Sunday, August 25, 2013
Sudhir Suman कासिम भाई नहीं रहे.
कासिम भाई नहीं रहे. होश सँभालने से लेकर हाल के वर्षों तक हम भोजपुर से भेजी हुई उनकी ख़बरें आकाशवाणी और दूरदर्शन से सुनते रहे. जी मैं जनाब मिर्ज़ा मोहम्मद कासिम की बात कर रहा हूँ. हमेशा जल्दबाजी-सी मुद्रा में रहने वाले, तेज रफ़्तार में बोलने वाले. शायद ही कोई प्रोग्राम हो जिसकी खबर मिलने पर वे न पहुंचे हों. और फिर यह भी बताते कि खबर कब प्रसारित होगी. यह हमेशा लगता था कि सीधे सादे, सरल ह्रदय कासिम भाई जितना प्रत्यक्ष बातें करते रहते थे, उतना ही ख्यालों की किसी दूसरी दुनिया में भी खोये रहते थे, किसी दूसरे आयाम में भी उनका दिमाग सक्रिय रहता था. कामरेड वी.एम और दीपंकर जी की शायद ही कोई सभा या आरा में कोई प्रोग्राम होगा जिसमें उनकी मौजूदगी न रही हो. वे पूरी तैयारी से आते थे और हमेशा सधे हुए सवाल करते थे. हमने जिन नाटकों का मंचन किया उसकी ख़बरें भी उन्होंने दी. पहले साईकिल से चलते थे, बाद के दौर में एक स्कूटर ले ली थी.
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