एंटो एंटनी/विवेक सिन्हा नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचने का खाका तैयार करने के लिए सरकार मर्चेंट
बैंकर एन एम रॉथ्सचाइल्ड की मदद ले सकती है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया, 'हम विनिवेश पर एक सलाहकार पैनल बनाने की सोच रहे हैं जिसमें दूसरों के अलावा एक्सेंचर, मैकेंजी और अर्नस्ट एंड यंग जैसी कंपनियों को शामिल किया जा सकता है।'
मंत्रालय एन एम रॉथ्सचाइल्ड के साथ अंतिम चरण की बातचीत कर रहा है। 1980 के दशक में निजीकरण अभियान में ब्रिटिश सरकार को खासी मदद देने वाला यह मर्चेंट बैंकर काफी अनुभव रखता है।
रॉथ्सचाइल्ड से भारतीय सरकार को दूसरी चीजों के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की सही वैल्यूएशन तय करने में भी मदद मिल सकती है।
ब्रिटिश गैस, ब्रिटिश स्टील और ब्रिटिश कोल समेत कई इकाइयों के अरबों डॉलर के निजीकरण कार्यक्रम में रॉथ्सचाइल्ड की सहभागिता थी। देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बीएसएनएल, विमानन इकाई नेसिल, कोल इंडिया और स्टील कंपनी राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड सार्वजनिक क्षेत्र की उन इकाइयों में शामिल हैं जिनमें सरकार पहले दौर में अपनी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर सकती है।
सरकार एक बार यह फैसला कर ले कि किन कंपनियों के दरवाजे शेयर बाजार के लिए सबसे पहले खोलने हैं, तो उसके बाद हर पब्लिक इश्यू पर वह सलाहकारों और प्रमुख मैनेजरों से बोली आमंत्रित करेगी। इसके अलावा वह संबंधित कंपनियों के मैनेजमेंट बोर्ड से इजाजत भी लेगी। अधिकारी ने कहा, 'हमने इन सलाहकारों के चयन के लिए पहले ही समग्र और पारदर्शी दिशा-निर्देश मुहैया करा दिए हैं। अगर उम्मीद के मुताबिक चीजें वक्त पर होती हैं तो विनिवेश वाली कंपनियों में लीड मैनेजरों के लिए बोलियां अगस्त की शुरुआत में आ सकती हैं।'
वित्त मंत्रालय विनिवेश के लिए कोई स्तर तय नहीं करना चाहता, क्योंकि इन कंपनियों की लिस्टिंग और हिस्सेदारी की बिक्री बाजार के तब के हालात समेत काफी चीजों पर निर्भर करेगी। नेसिल और बीएसएनएल समेत कई सरकारी कंपनियों के प्रशासनिक मंत्रालयों ने पहले ही साफ कर दिया है कि बाजार की हालात में और सुधार होने पर ही लिस्टिंग कराई जाएगी।
No comments:
Post a Comment