Saturday, August 24, 2013

फांसी दो , मार दो , काट दो का शोर मचाने वाली भीड़ मत बनिए .

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जिस समाज में कड़ी मेहनत करने वाले करोड़ों लोग गरीब और एक प्रतिशत आरामतलब लोग देश की ज्यादातर दौलत और आमदनी के मालिक हों .

जिस देश में करोड़ों लोगों की ज़मीन को इन अमीरों के लिये सरकारी बंदूकों के दम पर छीनने को विकास बताया जाता हो .

उस देश का आराम तलब अमीर वर्ग अपनी इस लूट को बरकरार रखने के लिये अपने बंदूकधारी मजदूरों अर्थात पुलिस और सेना को बहुत महत्व देता है .

देश के ज्यादातर लोगों को भी इस सेना को ज़रूरी समझने के लिये काल्पनिक डर दिखा कर डराया जाता है .

ये आरामतलब अमीर शोषक और शासक लोग आप को कश्मीरियों का , मणिपुरियों का , बस्तरियों का ,मुसलमानों का , ईसाईयों का डर दिखा कर खुद के हाथ में फांसी देने का, किसी को भी गोली से उड़ा देने का, किसी भी महिला की योनी में पत्त्थर भरने का अधिकार अपने हाथ में ले लेता है .

और आप बेवकूफ बन जाते हैं और इन लुटेरों को खुशी खुशी देश के करोड़ों गरीबों को कुचलने का अधिकार दे देते हैं .

इसे ही शासक़ वर्ग का षड्यंत्र कह जाता है .

इस षड्यंत्र को समझना ही आपको असली नागरिक बनायेगी .

ऐसे समझदार नागरिक ही एक हिंसा मुक्त समाज का निर्माण कर सकते हैं .

फांसी दो , मार दो , काट दो का शोर मचाने वाली भीड़ मत बनिए . 

आपकी मेहनत से मज़े करने वाले तो आपको ऐसा ही बेवकूफ बना कर रखना चाहते हैं .

अगर आज़ाद रहना चाहते हो तो दूसरों की आजादी की भी इज्ज़त करना सीखो .
fr- himanshu kumar

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