Friday, 23 August 2013 11:05 |
अरविंद कुमार सेन । फिसलन की रफ्तार इतनी तेज है कि हर गिरावट के साथ अब तक की रिकॉर्ड कमी शब्द चस्पां किया जा रहा है। प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री से लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर तक आश्वासन की पुड़िया बांट चुके हैं, लेकिन रुपए का रोग बढ़ता जा रहा है। शेयर बाजार में हाहाकार मचा हुआ है, इसका असर सूचकांक पर दिख रहा है। कोई नहीं जानता कि रुपए की कीमत में आ रही यह गिरावट कहां जाकर रुकेगी। यूपीए सरकार के मंत्रियों के पास विदेशी निवेश लाने के पुराने नुस्खे के अलावा इस समस्या से निपटने का कोई खाका नहीं है। कर्ज इस गिरावट की आग में तेल डालने का काम कर रहा है।
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Friday, August 23, 2013
रुपए का रोग
रुपए का रोग
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