Wednesday, August 21, 2013

गिर्दा सा अब कौन ?

गिर्दा सा अब कौन ?

गिरीश तिवारी गिर्दा को हमसे बिछडे 3 साल हो गये, उनके बिना हम उत्तराखण्ड की अभूतपूर्व त्रासदी से जूझ रहे हैं। हमेशा दिलो दिमाग में बसने वाले हमेशा सामान्य बने रहे विराट व्यक्तित्व के धनी गिर्दा को तीसरी पुण्य तिथि पर हृदय से याद करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। 

गिर्दा आप सा स्नेहिल, आप सा सहृद्य, आप सा उदार, आप सा ज्ञानी,आप सा कवि, आप सा चिन्तक, आप सा गायक, आप सा जुझारु आन्दोलनकारी और देश दुनिया के गरीब गुरबों तथा उत्तराखण्ड के लिए प्राण पण से जूझने वाले गिर्दा आपके बिना 3 साल कितने अधूरे हैं, शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है। आज जो कुछ हुआ या हो रहा है वह आपके रहते भी होता लेकिन उससे उबरने की जो राह आप बताते उससे तो हम बंचित ही हैं। आप तवाघाट के भूस्खलन के समय वहां डट गये, उत्तरकाशी भूकम्प के समय आप दौड पडे,नदी बचाओ आन्दोलन में खराब स्वास्थ्य के बावजूद आपने यात्रा पूरी की और आपका बोल व्यापारी अब क्या होगा गीत आन्दोलन का बैनर गीत बन गया।
वन आन्दोलन में-"आज हिमाल तुमुन कैं धत्यौछ-जागा जागा हो म्यारा लाल--" की चेतना आज भी जिन्दा है तो नशा नहीं रोजगार दो आन्दोलन में- "जैंता एक दिन त आलौ उ दिन य दुनी में--" ,उत्तराखण्ड आन्दोलन में आपका उत्तराखण्ड बुलेटिन कौन भूल सकता है। हुडके की थाप पर आप जहां भी खडे हो जाते जन सैलाब आपके पीछे होता। आपने अपने समकक्षी लोक गायक नरेन्द्रसिंह नेगी के साथ जुगलबन्दी के जो सफल प्रयोग किए वह उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन गया। उत्तराखण्ड में ऐसा कौन सा आन्दोलन था जिसमें आप और आपके गीत नहीं रहते।

गिर्दा जो आपाधापी उत्तराखण्ड में मची है कह नहीं सकते वह कब दूर होगी। आप और आपके समय के लोग चीख चीख कर बांधों के खिलाफ सावधान करते रहे लेकिन इस अभूतपूर्व त्रासदी में भी उत्तराखण्ड को डुबाने के साजिश कर्ता उसी लय में हैं। आप उन्हें अब तक ललकार चुके होते लेकिन हम नहीं ललकार पाये है। गिर्दा कितनी बार कहें आप जो करते हम नहीं कर पायेगे। आपके बिना हम कितने अधूरे हैं। यह अधूरा पन कब पूरा होगा, होगा भी या नहीं कह नहीं सकते लेकिन सृष्टि को अपने क्रम में चलना है इसलिए लुटेरों के आगे हथियार डालने के बजाय उनसे लडना ही श्रेयकर होगा,यही श्रद्धांज्लि गिर्दा के लिए सही भी होगी।

साभार : पुरुषोत्तम असनोड़ा

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