Monday, October 7, 2013

Fwd: S Teesari Duniya



---------- Forwarded message ----------
From: anand verma <vermada@hotmail.com>
Date: 2013/10/7
Subject: S Teesari Duniya
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समकालीन तीसरी दुनिया, अक्टूबर 2013 अंक अब हमारी वेब साइट पर उपलब्ध है:

इस अंक में

नरेन्द्र मोदी की रैली और 
मीडिया को आईना दिखाती एक रिपोर्ट 

मुजफ्फरनगरः दंगे की नींव पर 'राजनीति' के महल  
अटल तिवारी

मोदी और उनकी राजनीति का विखंडन  
अभिषेक श्रीवास्तव

मोदी का गुजरात विकास मॉडल
मुशर्रफ अली

एक संस्कृति का शोकगीत 
आशीष नंदी
सामाजिक मनोविज्ञानी और बुद्धिजीवी आशीष नंदी का यह लेख 2002 में सेमीनार पत्रिका के 417वें अंक में छपा था। तब गुजरात दंगों के जख्म रिस ही रहे थे। सैकड़ों लोग मारे गए थे और हजारों राहत शिविरों में मवेशियों की तरह कैद जीने की जद्दोजेहद में भयावह स्मृतियों से जूझ रहे थे। नंदी 2002 के इस दंगे को भारत की राजनीति में निर्णायक मोड़ कह रहे थे और उन्होंने दसेक साल पहले लिए नरेंद्र मोदी के एक साक्षात्कार के आधार पर उन्हें तब 'टेक्स्टबुक केस ऑफ फासिज्म' करार दिया था। फासीवाद का यह क्लासिकीय चेहरा आज जब राष्ट्रीय फलक पर उभर चुका है और हर दूसरी खबर नरेंद्र मोदी से शुरू और उन्हीं पर खत्म होती है, नंदी के लेख को दोबारा पढ़ा जाना बेहद जरूरी है... 

प्रो. साई बाबा पर पुलिस का कहर
हेम, राही, साई और ऑपरेशन ग्रीन हण्ट
सीमा आजाद

नेपाल: संविधान सभा के चुनाव की इतनी हड़बड़ी क्यों?
आनंद स्वरूप वर्मा

सीरियाः सत्ता, तेल और हिंसा
हरि रोका

हिरोशिमा त्रासदी से सीरिया तक
जॉन पिल्जर

युद्ध यानी बड़े बजट से संचालित आतंकवाद
लारेंस डेविडसन

सुनीला अब्येसेकेरा का न रहना
सुभाष गाताडे

फिलिस्तीनी कवि ताहा मुहम्मद अली और राहित जोशी की कविताएं और 
मोजांबीक के कथाकार लुई बर्नादो हॉनवाना की कहानी


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