন সারদার এত টাকা কোথায় উধাও হয়ে গেল?

কেষ্টপুরে মায়ের ফ্ল্যাটে বসে পিয়ালি বলছিলেন, সকাল থেকে রাত পর্যন্ত স্বামীকে সারাক্ষণ মোবাইলে টাকা নিয়েই কথা বলতে দেখতেন শেষের দিনগুলো। ভোর রাতে বাড়ি ফিরে সকাল ন'টার পর ঘুম থেকে উঠে নিজের তিনটে মোবাইল ফোনে অবিরাম টাকার বিষয়ে কথা বলতেন সুদীপ্ত। অথচ ২০১০-এর পর থেকে স্বামীর ব্যবসা অনেকে বড় হয়েছে বলেই শুনেছিলেন পিয়ালি। সারদার কর্মচারীরা মাঝেমধ্যেই বাড়িতে এসে নানা কাগজে সই করাতেন পিয়ালিকে দিয়ে। তাঁরাও বলতেন, অনেক টাকার ব্যবসা চলছে। কিন্তু তাই যদি হবে, তা হলে সুদীপ্ত সর্বক্ষণ টাকার চিন্তা করেন কেন? এটা পিয়ালি কিছুতেই বুঝতে পারতেন না।

পিয়ালির কথায়, শেষের দিকে সংসার খরচের টাকা চাইলে সুদীপ্ত সাধারণত বলতেন টাকা নেই। বেশি টাকা খরচ করা যাবে না। বেশ কয়েক বার চাওয়ার পর টাকা মিলত। সুদীপ্ত একটা সুমো গাড়িতে ঘুরতেন। এ ছাড়া নিজের তেমন কোনও খরচ ছিল না। হজমের সমস্যা ছিল বলে সেদ্ধ ছাড়া খেতেন না। মদ খেতেন না। নেশা বলতে শুধু সিগারেট। পিয়ালির জিজ্ঞাসা, "তা হলে হাজার হাজার কোটি কোথায় গেল? কোনও হিসেবই আমি মেলাতে পারছি না।"

পিয়ালি লক্ষ করেছেন, অবস্থাটা আরও ঘোরালো হয় ২০১১ সালের পর। তখন থেকে সুদীপ্তবাবু খুব অস্থির হয়ে পড়েছিলেন। সেই সময় বাড়িতে কোনও কথা জিজ্ঞাসা করলেই মেজাজ হারিয়ে ফেলতেন। মোবাইলে সব সময় চেঁচিয়ে বলতেন, "টাকা পাঠাও। আমার টাকার দরকার।" পাগল-পাগল অবস্থা হয়েছিল। ব্লাডসুগার বেড়ে গিয়েছিল। দিনে-রাতে প্রায় এক মুঠো ওষুধ খেতেন সুদীপ্ত।

দীর্ঘদিন ধরে জেলে থাকায় স্বামীর শরীর কতটা ভেঙে গিয়েছে, নিজের চোখে দেখেছেন পিয়ালি। পিয়ালির আর্জি, "সিবিআই স্বামীর শারীরিক অবস্থার দিকেও একটু নজর দিক। জিজ্ঞাসাবাদ করে সারদার টাকার হদিস করুক।" পিয়ালিও চান, আমানতকারীরা টাকা ফেরত পান। তিনি বলছেন, "আমিও তো এখন আমানতকারীদের মতোই সর্বস্বান্ত। আমি এখন বুঝি, আর্থিক সংঙ্কট কী।"

স্বামী জেলে। ব্যাঙ্ক আমানত বাজেয়াপ্ত। বিয়ের গয়নাও বাজেয়াপ্ত হয়ে গিয়েছে। ছেলে-মেয়ের পড়াশোনা বন্ধ। মেয়ের চিকিৎসার টাকা নেই। সম্প্রতি ইডি অফিসে গিয়ে নিজের বাজেয়াপ্ত মোবাইলটি ফেরত পাওয়ার জন্য দরখাস্ত করেছেন। এখন কোনও আত্মীয় গ্যাস সিলিন্ডার দিয়ে সাহায্য করছেন, তো কেউ বিদ্যুতের বিল। কিন্তু এ ভাবে আর কত দিন?

অনটনের জ্বালা এখন মর্মে মর্মে বুঝছেন পিয়ালি। সেই যন্ত্রণা থেকেই তাঁর প্রার্থনা, সিবিআই সারদার টাকাগুলো খুঁজে বার করুক। "আশা করি, সুদীপ্তও সিবিআইকে সব রকম সাহায্য করবে।"      


অন্য মামলায় দেবযানীকে কোর্টে তুলে প্যাঁচে পুলিশ

নিজস্ব সংবাদদাতা


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সারদা গোষ্ঠীর আর্থিক কেলেঙ্কারিতে অন্যতম অভিযুক্ত দেবযানী মুখোপাধ্যায়কে বৃহস্পতিবার ২০১৩ সালে দায়ের করা একটি মামলায় আদালতে তুলেছিল পুলিশ। এবং তাতে নিজেরাই পড়ে গেল বেকায়দায়।

আদালতে তোলার পরে ওই মামলায় দেবযানীকে গ্রেফতারের আর্জি জানায় পুলিশ। সুপ্রিম কোর্টের নির্দেশে সারদার তছরুপ নিয়ে সিবিআই তদন্ত শুরু হওয়ার পরে রাজ্য পুলিশ কোন এক্তিয়ারে দেবযানীকে নতুন একটি মামলায় গ্রেফতার করার আবেদন জানাচ্ছে, এ দিন জানতে চায় আলিপুর আদালত।

পুলিশের কাছে আদালতের প্রশ্ন, বিচারকের কোনও নির্দেশ ছাড়াই কী কারণে আলিপুর মহিলা জেল থেকে দেবযানীকে এ দিন আদালতে হাজির করানো হল? আদালতের নির্দেশ, নতুন ওই মামলার কেস ডায়েরিও আদালতে পেশ করতে হবে তদন্তকারী অফিসারকে। আদালত দেবযানীকে ১৯ জুন পর্যন্ত জেল-হাজতে রাখার নির্দেশ দিয়েছে।

দক্ষিণ ২৪ পরগনার বিষ্ণুপুর থানা এলাকার বাসিন্দা আয়েশা বিবি, সুদীপ্ত সেন, দেবযানী মুখোপাধ্যায় ও অরিন্দম দাসের বিরুদ্ধে ২০১৩ সালে প্রতারণার মামলা দায়ের করেছিলেন।

পুলিশ জানায়, ওই মামলায় দেবযানীকে আলিপুর মহিলা জেল থেকে আলিপুর আদালতে তোলার কথা ছিল ৫ মে। কিন্তু অসুস্থ থাকায় দেবযানীকে ওই দিন আদালতে তোলা যায়নি। ফের কবে দেবযানীকে হাজির করানো হবে, আদালত ওই দিন সেই বিষয়েও কোনও নির্দেশ দেয়নি।

এ দিন আলিপুর আদালতের ভারপ্রাপ্ত অতিরিক্ত মুখ্য বিচার বিভাগীয় ম্যাজিস্ট্রেট কিংশুক সাধুখাঁর সামনে দেবযানীকে হাজির করানো হয়। দেবযানীর আইনজীবী অনির্বাণ গুহঠাকুরতা আদালতে জানান, পুলিশ কোনও নির্দেশ ছাড়াই তাঁর মক্কেলকে হাজির করেছে। সুপ্রিম কোর্টের নির্দেশে সারদা-কাণ্ডের তদন্ত শুরু করেছে সিবিআই। তাই এখন দেবযানীকে গ্রেফতার করে নিজেদের হেফাজতে নেওয়ার কোনও এক্তিয়ারই নেই রাজ্য পুলিশের। একই সঙ্গে তাঁর আবেদন, সুপ্রিম কোর্টের নির্দেশ জেনে বিষ্ণুপুর থানার তদন্তকারী অফিসার কী ব্যবস্থা নিয়েছেন, সরকার পক্ষকে তা আদালতে জানানোর নির্দেশ দেওয়া হোক। সরকারি আইনজীবী আদালতে জানান, সুপ্রিম কোর্টের কোনও নির্দেশ তাঁদের কাছে নেই।

কোন এক্তিয়ারে দেবযানীকে এ দিন আদালতে হাজির করানো হল, তা নিয়ে বিচারক সাধুখাঁ পুলিশকে ১৯ জুনের মধ্যে রিপোর্ট পেশের নির্দেশ দিয়েছেন। সুপ্রিম কোর্ট গত ৯ মে সারদা কাণ্ডে সিবিআই তদন্তের নির্দেশ দেয়। এই পরিপ্রেক্ষিতে পুলিশ কী কী ব্যবস্থা নিয়েছে (যেমন কেস ডায়েরি সিবিআই-কে দিয়েছে কি না), তা-ও আদালতে জানানোর জন্য পুলিশকে নির্দেশ দেওয়া হয়েছে বলে দেবযানীর আইনজীবী জানান।


সারদার সঙ্গেই সুমঙ্গলে তদন্তের পক্ষে হাইকোর্ট


আলুর বন্ড কিনে একশো দিনে টাকা দ্বিগুণ করার বিজ্ঞাপন দিয়েছিল সুমঙ্গল অ্যাগ্রো নামে একটি সংস্থা। অভিযোগ, সংস্থাটি এ ভাবে বাজার থেকে কয়েকশো কোটি টাকা তুলে তা আর আমানতকারীদের ফেরত দেয়নি। কলকাতা হাইকোর্ট চায়, সারদার সঙ্গেই সুমঙ্গলের কাজকারবার নিয়েও তদন্ত হোক। ওই সংস্থার হিসেবপত্র পরীক্ষা করে তাদের বিষয়টিও সারদা গোষ্ঠীর আর্থিক কেলেঙ্কারির তদন্তের সঙ্গে যুক্ত করা যায় কি না, তা খতিয়ে দেখার জন্য বৃহস্পতিবার সিবিআই-কে নির্দেশ দিয়েছে উচ্চ আদালত।

টাকার অঙ্কে সারদার তছরুপ অনেক বড় ঠিকই। কিন্তু সারদা ছাড়াও সুমঙ্গলের মতো অন্য অনেক বেসরকারি লগ্নি সংস্থায় টাকা রেখে ফেরত পাননি অসংখ্য আমানতকারী। এই ধরনের অনেক সংস্থা ঝাঁপ বন্ধ করে দিয়েছে। বিপন্ন হয়ে পড়েছেন এজেন্ট এবং আমানতকারীরা। সারদায় টাকা রেখে যাঁরা সমস্যায় পড়েছেন, তাঁদের কিছু কিছু টাকা ফেরত দেওয়ার জন্য বিচারপতি শ্যামল সেনকে মাথায় রেখে কমিশন গড়েছে রাজ্য সরকার। অন্যান্য লগ্নি সংস্থার লগ্নিকারী ও এজেন্টরা প্রশ্ন তুলেছেন, কমিশন তাঁদের টাকা ফেরানোর ব্যবস্থা করবে না কেন? এই নিয়ে কমিশনের দফতরেই ক্ষোভ প্রকাশ করেছেন আমানতকারীরা। মামলাও হয়েছে। সারদা ছাড়াও অন্যান্য লগ্নি সংস্থায় টাকা রেখে প্রতারিতদের ব্যাপারে বিশেষ ব্যবস্থা নেওয়ার জন্য কমিশনকে নির্দেশ দিয়েছে হাইকোর্ট।

এই পরিপ্রেক্ষিতে সুপ্রিম কোর্টের নির্দেশে সারদা-সহ দেশের অন্তত ৪৫টি বেসরকারি অর্থ লগ্নি সংস্থার বিরুদ্ধে তদন্ত শুরু করেছে সিবিআই। ওই সব সংস্থার বিরুদ্ধে ইতিমধ্যে এফআইআর-ও দায়ের করা হয়েছে। এর মধ্যেই সুমঙ্গল অ্যাগ্রোর কিছু আমানতকারী হাইকোর্টে মামলা করেন। তাঁদের আবেদন শুনে বিচারপতি দীপঙ্কর দত্ত এ দিন নির্দেশ দেন, সুমঙ্গল এখন তাদের কোনও সম্পত্তি বিক্রি করতে পারবে না। সারদার তদন্তের সঙ্গেই সুমঙ্গল কাণ্ড নিয়ে তদন্ত করা যায় কি না, ইতিমধ্যে সিবিআই তা যাচাই করবে।

শুধু সুমঙ্গল নয়, ইনফোটেক টাওয়ার নামে অন্য একটি লগ্নি সংস্থার মামলাও এ দিন উঠেছিল বিচারপতি দত্তের এজলাসে। ওই মামলায় কেন্দ্রীয় সংস্থা সেবি-র কাজে অসন্তোষ প্রকাশ করেন বিচারপতি। আদালতের পর্যবেক্ষণ, বারবার নির্দেশ দেওয়া সত্ত্বেও ইনফোটেক টাওয়ার সংস্থার সম্পত্তির মূল্য কত, সেবি তা জানাচ্ছে না। বিচারপতির নির্দেশ, সোমবারের মধ্যে সেবি-কে এই হিসেব জমা দিতে হবে।

ইনফোটেকের মোট কত সম্পত্তি আছে, গত এপ্রিলে তা জানানোর জন্য সেবি-কে নির্দেশ দিয়েছিলেন বিচারপতি। কিন্তু প্রায় দু'মাস পরেও সেবি সেই একই জায়গায় দাঁড়িয়ে আছে। এ দিনও শুনানির সময় ওই সংস্থার সম্পত্তির মূল্য জানাতে পারেনি তারা। সেবি জানিয়েছে, এখনও কিছু অসুবিধা থেকে যাওয়ায় তারা ওই সংস্থার সম্পত্তির মূল্য নির্ধারণ করে উঠতে পারেনি।

সেবি-র কাজকর্ম নিয়ে সুপ্রিম কোর্টও কিছু অসঙ্গতি পেয়েছিল। বিভিন্ন বেসরকারি লগ্নি সংস্থার ক্ষেত্রে সেবি-র ভূমিকা নিয়ে প্রশ্ন ওঠে নানা মহলে। ইনফোটেকের আমানতকারীরা টাকা ফেরত চেয়ে হাইকোর্টের দ্বারস্থ হন। সেই মামলার সূত্রেই বিচারপতি সেবি-কে ওই সংস্থার সম্পত্তির খোঁজ করে তার বাজারদর যাচাই করতে বলেছেন। যাতে সেই সম্পত্তি বেচে লগ্নিকারীদের টাকা ফেরানো যায়। কিন্তু এ ক্ষেত্রে সেবি-র ভূমিকায় সন্তুষ্ট হতে পারেনি হাইকোর্ট।

কলকাতার চিঠি

সারদা-কাণ্ডে উত্তাল পশ্চিমবঙ্গ

অমর সাহা | আপডেট: ০০:০৪, ডিসেম্বর ০৪, ২০১৩


উত্তপ্ত পশ্চিমবঙ্গের রাজনীতি। এবার ইস্যু সারদা-কাণ্ড। এই ইস্যু নিয়ে এখন তোলপাড় হচ্ছে পশ্চিমবঙ্গের রাজনীতিতে। বিরোধী দলের প্রতিবাদ, মিছিল, সমাবেশে জেরবার হচ্ছে রাজ্য রাজনীতি। পশ্চিমবঙ্গ রাজ্য বিধানসভায় এই ইস্যু নিয়ে বিরোধী বাম দল ইতিমধ্যে তিন দিন বিধানসভার অধিবেশন বয়কট করেছে। রাস্তায় নেমেছেন বাম দল ও কংগ্রেসের নেতা-কর্মীরা। প্রতিবাদে গর্জে উঠেছে বিজেপিও। মোট কথা, এখন পশ্চিমবঙ্গের রাজনীতির প্রধান ইস্যু হয়ে দাঁড়িয়েছে এই সারদা-কাণ্ড।

আগামী বছরের এপ্রিল অথবা মে মাসে অনুষ্ঠিত হতে যাচ্ছে ভারতের পার্লামেন্ট বা সংসদের নিম্নকক্ষ লোকসভার নির্বাচন। সেই নির্বাচনের আগে সারদা-কাণ্ড বিরোধী দলের হাতে নতুন এক অস্ত্র এনে দিয়েছে। আর শাসক তৃণমূল কংগ্রেসকে বাড়িয়ে দিয়েছে অস্বস্তি।

এদিকে সব বিরোধী দলের একটাই দাবি উঠেছে রাজ্যব্যাপী, সারদা-কাণ্ড তদন্ত করাতে হবে ভারতের কেন্দ্রীয় তদন্ত সংস্থা সিবিআই দিয়ে। বিরোধীরা রাজ্য সরকারের পুলিশের তদন্তের ওপর আস্থা রাখতে পারছেন না। রাজ্য সরকারও অনড়—সারদা ইস্যু যাতে সিবিআই পর্যন্ত না গড়ায়। বিরোধী দল যেমন মনে করছে, এই কাণ্ড সিবিআই দিয়ে তদন্ত করালেই বেরিয়ে পড়বে থলের বিড়াল। ফাঁস হয়ে যাবে শাসক দলের বেশ কজন নেতা-মন্ত্রীর নাম। আর সে কারণেই শাসক তৃণমূল কংগ্রেস বা মুখ্যমন্ত্রী এখনো চাইছেন না সারদা-কাণ্ড সিবিআই দিয়ে তদন্ত করাতে। যদিও ইতিমধ্যে এই দাবিতে কলকাতা হাইকোর্টে মামলাও দায়ের হয়েছে অন্তত চারটি। দাবি উঠেছে, সারদা-কাণ্ড তদন্ত করাতে হবে সিবিআই দিয়ে। বিরোধীদের কথা, হাজার হাজার কোটি টাকার নয়ছয়ের হদিস রাজ্য পুলিশ করতে পারবে না। এ জন্য তাঁরা চান ভারতের কেন্দ্রীয় তদন্ত সংস্থার তদন্ত। সিবিআইয়ের তদন্ত। আর এই ইস্যু নিয়ে এখন তোলপাড় হচ্ছে পশ্চিমবঙ্গের গোটা রাজনীতিতে।

কেন সরকারের সিবিআই দিয়ে তদন্ত করাতে এত অনীহা? রাজনৈতিক বিশেষজ্ঞরা মনে করছেন, সিবিআইয়ের তদন্ত হলেই বেরিয়ে পড়বে এই কাণ্ডের সঙ্গে কারা কারা জড়িত, তাঁদের নাম? এই ভয়ে রাজ্য সরকার চাইছে না সিবিআই দিয়ে তদন্ত করাতে।

সারদা গোষ্ঠীর কর্ণধার সুদীপ্ত সেন যখন এ বছরের এপ্রিল মাসে হাজার হাজার কোটি টাকা আত্মসাৎ করে কলকাতা থেকে পালিয়ে যান, তখনই তিনি সিবিআইকে লিখে যান এক চিঠি এবং তাতেই তিনি উল্লেখ করে যান ২২ জনের নাম, যাঁরা সারদা গোষ্ঠীর পতনের মূলে বলিষ্ঠ ভূমিকা নিয়েছিলেন। যদিও ইতিমধ্যে সুদীপ্ত সেনের সেই তালিকায় উল্লিখিত তৃণমূল কংগ্রেসের এক সাংসদ, সাংবাদিক কুণাল ঘোষকে গ্রেপ্তার করেছে পুলিশ। গ্রেপ্তারের দিন আবার কুণাল ঘোষ তাঁর ফেসবুকে সারদা-কাণ্ডের কথা জানেন, এমন ১২ জনের নাম উল্লেখ করে যান। এই তালিকায় রয়েছেন স্বয়ং মুখ্যমন্ত্রীও।

আর এসব ঘটনায় এবার চরম অস্বস্তিতে পড়েছেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। ২০১১ সালে পশ্চিমবঙ্গ বিধানসভা নির্বাচনে জয়ের পর কুণাল ঘোষ হয়ে যান মমতার ছায়াসঙ্গী। যেখানে মমতা, সেখানে কুণাল ঘোষ। আর মমতাও কুণাল ঘোষের ওপর প্রচণ্ড আস্থা রেখে চলছিলেন। এর পুরস্কারও দেন মমতা কুণাল ঘোষকে। ভারতের আইনসভার উচ্চকক্ষ রাজ্যসভার সাংসদ বা এমপি করেন তাঁকে।

এদিকে কুণাল ঘোষকেও কাছে টেনে নেন সারদা গোষ্ঠীর কর্ণধার সুদীপ্ত সেন। সুদীপ্ত সেনও স্বপ্ন দেখতে শুরু করেন মিডিয়াজগৎকে হাতে নেওয়ার। কিনতে থাকেন এক এক করে বিভিন্ন মিডিয়া। প্রিন্ট থেকে ইলেকট্রনিক মিডিয়া। এমনিভাবে সারদার হাতে চলে আসে ১০টি মিডিয়া। কলকাতা ও আসামে বাংলা, ইংরেজি, হিন্দি ও উর্দু ভাষার ছয়টি দৈনিক এবং তারা, চ্যানেল-১০সহ চারটি টিভি চ্যানেল। আর মিডিয়া সেলের সিইও হয়ে যান তিনি।

হঠাৎ ওলটপালট হতে থাকে সারদার সাজানো বাগান। সারদার মালিকানাধীন তারা মিউজিক ও তারা নিউজ চ্যানেলের কর্মীদের অনিয়মিত বেতন দেওয়া শুরু হয়। খবরটি চলে আসে অন্য মিডিয়ায়। কর্মীদের বেতন বাকিও পড়ে। আন্দোলনে নামেন তারা টিভির কর্মকর্তা ও কর্মীরা। এরই মধ্যে এ বছরের ১০ এপ্রিল হঠাৎ গা ঢাকা দেন সারদার কর্ণধার সুদীপ্ত সেন। তোলপাড় হতে থাকে কলকাতার রাজনীতিতে। উঠে আসে সারদার সঙ্গে সংশ্লিষ্ট থাকা শাসক দলের বেশ কজন মন্ত্রী, সাংসদ ও বিধায়কের নাম। উত্তপ্ত হয়ে ওঠে পশ্চিমবঙ্গের রাজনীতি।

সুদীপ্ত সেন কলকাতা থেকে পালিয়ে যাওয়ার সময় একটি চিঠি লিখে যান ভারতের কেন্দ্রীয় গোয়েন্দা সংস্থা সিবিআইকে। ১৮ পাতার ওই চিঠিতেই সুদীপ্ত সেন জানিয়ে যান, কেন তাঁর এত বড় সাম্রাজ্যের পতন হলো। এ জন্য তিনি দায়ী করেছেন শাসক দলের বেশ কজন নেতা, মন্ত্রীসহ ২২ ব্যক্তিকে, যাঁরা তাঁর ওপর চাপ প্রয়োগ করে দিনের পর দিন আর্থিক সুবিধা নিয়েছেন সারদা গোষ্ঠী থেকে।

এই চিঠিকে সুদীপ্ত সেন এফআইআর হিসেবে গণ্য করে মামলা দায়ের করার জন্য অনুরোধও জানিয়ে যান সিবিআইকে। ইতিমধ্যে অর্থলগ্নিকারীদের সাড়ে ১৮ লাখের বেশি আবেদন পড়ে সরকারের কাছে।

এদিকে কুণাল ঘোষ গ্রেপ্তার হওয়ার পর সারদা-কাণ্ড সিবিআইকে দিয়ে তদন্তের জোর দাবি ওঠে। বামফ্রন্ট, কংগ্রেস, বিজেপি—সব দলই এক দাবিতে অনড় থাকে। যদিও মুখ্যমন্ত্রী মমতা জানেন, এই কেলেঙ্কারির তদন্তভার যদি সিবিআইয়ের হাতে চলে যায়, তবে আরও বেরিয়ে পড়বে শাসক দলের কেলেঙ্কারির নানা কাহিনি। ফলে তিনি শুরু করেন সিবিআই তদন্তের বিরোধিতা। অন্যদিকে বিরোধীরাও নাছোড়বান্দা। তাঁরাও শুরু করেন রাজ্যব্যাপী সিবিআই তদন্তের দাবিতে আন্দোলন। সেই আন্দোলন এখনো চলছে। দিনে দিনে জোরদার হচ্ছে।

অমর সাহা: প্রথম আলোর কলকাতা প্রতিনিধি।


বছর পার করেও লড়াইয়ে অক্লান্ত কামদুনির দুই মেয়ে

অরুণাক্ষ ভট্টাচার্য


এক বছর ধরে মিথ্যা আশ্বাস থেকে চোরাগোপ্তা হুমকি, প্রকাশ্যে দাদাগিরি সব সয়েছে কামদুনি। কিন্তু এই দু'টি মেয়েকেই সবচেয়ে বেশি ঝড়ঝাপ্টা সইতে হয়েছে। শাসকদলের হম্বিতম্বি থেকে পুলিশি জেরা কিছুতেই তাঁদের মচকানো যায়নি।

টুম্পা কয়াল নিহত ছাত্রীরই সহপাঠী, বাল্যবন্ধুও। জামাইষষ্ঠীতে প্রথম বার বাপের বাড়িতে এসে তিনি বন্ধুর মর্মান্তিক মৃত্যুর মুখোমুখি হয়েছিলেন। মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় কামদুনি গেলে ভাত ফেলে তাঁর কাছে ছুটেছিলেন টুম্পা। দোষীদের শাস্তির দাবি জানাতে। উল্টে জুটেছিল ধমক 'চোপ'! 'মাওবাদী' তকমাও। সমস্ত শক্তি জড়ো করে টুম্পা পাল্টা বলেছিলেন, "কেন চুপ করব? দিদি আমাদের কথা শুনুন।"

সেই বলা যে কতটা চাপের হতে পারে, তা বোধহয় সেই মুহূর্তে উপলব্ধি করতে পারেননি টুম্পা। কখনও পুলিশি জেরার সামনে পড়তে হয়েছে। কখনও শাসক দলের কর্মী-সমর্থকদের তির্যক মন্তব্যে ভয় ধরেছে। কামদুনি থেকে রাজারহাটে শ্বশুরবাড়িতে ফিরেও তাঁর নিস্তার মেলেনি। এমন বউয়ের জন্য পাড়াছাড়া হওয়ার উপক্রমও হয়েছিল টুম্পার শ্বশুরবাড়ির লোকজনের। চাপের জন্য কয়েক মাস কামদুনিতে বাপের বাড়িতেও যাননি টুম্পা। রটে যায়, টুম্পা ভয় পেয়ে সরে গিয়েছেন 'প্রতিবাদী মঞ্চ'-এর আন্দোলন থেকে।

কিন্তু শনিবার কামদুনি দেখল, টুম্পা পাল্টাননি। বরং তাঁর প্রতিবাদে আরও ধার এসেছে। সাহস জোগাচ্ছেন তাঁর মা, স্বামীও। চোখ দু'টি বড়-বড় করে টুম্পা এ দিন বলেন, "কোনও দিন ভয় পেয়েছেন? আশপাশের সব মানুষ যখন আপনাকে ভয় দেখাচ্ছে? অথচ, আপনি জানেন, কোনও অন্যায় করেননি। শুধু একটা অন্যায়ের প্রতিকার চেয়েছি।" এক নিশ্বাসে টুম্পা বলে চলেছেন, "ভয় পেতে-পেতে আমি এখন ভয়টাকে জয় করে ফেলেছি। আমার বন্ধুর ধর্ষণকারীরা শাস্তি না পাওয়া পর্যন্ত এ বার আমি সবাইকে ভয় দেখিয়ে যাব।" তাঁর স্বামীর কথায়, "ও যা করতে চাইছে, সেটাই ন্যায়। এক জন পুরুষ হয়ে এটুকু বিশ্বাসের যদি সঙ্গ না দিই, তা হলে তো পাপ।" একই মত টুম্পার মা সুমিতাদেবীরও।

সরাসরি আত্মীয়তা বা বন্ধুত্ব না থাকা সত্ত্বেও স্রেফ ন্যায়বিচারের দাবিতে আন্দোলনের আবর্তে নিজেকে জড়িয়ে নিয়েছেন কামদুনির বধূ মৌসুমী কয়াল। গাড়িতে উঠলেই তাঁর বমি হয়। তা সত্ত্বেও এক বছর ধরে কখনও দৌড়েছেন নানা প্রতিবাদী মঞ্চে, কখনও কংগ্রেস সাংসদ অধীর চৌধুরীর সৌজন্যে গিয়েছেন রাষ্ট্রপতি প্রণব মুখোপাধায়ের কাছে। এর মধ্যে কত যে হুমকি শুনতে হয়েছে, বলতে গিয়ে শিউরে উঠছিলেন মৌসুমী। একটি ধর্ষণের মামলায় জড়িয়ে গিয়েছে তাঁর স্বামী বিশ্বজিতের নামও, যা মিথ্যা বলে দাবি করে আসছেন তাঁরা। বিশ্বজিৎ বলেন, "এক বছর ধরে কী ভাবে বেঁচে আছি, জানি না। কত হুমকি ফোন যে পেয়েছি, তার ইয়ত্তা নেই। খুন করে ভেড়ির পাঁকে পুঁতে দেওয়ার কথাও বলা হয়েছে।" মৌসুমী বলছেন, "আমার গ্রামের একটি মেয়ের মৃত্যুর প্রতিবাদ নিজের মৃত্যুর আগের দিন পর্যন্ত করে যাব। কেউ সঙ্গে না থাকে তো, একাই।"

এ দিন কামদুনি প্রতিবাদী মঞ্চের তরফে সকালে এবং তৃণমূল প্রভাবিত শান্তিরক্ষা বাহিনীর উদ্যোগে বিকেলে গ্রামে দু'টি সভা হয়। প্রথম সভায় বিদ্বজ্জনদের পাশাপাশি উপস্থিত ছিলেন বিজেপি নেতা শমীক ভট্টাচার্যও। সভার পরে টুম্পা-মৌসুমীরা চলে যান ধর্মতলায় নারী স্বাধিকার সমন্বয়ের সমাবেশ মঞ্চে। হাজির ছিলেন সুটিয়া-কাণ্ডের অন্যতম সাক্ষী, নিহত বরুণ বিশ্বাসের দিদি প্রমীলা রায়ও। কামদুনি মামলার ধীর গতি নিয়ে ক্ষোভ উগরে দিয়ে মঞ্চের সদস্য তথা স্কুলশিক্ষক প্রদীপ মুখোপাধ্যায় বলেন, "ফাস্ট ট্র্যাক নয়, মনে হচ্ছে লাস্ট ট্র্যাক কোর্টে বিচার চলছে!" নিহত ছাত্রীর পরিবারের লোকজন তাঁদের সঙ্গে যোগ দেননি, বরং মেয়েটির দাদা তৃণমূলের সভায় যান। যেখানে মেয়েটিকে ধর্ষণের পরে খুন করা হয়েছিল, হঠাৎই বিকেলে সেই পরিত্যক্ত কারখানার পাঁচিল ভাঙার চেষ্টা করেন ছাত্রীর ভাই। যে ঘরে ধর্ষণ হয়েছিল, সেখানে কেরোসিন ঢেলে আগুন ধরিয়ে দেন। চিৎকার করতে থাকেন, 'আমাদের ক্ষমা করে দে। এক বছরেও তোর অত্যাচারীরা শাস্তি পেল না। সব মিথ্যা।" পুলিশ ও গ্রামবাসীরা গিয়ে তাঁকে নিরস্ত করেন।

টুম্পা-মৌসুমীরা অবশ্য নিরস্ত হচ্ছেন না। তাঁরা জানান, দ্রুত বিচার চেয়ে প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদী এবং স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী রাজনাথ সিংহের দ্বারস্থ হতে চান তাঁরা। সেই আর্জি নিয়ে বিজেপির রাজ্য সভাপতি রাহুল সিংহের দ্বারস্থও হন তাঁরা। তবে কি 'কামদুনি প্রতিবাদী মঞ্চ' এ বার বিজেপির দিকে ঝুঁকছে? সেই জল্পনা খারিজ করে দিয়ে টুম্পা-মৌসুমী-প্রদীপেরা বলেন, "এত দিনের আন্দোলনে অনেক দলই এসেছে। সমর্থন জানিয়েছে। সমর্থন পাওয়া মানেই কারও প্রভাবে চলা

নয়। এক বছরেও বিচার না পেয়েই আমরা প্রধানমন্ত্রীর সঙ্গে দেখা করার চেষ্টা চালাচ্ছি।"


কামদুনি কান্ড: হতাশ ধর্ষিতার ভাই অকুস্হলে গায়ে আগুন দিল

সোহম সেনগুপ্ত: বিচার না পেয়ে হতাশ কামদুনির নির্যাতিতার ভাই ঘটনাস্হলে আগুন দিল৷‌ কাটারি দিয়ে কোপাল দরজা-জানলা৷‌ নিরস্ত করতে পুলিস এলে আত্মহত্যার হুমকি দিল সে৷‌ কামদুনির ঘটনার এক বছর ছিল শনিবার৷‌ এই এক বছরে বিচার না পেয়ে হতাশ শুধু নির্যাতিতার পরিবার নয়, এলাকার বাসিন্দা থেকে বিশিষ্ট জনেরা৷‌ বিচার আর দোষীদের শাস্তির দাবিতে এদিন কামদুনি থেকে কলকাতার রাজপথে তাঁরা সোচ্চার হয়েছেন৷‌ শ্রদ্ধায় স্মরণ করেন নিহত তরুণীকে৷‌ কামদুনি প্রতিবাদ মঞ্চ প্রধানমন্ত্রীর দ্বারস্হ হচ্ছে৷‌ এ ব্যাপারে সাহায্য চেয়েছে রাজ্য বি জে পি-র কাছে৷‌ হুমকি, আক্রমণেও তাঁরা ভীত নন বলে জানিয়েছেন মৌসুমি, টুম্পা কয়ালরা৷‌ সব থেকে চাঞ্চল্যকর ঘটনা ঘটে এদিন বিকেলে৷‌ শাম্তিরক্ষা কমিটির মিছিল তখন কামদুনি মোড়ের দিকে যাচ্ছিল৷‌ হঠাৎ একটি মোটরসাইকেল নিয়ে নিহত ছাত্রীর ছোট ভাই প্রসেনজিৎ ছুটে যায় আটবিঘা জমি এলাকায়৷‌ এখানেই বছর খানেক আগে তার দিদিকে ধর্ষণ করে খুন করা হয়েছিল৷‌ প্রসেনজিৎ গাড়ির মধ্যে রাখা পেট্রল ভর্তি জারিকেন নিয়ে ঘটনাস্হলের সেই ঘরটিতে আগুন জ্বালিয়ে দেয়৷‌ এর পর কোমর থেকে কাটারি বের করে ঘরের দরজা-জানালা এলোপাথাড়ি কোপাতে থাকে৷‌ ঘটনাস্হলে থাকা পুলিসকর্মীরা ঠেকাতে গেলে প্রসেনজিৎ চিৎকার করে বলতে থাকে তাকে বাধা দিলে সে দা দিয়ে কুপিয়ে আত্মঘাতী হবে৷‌ ঠিক সেই সময় শাম্তিরক্ষা কমিটির মিছিল ঘটনাস্হলে এসে পৌঁছয়৷‌ মিছিলে ছিলেন জেলা তৃণমূল নেত্রী রিঙ্কু দে দত্ত ও অরবিন্দ দাশগুপ্ত৷‌ তাঁদের উদ্দেশে প্রসেনজিৎ চিৎকার করে বলে রাজ্য সরকার তাদের পরিবারের জন্য কিছু করেনি৷‌ তাকে যে কাজ দেওয়া হয়েছে তাও অস্হায়ী৷‌ ঘটনায় হতভম্ব হয়ে যান তৃণমূল নেতারা৷‌ এর পর পুলিস জোর করে তুলে নিয়ে যায় তাকে৷‌ পরে প্রসেনজিৎ ফোনে জানায়, পুলিস তাকে তার মামাবাড়ি শাসনে দিয়ে গেছে৷‌ এই ঘটনার প্রতিক্রিয়ায় দাদা সন্দীপ জানিয়েছেন, ভাই মানসিকভাবে ভেঙে পড়েছে৷‌ এদিনের ঘটনা তাকে কেউ প্ররোচনা দিয়েছে কিনা তা খতিয়ে দেখছে৷‌ এদিকে ধর্ষণ ও খুনের ঘটনার একবছর কেটে গেলেও এখনও অভিযুক্তরা সাজা পায়নি৷‌ তাই শনিবার নির্যাতিতা ছাত্রীর স্মরণসভায় কামদুনির ঘোষপাড়া, কয়ালপাড়া, মণ্ডলপাড়া ও নস্করপাড়ার বাসিন্দারা ঐক্যবদ্ধভাবে ফের জোরদার আন্দোলনে নামার সিদ্ধাম্ত নিয়েছেন৷‌ দোষীদের ফাঁসির দাবির পাশাপাশি তাঁরা ফের সি বি আই তদম্তেরও দাবি জানালেন এদিন৷‌ কামদুনি প্রাইমারি স্কুলের সামনে এদিনের স্মরণসভা শুরু হতেই আচমকা সেখানে বিশ্বজিৎ নস্কর-সহ একদল যুবক প্রতিবাদী মঞ্চের সভাপতি ভাস্কর মণ্ডলকে হুমকি দিয়ে বলে স্মরণসভা আয়োজন করার মাশুল দিতে হবে ভাস্করকে৷‌ আচমকা এই কাণ্ড দেখে হতচকিত হয়ে পড়েন বিশিষ্ট বুদ্ধিজীবী মালিনী ভট্টাচার্য, ভারতী মুৎসুদ্দি, সমীর পুততুন্ড, বি জে পি নেতা শমীক ভট্টাচার্য-সহ উপস্হিত সকলে৷‌ সমীর পুততুন্ড জানান, গণআন্দোলনের মাধ্যমেই ঐক্যবদ্ধভাবে বিচারের শেষদিন পর্যম্ত চাপ রাখতে হবে৷‌ এদিন স্মরণসভায় বক্তব্য রাখতে গিয়ে চোখের জল ধরে রাখতে পারেননি কামদুনির দুই প্রতিবাদী মৌসুমি কয়াল ও টুম্পা কয়াল৷‌ তাঁরা বলেন, এক বছর আগে তাঁরা আন্দোলন শুরু করার সময় একটু ভয় পেয়েছিলেন ঠিকই, কিন্তু এখন তাঁদের আর ভয় নেই৷‌ তাই তাঁরা অভিযুক্তদের ফাঁসির দাবিতে ফের জোরদার আন্দোলনে নামবেন৷‌ আন্দোলন করতে গিয়ে তাঁরা মরতেও ভয় পান না৷‌ এদিকে স্মরণসভার সময় নির্যাতিতার পরিবারের কেউ গ্রামে না থাকায় হতাশ হয়ে পড়েন বাসিন্দারা৷‌ এদিন নারী স্বাধিকার সমন্বয় কমিটি ধর্মতলার ওয়াই চ্যানেলে কামদুনির ঘটনার দোষীদের শাস্তির দাবিতে গণঅবস্হানের ডাক দেয়৷‌ ছিলেন মৌসুমি কয়াল, টুম্পা কয়াল, কামদুনির শিক্ষক প্রদীপ মুখার্জিও৷‌ ছিলেন সুঁটিয়া প্রতিবাদী মঞ্চের প্রমীলা রায় বিশ্বাস৷‌ পশ্চিমবঙ্গ গণতান্ত্রিক মহিলা সমিতির সম্পাদক মিনতি ঘোষ, প্রাক্তন সাংসদ মালিনী ভট্টাচার্য, বিশিষ্ট আইনজীবী ভারতী মুৎসুদ্দি, লেখক আজিজুল হক, কিন্নর রায়, সি পি এম নেত্রী নন্দিনী মুখার্জি, রমলা চক্রবর্তী, প্রাক্তন মন্ত্রী অঞ্জু কর, উত্তর চব্বিশ পরগনার প্রাক্তন জেলা সভাধিপতি অপর্ণা গুপ্ত, প্রাক্তন সাংসদ জ্যোতির্ময়ী শিকদার, প্রাক্তন সাংসদ চন্দ্রকলা পান্ডে, কবি মন্দাক্রাম্তা সেন৷‌ মিনতি ঘোষ বলেন, রাজ্যে নারীদের ওপর আক্রমণ চলছে৷‌ কামদুনি-সহ বিভিন্ন ধর্ষণের ঘটনার দোষীদের কঠোর শাস্তি দিতে হবে৷‌ আমরা শপথ নিচ্ছি ধর্ষণের ঘটনায় দোষীদের যেমন শাস্তি দিতে হবে, তেমনই নারীর সম্মান রক্ষা করতে হবে সকলকে৷‌ রাজ্যে নারী সমাজ সন্ত্রস্ত৷‌ মালিনী ভট্টাচার্য বলেন, নারী নির্যাতনের বিচার চাই৷‌ ভারতী মুৎসুদ্দি বলেন, কামদুনি ঘটনায় সি আই ডি যেভাবে চার্জশিট দিয়েছে তাতে অনেক অভিযুক্তই ছাড়া পেয়ে যাবে৷‌ মামলার সরকারি আইনজীবী দায়িত্ব ঠিকমতো পালন করছেন না৷‌ প্রদীপ মুখার্জি জানান, তাঁরা বিচার চাইতে প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদি ও স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী রাজনাথ সিংয়ের দ্বারস্হ হতে চান৷‌ রাজ্য বি জে পি-র অফিসে গিয়ে তাঁরা সভাপতি রাহুল সিন‍্হাকে এই দুটি চিঠি তুলে দেন৷‌ পরে রাহুল সিন‍্হা বলেন, মুখ্যমন্ত্রী কথা রাখেননি৷‌ ওঁরা এসেছিলেন৷‌ বি জে পি-র সহযোগিতা চেয়েছেন৷‌ তাঁরা এ বিষয়ে চেষ্টা করবেন৷‌ নারী নির্যাতনের ঘটনা যাতে না ঘটে সেদিকে প্রশাসন ও সরকারকে বিশেষ নজর দিতে হবে৷‌ মন্দাক্রাম্তা সেন ও অনুশীলা দাশগুপ্ত কবিতা পাঠ করেন৷‌



নেপথ্য ভাষন -অশোক দাশগুপ্ত

আরও ভাঙন? নিতে পারছি না




পশ্চিমবঙ্গে বি জে পি ১৭ শতাংশ ভোট পেতেই পারে, সবাই ভেবেছেন৷‌ বাড়তি ১১-১২ শতাংশ আসবে কাদের ঝুলি থেকে, প্রশ্ন ছিল সেখানেই৷‌ দেখা গেল, ক্ষয়ক্ষতি হয়েছে মূলত বামপম্হীদেরই৷‌ ৩৫ শতাংশ ভোট পেয়ে যদি ১০ আসনও পেত বামফ্রন্ট, এত তোলপাড় হত না৷‌ নেতা বদলের এমন আওয়াজও বোধহয় শোনা যেত না৷‌


তাহলে প্রশ্ন, বাম ভোট বি জে পি-র দিকে গেল কেন? এক, বাম কর্মী-সমর্থকদের নীতিগত বিশ্বাস দুর্বল হয়েছে৷‌ নাহলে রাতারাতি একেবারে পদ্মে ছাপ কী করে সম্ভব? বামফ্রন্ট কতটা 'বাম' থাকতে পেরেছে, কেন পারেনি, সে প্রশ্ন তাই উঠবেই৷‌ উঠছেই৷‌ দুই, সে দিন আর নেই, যখন বাম ও বামবিরোধী– এইভাবে সরল ভাগ করা যেত৷‌ এখন শাসক (তৃণমূল) বনাম শাসকবিরোধী, এই তৃণমূলবিরোধী ভোট ভাগ হয়েছে৷‌ ৩৯ শতাংশ ভোট পেয়ে ৩৪ আসন তুলে নিতে পেরেছে তৃণমূল৷‌ এমন অনেক বাম সমর্থককে দেখেছি সম্প্রতি, যাঁরা বামপম্হায় বিশ্বাসী নন, মমতা ব্যানার্জির প্রচণ্ড সমালোচক৷‌ ধুর, পাল্টে দেখি, এবার বি জে পি-কে ভোট! পশ্চিমবঙ্গেও ক্রমশ অরাজনৈতিক হাওয়া বইছে৷‌ বামপম্হীদের সামনে বড় চ্যালেঞ্জ এটাই৷‌


সি পি এম রাজ্য কমিটির সাম্প্রতিক বৈঠকে তুমুল বিতর্ক হয়েছে৷‌ কেন্দ্রীয় ও রাজ্য নেতারা তীব্র সমালোচিত৷‌ ব্যক্তিগত কারণে যদি কেউ কেউ বাড়তি উষ্মা প্রকাশ করেও থাকেন, দলের মধ্যে বিতর্ক স্বাগত৷‌ সংবাদমাধ্যমের বড় অংশে এটাকে পার্টির বিপদ হিসেবে দাগানো হয়েছে৷‌ ভুল৷‌ খোলামেলা বিতর্ক হবে না রাজ্য কমিটিতে? উত্তপ্ত হবে না বৈঠক? না হলেই হতাশ হতাম৷‌


হ্যাঁ, পার্টির 'ভেতরে'৷‌ পার্টিতে থেকেও যাঁরা প্রকাশ্যে বিতর্কিত মম্তব্য করেন, তাঁদের জায়গা 'বাইরে'৷‌ জওহরলাল নেহরু বিশ্ববিদ্যালয়ের এক ছাত্রনেতার লেখায় 'বাইরে' শব্দটা ধরে কিছু সমালোচনা পড়লাম৷‌ প্রথমে বুদ্ধদেব ভট্টাচার্য প্রসঙ্গ৷‌ ঠিক, এক বণিকসভায় বুদ্ধদেব বলেছিলেন, 'দুর্ভাগ্যবশত আমি এমন একটা দলে আছি, যে দল বন‍্ধকে সমর্থন করে৷‌' বুদ্ধদেব বিশ্বাস করেন, আন্দোলনের অস্ত্র হিসেবে বন‍্ধ বন্ধ্যা হয়ে গেছে, বরং পেটে লাথি পড়ে গরিব মানুষেরই৷‌ কিন্তু প্রকাশ্যে পার্টির নীতিবিরোধী কথা বলে ঠিক করেননি৷‌ এবং তিনি ভুল স্বীকার করতে দ্বিধা করেননি৷‌ এবার ভোটের পর কংগ্রেসকে সমর্থন করা হতে পারে, এমন কথা মোটেই বলেননি তিনি৷‌ বলেছিলেন, এবার কংগ্রেসের পক্ষে সরকার গড়া অসম্ভব৷‌ বিকল্প সরকার হলে সমর্থন করতেও পারে কংগ্রেস৷‌


বিমান বসু, বুদ্ধদেব ভট্টাচার্য নেতৃত্ব থেকে সরে গেলেই সুদিন ফিরবে? বিমান বসু অব্যাহতি চাইছেন রাজ্য সম্পাদকের পদ থেকে৷‌ বুদ্ধদেব ভট্টাচার্য পার্টির সব পদ থেকে সরে গিয়ে একজন সাধারণ সদস্য হিসেবে থাকতে চান৷‌ কমিউনিস্ট পার্টিতে এভাবে হয় না, পার্টি কংগ্রেসে ও সম্মেলনে বদল তো নানা স্তরে হবেই৷‌ প্রবীণ নেতাদের প্রতি সম্মান কমিউনিস্ট রাজনীতি ও সংস্কৃতির সম্পদ৷‌ তছনছ করে দেবেন না৷‌


জে এন ইউ-ডি এস এফ এবং সেই সংগঠনের ওপরে থাকা নেতারা সম্প্রতি কলকাতায় দুটি সভা করেছেন৷‌ হয়ত আরও হবে৷‌ জে এন ইউ প্রসঙ্গে ঢুকি৷‌ রাষ্ট্রপতি পদে প্রণব মুখার্জিকে সমর্থনের সিদ্ধাম্তকে সমর্থন করি৷‌ জে এন ইউ-এস এফ আই তীব্র বিরোধিতা করেছে৷‌ ইউনিয়নের চারজন ছিলেন পার্টি সদস্য৷‌ এঁরাও যখন সেই সিদ্ধাম্ত প্রকাশ্যে আনলেন, বহিষ্কার৷‌ পার্টি সদস্য হিসেবে সিদ্ধাম্ত মেনে নেওয়া উচিত ছিল, অনিচ্ছা নিয়েও৷‌ কিন্তু, এই তরুণদের ধরে রাখার চেষ্টা হল না কেন? তরুণদের আবেগ বেশি, তাঁদের ক্ষেত্রে আর একটু ধৈর্য ধরা হল না কেন? রেজ্জাক মোল্লার ক্ষেত্রে তো অপরিসীম ধৈর্য দেখানো হয়েছে৷‌ লক্ষ্মণ শেঠের ক্ষেত্রেও৷‌ রেজ্জাক তিন বছর ধরে চূড়াম্ত দলবিরোধী বিষোক্কার করে গেছেন৷‌ এই ধৈর্যের একাংশও কি আবেগপ্রবণ তরুণ কর্মীদের জন্য বরাদ্দ রাখা যেত না? এই বহিষ্কৃত বা বিদ্রোহী তরুণরা কলকাতায় দুটি সভা করলেন৷‌ অসঙ্গত কারণেও রাগ আছে সি পি এম নেতৃত্বের ওপর, এমন কিছু মানুষকেও দেখা গেল৷‌ পোস্টারে এক নেতা, যিনি সরাসরিই কংগ্রেসের সঙ্গে সখ্যের পক্ষে বলতেন৷‌ প্রকাশ্যে মন্দিরে পুজো দিতেন৷‌ আর, রেজ্জাক মোল্লা৷‌ যিনি শ্রেণী সংগ্রামকেই শিকেয় তুলে রাখার পক্ষে সওয়াল করেন৷‌ মুসলিমদের নিয়ে সংগঠন গড়ার চেষ্টা করেছেন, সঙ্গে তফসিলি মানুষ৷‌ ভোটের অঙ্ক কষে দেখিয়েছেন, এই বিভাজনটা সফল হলে, রাজ্যে ক্ষমতা ওই দলেরই৷‌ বেশ তো, নতুন দল করবেন, করুন৷‌ হঠাৎ এই দুটি সভায় তিনি কেন? তাঁকে ডাকাই বা হল কেন, যিনি নিজেকে সর্বাগ্রে একজন কমিউনিস্ট বলেই মনে করেন না?


আলিমুদ্দিনে পার্টির রাজ্য দপ্তরের অদূরে সভায় তিনি বলেন, নেতাদের সরানো হবে৷‌ আজ একটু দূরে সভা করছি, এরপর পার্টি দপ্তরের দরজা ধরে ঝাঁকাব৷‌ ....৷‌ রেজ্জাক সাহেব, তারপর? সোজা পার্টি সম্পাদকের চেয়ারে গিয়ে বসে পড়বেন? তা যখন হবে না, নিজের দলটা গড়ুন৷‌ দেখি৷‌ শুরুতেই হতাশ হয়ে বাম ঐক্যের সন্ধানীদের কাঁধে বোঝা হয়ে চেপে বসবেন না৷‌ করুণ আবেদন৷‌


বদল? সে তো হবেই৷‌ সব স্তরে হবে, যতটা দরকার৷‌ সি পি এম এখনও যথেষ্ট শক্তিশালী দল, কিন্তু বাম আন্দোলনে নেতৃত্ব দিতে হলে নতুন দিশাও দরকার৷‌ পাল্টাতে হবে৷‌ এখনও কোথাও কোথাও হাস্যকর ঔদ্ধত্য দেখি৷‌ আন্দোলনমুখী হওয়ার বদলে ভোট কাটাকুটির ওপর ভরসা রাখতে দেখি৷‌ দায়ী শুধু নেতারা নন, আমাদের মতো সমর্থকরাও, যারা স্রেফ বসে বসে নিন্দামন্দ করি৷‌


সাম্প্রতিক বৈঠকে একজন নাকি, নাকি, বলেছেন যে, রাজ্য কমিটিই ভেঙে দেওয়া হোক৷‌ মানে কী? অ্যাডহক কমিটি হবে? কারা করবে? 'কেন্দ্রীয় শাসন' জারি হবে, ৩৬৫ ধারার মতো?


যাঁরা বাম ঐক্য চান, যাঁরা কমিউনিস্ট পার্টিকে যথাযথ অবস্হানে দেখতে চান, তাঁদের লড়াইকে কিছু সংশয় নিয়েও সেলাম করি৷‌ কিন্তু ভয় হয়৷‌ একে সরাও, ওকে নড়াও, চুরমার করার এই মনোভাব যেন প্রতিষ্ঠিত না হয়৷‌ কমিউনিস্ট আন্দোলনে অনেক ভাঙন দেখেছি৷‌ আর দেখতে চাই না৷‌ সময় পাল্টেছে, এখন ঐক্যের সময়৷‌ ভাঙনের তীরে ঘর বেঁধে যেন বসে আছি আমরা, সাধারণ বাম সমর্থকরা৷‌ না৷‌ আর নয়৷‌ আর নিতে পারব না৷‌




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