Thursday, August 8, 2013
Abhishek Srivastava added 6 photos. ''लेखक वस्तुत: अपनी भाषा का आदिवासी होता है'', अपने प्रिय लेखक Uday Prakash की कही यह बात आज जंतर-मंतर पर साकार होती दिखी जब एक साथ बगल-बगल में दो धरने समान सरोकार वाले मित्रों के चलते आपस में जुड़ गए। एक ओर छत्तीसगढ़ की आदिवासी सोनी सोरी को न्याय दिलवाने के लिए धरना था, तो दूसरी ओर भारतीय भाषाओं के ''आदिवासी'' सेनानी श्याम रुद्र पाठक की चलाई मुहिम के समर्थन में समाजवादी जन परिषद के वरिष्ठ सदस्य राजेन्द्र कुमार बिंदल का तीन दिवसीय उपवास। पाठक और सोनी दोनों पर ही राज्य का दमन चक्र चला है। दोनों के मुद्दे बराबर जेनुइन हैं। सुखद यह रहा कि दोनों ही धरनों के बीच मित्रों की लगातार आवाजाही बनी थी। क्या ही अच्छा हो यदि ऐसे ही हम तमाम अलग-अलग मुद्दों पर एक साथ मिलकर कई मोर्चे खुले रखें।
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