Follow palashbiswaskl on Twitter

ArundhatiRay speaks

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Jyoti basu is dead

Dr.B.R.Ambedkar

Tuesday, July 3, 2012

Fwd: [NAINITAL MLA. ( SARITA ARYA )] भड़ास 4 मीडिया के सम्पादक श्री यशवंत जी की...



---------- Forwarded message ----------
From: Prayag Pande <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2012/7/3
Subject: [NAINITAL MLA. ( SARITA ARYA )] भड़ास 4 मीडिया के सम्पादक श्री यशवंत जी की...
To: "NAINITAL MLA. ( SARITA ARYA )" <207286132719040@groups.facebook.com>


भड़ास 4 मीडिया के सम्पादक श्री यशवंत जी की...
Prayag Pande 7:54pm Jul 3
भड़ास 4 मीडिया के सम्पादक श्री यशवंत जी की गिरफ्तारी की खबर पढ़ कर बेहद दुःख हुआ और गुस्सा भी | खबर पढ़ते ही मुझे गाँव मे एक सहपाठी द्वारा सुनाई गई लोक कहानी याद आ गई |मुझसे उम्र में दोएक साल बड़े हमारे सहपाठी श्री रघुनाथ जी अक्सर लोक मुहावरे और कहानियां सुनाया करते थे | इसी क्रम में एक बार उन्होंने किसी गाँव में रहने वाली एक निसंतान विधवा बुजुर्ग महिला की कहानी सुनाई थी | छुटपन में सुनी बाकी सभी कहानियां तो भूल गया | मगर न जाने क्यों अड़तीस -चालीस साल पहले सुनी यह कहानी स्मृति पटल पर मानो छप सी गई | कहानी यूँ है कि-" एक गाँव में निसंतान विधवा बुजुर्ग महिला अकेले रहा करती थीं | दुनियां में उनके अलावा उनका कोई सगा नहीं था | तब हमारे ग्रामीण समाज में जबरदस्त अंध विश्वास का माहौल था | इसी अंध विश्वास के चलते लोगों की मान्यता थी कि निसंतान और विधवा ,जिसका आगे - पीछे कोई न हो , की बददुआ नहीं लेनी चाहिए | इसलिए गाँव के सभी लोग इस महिला से एक निश्चित दूरी बना कर रहते थे | वह बुजुर्ग महिला गाँव वालों की मान्यता और अन्धविश्वास से भली भांति वाकिफ थीं | उन्होंने गाँव के लोगों का मनोविज्ञान पढ़ लिया था | सो गाँव वालों के इस अन्धविश्वास का जबर्दस्त फायदा उठाया | पूरे गाँव में अब इन बुजुर्ग महिला का एकछत्र राज कायम हो गया | वे गाँव में कुछ भी करने को आजाद थीं | समूचा गाँव इन बुजुर्ग महिला के आतंक से त्रस्त था | पर कुछ भी बोलने की हिम्मत किसी में नहीं थी | भय था की अगर उस बुजुर्ग महिला से कुछ बोल दिया या कोई रोक - टोक की तो वे बददुआ दे देंगी और अनिष्ट हो जायेगा | चूँकि वह बुजुर्ग महिला अकेले गाँव में बने अपने कच्चे घर में रहती थी | एक रात को गाँव में नरभक्षी बाघ आया और बाघ ने उन बुजुर्ग महिला को अपना निवाला बना लिया |दिन निकलने पर जब गाँव वालों को इस घटना की जानकारी हुई तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा |गाँव वालों ने सोचा चलो हत्या का आरोप भी नहीं लगा और मुसीबत भी टली | अब गाँव वाले चैन से रह पाएंगे | गाँव के लोगों ने बाघ का पेट भर जाने के बाद महिला के शरीर के शेष बचे हिस्से को एकत्र कर शानदार शवयात्रा निकली | गाजे - बाजों के साथ हँसते - गाते शमशान घाट पहुंचे | एक ओर चिता लगाई ओर दूसरी ओर नाच - गाना शुरू किया | इसी बीच वहां से पास के गाँव के दो -चार समझदार लोग गुजर रहे थे | मानव स्वभाव के मुताबिक उन्होंने पूछा कि भई! क्या बात है ?| कौन गुजरा ?| कैसे गुजरा ?| जो इतना खुश हो रहे हो | गाँव वालों ने उन लोगों को सारा वाकया विस्तार से बताया | तो पडोसी गाँव के ये लोग रोने लगे | गाँव वालों को उन पर बहुत गुस्सा आया | उन्होंने पडोसी गाँव वालों से गुस्से में पूछा - मृतक बुजुर्ग महिला रिश्ते में आपकी क्या लगती थी , जो आप इसके लिए शोक मना रहे हो ?| या आपकी हमसे कोई पुरानी दुश्मनी है , कि आपसे हमारी ख़ुशी बर्दाश्त नहीं हो रही है | इस पर पडोसी गाँव के उनसे कहा - भाई जी मृतक महिला से हमारी किसी किस्म की कोई नाते - रिश्तेदारी नहीं थी | न हम इन महिला को जानते हैं | और न ही हमारी आप गाँव वालों से कोई दुश्मनी है | इन बुजुर्ग महिला की मौत से गाँव के लोगों की मिली राहत और ख़ुशी में हम भी शामिल हैं | हमें बुजुर्गवार महिला के मरने का कतई दुःख नहीं है| हम तो इस बात से बेहद दुखी हैं कि उस बाघ ने आपके गाँव का रास्ता देख लिया भाई!, क्योकि बाघ ने उस महिला को इसलिए अपना शिकार नहीं बनाया कि गांव के लोग उनसे दुखी थे या वह महिला बुरी थी | बाघ ने उन्हें सिर्फ मानव समझ कर अपने शिकार के लिए मारा |"
यशवंत भाई सिर्फ इसलिए गिरफ्तार नहीं हुए कि उन्होंने कोई बहुत बड़ा अक्षम्य अपराध किया हो या वे बहुत बड़े अपराधी हों | उनका सबसे बड़ा अपराध यह है कि वे एक निर्भीक और बेवाक पत्रकार हैं | उन्होंने अपने पत्रकारीय जीवन मे कितनों को बेपर्दा किया है | वे इसी बेवाकी और निर्भीकता कि कीमत चुका रहे हैं | लेकिन बाकी स्वनाम धन्य पत्रकारों को उनकी सच्ची - झूठी , जो भी हो , गिरफ्तारी पर ख़ुशी नहीं मनानी चाहिए | भाई -"बाघ ने गाँव का रास्ता जो देख लिया है "|

View Post on Facebook · Edit Email Settings · Reply to this email to add a comment.

No comments: