Thursday, 11 July 2013 09:18 |
प्रभाकर मणि तिवारी, कोलकाता। पश्चिम बंगाल में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले दौर में राजनीतिक दल चुनावी बिसात पर माओवादी मोहरों के जरिए एक-दूसरे को मात देने की कोशिश कर रहे हैं। पहले दौर में गुरुवार को माओवादी असर वाले जंगलमहल के तीन जिलों-पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुड़ा और पुरुलिया में वोट डाले जाएंगे। इन इलाकों में मैदान में उतरे ज्यादातर उम्मीदवार ऐसे हैं जो पहले माओवादी संगठन में रहे हैं। इनमें से कई के खिलाफ तो हत्या और अपहरण के मामले चल रहे हैं। लेकिन अब मुख्यधारा में वापस आने का प्रयास कर रहा हूं। ग्राम पंचायत सीट जीतने वाले प्रबीर ने कहा- ममता बनर्जी के सत्ता में आने के बाद वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गया था। उसके खिलाफ हत्या के दो मामले हैं। गोपीबल्लभपुर के तृणमूल कांग्रेस विधायक चूड़ामणि हांसदा पूर्व माओवादियों को टिकट देने का बचाव करते हुए कहते हैं कि उन लोगों को जबरन संगठन में शामिल किया गया था। अब ऐसे लोग जीत के बाद सतर्कता बरतें, तो इलाके में माओवादी दोबारा पैर नहीं जमा सकते। इसी तरह बीनपुर के तृणमूल विधायक श्रीकांत महतो कहते हैं- माकपा शासन के दौरान जंगलमहल इलाके के युवा मजबूरन माओवादी दस्ते में शामिल हुए थे। अब वे मुख्यधारा में आना चाहते हैं। उनकी सहायता करना हमारा नैतिक दायित्व है। दूसरी ओर, माकपा ने इतनी बड़ी संख्या में माओवादियों को टिकट देने के लिए तृणमूल कांग्रेस की आलोचना की है। पार्टी के पश्चिम मेदिनीपुर जिला सचिव दीपक सरकार कहते हैं कि तृणमूल ने पूर्व माओवादियों को टिकट देकर इलाके में आतंक फैला दिया है। कई जगह दूसरे लोग डर के मारे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। वे कहते हैं कि तृणमूल ने माओवादियों के खिलाफ दायर मामलों को वापस लेने का भरोसा देकर उनको अपने पाले में कर लिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 20 जून को ही राज्य सरकार को भेजे एक पत्र में चेताया था कि ओड़िशा और महाराष्ट्र की तरह बंगाल में माओवादी वोटरों को डरा-धमका कर कई सीटों पर जीत दर्ज कर सकते हैं। पत्र में सरकार से चुनाव के दौरान खासकर जंगलमहल इलाके में सुरक्षा के मजबूत इंतजाम करने को कहा गया था कि ताकि वोटरों और दूसरे दलों के उम्मीदवारों को डराने-धमकाने के मामलों पर अंकुश लगाया जा सके। http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/1-2009-08-27-03-35-27/48716-2013-07-11-03-54-21 |
Thursday, July 11, 2013
बंदूक की नाल से सत्ता की ढाल तक
बंदूक की नाल से सत्ता की ढाल तक
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