Wednesday, July 1, 2015

छत्तीसगढ़ की धनवार जनजाति की भांति मीणा जनजाति के सभी समानार्थी नामों को जोड़कर संशोधित अधिसूचना जारी करवाने हेतु प्रधानमंत्री को पत्र

छत्तीसगढ़ की धनवार जनजाति की भांति मीणा जनजाति के सभी समानार्थी नामों को जोड़कर संशोधित अधिसूचना जारी करवाने हेतु प्रधानमंत्री को पत्र

जयपुर। हक रक्षक दल (HRD) के राष्ट्रीय प्रमुख डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' ने भारत के प्रधानमंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री, जनजाति मंत्री, अध्यक्ष राष्ट्रीय जनजाति आयोग, नयी दिल्ली और अनेक सांसदों को पत्र लिखकर साग्रह सहयोग मांगा है कि जिस प्रकार से वर्ष 2013 में छत्तीसगढ की धनवार जनजाति के धनुवार और धनुहार दो समानार्थी एवं समकक्ष नामों (Synonyms or Equivalent Names) को जोड़कर जनजातियों की सूची को संशोधित किया गया था, उसी प्रकार से जनजातियों की सूची में ''मीना/Mina'' जनजाति के सभी समानार्थी एवं समकक्ष नामों (Synonyms or Equivalent Names) को जोड़कर संशोधित अधिसूचना जारी करवाई जावे। हक रक्षक दल के राष्ट्रीय प्रमुख डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' अपने पत्र में लिखा है कि-

1. यह कि जनजातियों की सूची में क्रम 9 पर मीना/Mina नाम से अधिसूचित जनजाति राजस्थान में 'मीणा/मीना, मैना/मैणा, मेंना/मेंणा, मेना/मेणा' इत्यादि समानार्थी एवं समकक्ष नामों (Synonyms or Equivalent Names) से जानी और पहचानी जाती रही है।

2. यह कि प्रारम्भ में काका कालेकर आयोग द्वारा उक्त बिन्दु 1 में वर्णित जनजाति को मीणा जनजाति नाम से जनजातियों की सूची में शामिल करने की सिफारिश की थी, लेकिन सरकारी बाबुओं ने मीणा जनजाति को अंग्रेजी में Mina अनुवाद करके क्रम संख्या 9 पर मीणा/Meena के बजाय Mina जनजाति के नाम से अधिनियमित ओर अधिसूचित कर दिया गया।

3. यह कि 1976 में राजभाषा अधिनियम लागू किये जाने के बाद Mina नाम अंग्रेजी में अधिसूचित मीणा जनजाति को को सरकारी अनुवादकों ने हिन्दी में 'मीना' अनुवादित करके मीना/Mina के रूप में जनजातियों की सूची में फिर से अधिनियमित और अधिसूचित कर दिया गया।

4. यह कि इस प्रकार काका कालेकर आयोग द्वारा जिस 'मीणा' जनजाति को जनजातियों की सूची में शामिल करने की सिफारिश की गयी थी, उस जनजाति को सरकारी बाबूओं ने अंग्रेजों ने मीना/Mina जाति बना दिया। जिसके चलते सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर मीणा के साथ-साथ मीना शब्द भी प्रचलन में आ गया। इसी दौरान मीणा जाति के अंग्रेजी नहीं जानने वाले व हिन्दी माध्यम से शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को मीना/मीणा का अंग्रेजी अनुवाद सरकारी पाठशालाओं में सरकारी अध्यापकों द्वाराMeena लिखना सिखाया जाता रहा।

5. यह कि उपरोक्तानुसार मीणा जनजाति को सरकारी बाबुओं और सरकारी अध्यापकों ने मीना/मीणा/Meena बना दिया गया। इसीलिये किन्हीं अपवादों को छोड़कर राजस्थान में सभी मीणाओं को मीना/मीणा/Meena नाम से ही जनजाति के जाति प्रमाण-पत्र बनाये जाते रहे हैं।

6. यह कि स्वतन्त्रता संग्राम में बढचढकर भाग लेने वाले मीणा जनजाति के स्वाभिमानी लोग सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से अत्यधिक पिछड़े होने के बावजूद अत्यधिक लगनशील, परिश्रमी और व्यसनमुक्त जीवन व्यतीत करते रहे हैं। इस कारण प्रारम्भ से ही मीणा जनजाति के अभ्यर्थियों ने प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता अर्जित करके सरकारी नौकरियॉं हासिल की और प्रशासनिक, प्रबन्धकीय और तकनीकी सहित सभी क्षेत्र में अपनी निष्ठा तथा बौद्धिक क्षमताओं का लोहा मनवाया। मगर आरक्षण विरोधी एवं सामाजिक न्याय की अवधारणा के विरोधियों को मीणा जनजाति की सांकेतिक प्रगति भी सहन नहीं हुई। अत: आरक्षण विरोधी शक्तियों ने मीणा जनजाति की उभरती प्रतिभाओं को आरक्षण से वंचित करने के दुराशय से मीणा जनजाति का जनजाति स्टेटस/आरक्षण समाप्त करने का सुनियोजित षड़यंत्र रच डाला। जिसके तहत कोर्ट का सहारा लेकर, सरकारी बाबुओं की गलतियों की सजा मीना/मीणा/Meena जनजाति की वर्तमान युवा पीढी को दी जा रही है। जबकि राजस्थान की मीणा जनजाति के बारे में मौलिक जानकारी रखने वाले हर एक व्यक्ति को इस बात का अच्छी तरह से ज्ञान है कि जनजातियों की सूची में शामिल मीना/Mina जाति को हमेशा से स्थानीय बोलियों में 'मीणा/मीना, मैना/मैणा, मेंना/मेंणा, मेना/मेणा' इत्यादि नामों से बोला और लिखा जाता रहा है। मीणाओं की वंशावली लेखक जागाओं की पोथियों में भी इसके ऐतिहासिक प्रमाण मौजूद हैं। यही वजह है कि राजस्थान सरकार भी राजस्थान हाई कोर्ट को स-शपथ अवगत करवा चुकी है कि मीणा और मीना एक ही जाति है, केवल अंग्रेजी में स्पेलिगं (Meena/Mina i.e. ee/i) का अन्तर है। लेकिन राजस्थान सरकार संशोधित अधिसूचना जारी करवाने हेतु केन्द्र सरकार को सिफारिश नहीं कर रही है। साथ ही राजस्थान सरकार द्वारा मीणा/Meena जनजाति के लोगों को जाति प्रमाण-पत्र जारी नहीं किये जाने और मीना/मीणा/Meena/Mina जनजाति के लोगों के मीणा/Meena जाति के नाम से प्रशासन द्वारा अब से पहले जारी किये जा चुके/बनाये जा चुके जनजाति प्रमाण-पत्रों को मीना/Mina जनजाति के नाम से संशोधित नहीं करने के आदेश भी जारी किये जा चुके हैं। जिससे मीणा जनजाति की उभरती युवा प्रतिभाओं को सामाजिक न्याय और आरक्षण से वंचित करने का षड़यंत्र सफल होता दिख रहा है। लेकिन शांति और सौहार्द के लिये ख्याति प्राप्त राजस्थान की मीना/मीणा/Meena/Mina जनजाति के लोगों को और विशेषकर नौकरी और उच्च शिक्षा की उम्मीद लगाये बैठे मीना/मीणा/Meena/Mina जनजाति के युवा वर्ग को आपकी लोकप्रिय भारत सरकार से संवैधानिक सामाजिक न्याय की पूर्ण उम्मीद है।

आग्रह: अत: उपरोक्तानुसार अवगत करवाते हुए इस संगठन के लाखों समर्थकों, कार्यकताओं और सदस्यों की ओर से साग्रह अनुरोध है कि-समान परिस्थितियों में संविधान अनुच्छेद 342 के प्रावधानों के तहत वर्ष 2013 में संसद के मार्फत भारत सरकार द्वारा छत्तीसगढ की 'धनवार' जनजाति के समानार्थी नाम धनुहार और धनुवार को जनजातियों की सूची में जोड़कर धनवार जनजाति के साथ इंसाफ किया था।

कृपया देखें-The Constitution (Scheduled Tribes) Order (Second Amendment) Bill, 2013. "(b) the Dhanuhar and Dhanuwar communities to the list of Scheduled Tribes in Chhattisgarh. The two communities in Chhattisgarh have been added as synonyms or equivalent names of the Dhanwar community which is currently listed as a Scheduled Tribe in Chhattisgarh."

पुन: उल्लेखनीय है कि राजस्थान सरकार द्वारा हाई कोर्ट में पेश शपथ-पत्र के अनुसार मीणा जनजाति ही मीना जनजाति है। अत: धनवार जनजाति की भांति मीना/Mina जनजाति के सभी निम्न समानार्थी एवं समकक्ष नामों (Synonyms or Equivalent Names) को भी जन जातियों की सूची में जोड़कर निम्न प्रकार से भूतलक्ष्यी प्रभाव सहित संशोधित अधिसूचना जारी किया जाना इंसाफ और न्यायसंगत है :

=====================================================
क्रम 9 : 'मीणा/मीना/Meena/Mina, मैना/मैणा/Maina, मेंना/मेंणा/Mainna, मेना/मेणा/Mena'
=====================================================

डॉ. निरंकुश ने अन्त में लिखा है कि आशा है कि भारत सरकार लोक कल्याण व सामाजिक न्याय की अवधारणा और मीणा जनजाति की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उपरोक्तानुसार वैधानिक कदम उठाकर न्यायप्रिय और लोकप्रिय सरकार संचालित होने का परिचय देगी।

हक रक्षक दल (HRD) के राष्ट्रीय प्रमुख डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' ने मीणा जनजाति के सभी मित्रों से अनुरोध किया है कि पत्र को प्रिटं करवाकर इस पत्र की कम से कम एक लाख प्रति प्रधानमंत्री को भेजी जावें, जिससे भारत सरकार समस्या की गम्भीरता को समझकर तुरन्त संशोधित अधिसूचना जारी करने का न्यायसंगत कदम उठा सके। पत्र की प्रति/इमेज सच का आईना फेसबुक ग्रप से प्राप्त की जा सकती है। या मो. 9875066111 पर सम्पर्क करें।

No comments:

Post a Comment