Thursday, August 22, 2013

Rajiv Nayan Bahuguna सम्पादक , मेरे संतापक -- २९ कोयम अद्वेत्वादः -----------------

सम्पादक , मेरे संतापक -- २९ 
कोयम अद्वेत्वादः
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निबिड़ अलंकारों से खचित दुर्दम्य हिन्दी मुझे राजेन्द्र माथुर ने सिखाई थी , जो अन्यथा बोध गम्य भाषा प्रयोग करने का दम भरते थे . श्रीमान , इस महान राष्ट्र में कई विश्व विजेता आये और गए , लेकिन कुछ द्वीप अभी भी अविजित हैं . जो हजारों , बल्कि लाखों साल बाद आज भी क्रूर और दम्भी शाशकों को चुनौती दे रहे हैं , मेरे इस वाक्यांश पर नरसिम्हा राव ने फोन काट दिया .
( जारी रहेगा मेरे आका )

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