Wednesday, August 21, 2013

Rajiv Nayan Bahuguna मेरे सम्पादक , मेरे संतापक --२७ और होंगे तेरे मैख़ाने से उठने वाले

मेरे सम्पादक , मेरे संतापक --२७ 
और होंगे तेरे मैख़ाने से उठने वाले 
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" डोंट ट्राई टू बार्गेन विद मी अगेन , " मेरे पिता प्रधान मंत्री पर मुसलसल बरस रहे थे . मेरी अंग्रेज़ी जितनी वीक है मेरे पिता की उतनी ही पुष्ट . आखिर जब उन्होंने मुझे अंग्रेज़ी सिखानी थी तब तो वह स्वतंत्र भारत की जेलों में थे . मैंने उनके हाथ से फोन छिना और प्रधान मंत्री से क्षमा याचना की - यह उद्विग्न हैं मान्यवर , मैं शर्मिन्दा हूँ . 
( जारी )

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