आंबेडकर जयंती के दिन :टल गई एसएससी की परीक्षा
मित्रों लगभग घंटा भर पहले दलित छात्र संगठन के नेता,संजय बौद्ध का एसएमएस आया जिसमें लिखा था,'ssc exam has been postponed .now it will held on 28th april.dasfi ki muhim rang laai….'मित्रों यह सचमुच भारी खुशी की बात है की दलित छात्रों के संगठन ने कर्मचारी चयन आयोग के उस निर्णय को चुनौती देते हुए बड़ा आन्दोलन खड़ा करने की धमकी दिया था,जिसके तहत आगामी रविवार अर्थात आंबेडकर जयंती के दिन(14 अप्रैल ) परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया था.अब उसमे बदलाव लाते हुए 28 अप्रैल को परीक्षा कराने का निर्णय लिया गया है.यह सचमुच छात्रों के साथ आपकी भी विजय है.मैंने इस आशय का एक लेख 8 अप्रैल को पोस्ट/मेल किया था ,जिस पर आपका व्यापक समर्थन मिला था.छात्रों के उस आन्दोलन पर आपके समर्थन का असर हुआ जिस पर आप चाहें तो थोडा खुश हो सकते हैं.लेकिन मित्रों इस पर आप ज्यादा खुश न हों, इसका अनुरोध करूँगा.
मित्रों!आजाद भारत के दलित आन्दोलन की सबसे बड़ी त्रासदी यह रही की हमारे अधिकांश आन्दोलन ही भावनात्मक व अमूर्त मुद्दों(obstract issue)पर संगठित हुए ,भौतिक मुद्दे(materialistic issue) पूरी तरह उपेक्षित रहे.समाज द्वारा उठाये गए ढेरों मुद्दों में सरकार कुछ के सामने झुक गई और हम खुशी से फुले नहीं समाये कि हमने सरकार को झुका दिया,जैसा कि अभी-अभी परीक्षा की तिथि टाल कर आपको खुश होने का मौका दिया गया है.परीक्षा की तिथि टल जाने से आपको भले ही कुछ भावनात्मक सुख मिल गया,पर शक्ति के स्रोतों-आर्थिक.राजनीतिक और धार्मिक-पर 80-85%कब्ज़ा जमाए चिरसुविधाभोगी समुदाय का इससे क्या बिगड गया?अतः अगर आप ऐसी ही सफलता पर इतराते रहे तो समझे आपका फ्यूचर खत्म है.अतः ऐसी सफलताओं पर नाचने के बजाय ऐसी सफलता पर झूमने का मौका तालासें जिससे बहुजनों को लाभ मिले.अगर बाबा साहेब के सम्मान पर ऐसी सफलता से आप खुश हो गए तो शासक –वर्ग थोड़े-थोड़े अंतराल पर आपको खुश का मौका देते रहेंगे पर ,शक्ति के स्रोतों में एक कतरा भी नहीं देंगे.अतः इस सफलता से उत्साहित होकर आप कोई ऐसा मुद्दा उठाने का मन बनायें जिससे दीन-हीन बहुजन समाज की माली हालत में सुधर आ सके .
आंबेडकर जयंती के दिन :टल गई एसएससी की परीक्षा
मित्रों लगभग घंटा भर पहले दलित छात्र संगठन के नेता,संजय बौद्ध का एसएमएस आया जिसमें लिखा था,'ssc exam has been postponed .now it will held on 28th april.dasfi ki muhim rang laai….'मित्रों यह सचमुच भारी खुशी की बात है की दलित छात्रों के संगठन ने कर्मचारी चयन आयोग के उस निर्णय को चुनौती देते हुए बड़ा आन्दोलन खड़ा करने की धमकी दिया था,जिसके तहत आगामी रविवार अर्थात आंबेडकर जयंती के दिन(14 अप्रैल ) परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया था.अब उसमे बदलाव लाते हुए 28 अप्रैल को परीक्षा कराने का निर्णय लिया गया है.यह सचमुच छात्रों के साथ आपकी भी विजय है.मैंने इस आशय का एक लेख 8 अप्रैल को पोस्ट/मेल किया था ,जिस पर आपका व्यापक समर्थन मिला था.छात्रों के उस आन्दोलन पर आपके समर्थन का असर हुआ जिस पर आप चाहें तो थोडा खुश हो सकते हैं.लेकिन मित्रों इस पर आप ज्यादा खुश न हों, इसका अनुरोध करूँगा.
मित्रों!आजाद भारत के दलित आन्दोलन की सबसे बड़ी त्रासदी यह रही की हमारे अधिकांश आन्दोलन ही भावनात्मक व अमूर्त मुद्दों(obstract issue)पर संगठित हुए ,भौतिक मुद्दे(materialistic issue) पूरी तरह उपेक्षित रहे.समाज द्वारा उठाये गए ढेरों मुद्दों में सरकार कुछ के सामने झुक गई और हम खुशी से फुले नहीं समाये कि हमने सरकार को झुका दिया,जैसा कि अभी-अभी परीक्षा की तिथि टाल कर आपको खुश होने का मौका दिया गया है.परीक्षा की तिथि टल जाने से आपको भले ही कुछ भावनात्मक सुख मिल गया,पर शक्ति के स्रोतों-आर्थिक.राजनीतिक और धार्मिक-पर 80-85%कब्ज़ा जमाए चिरसुविधाभोगी समुदाय का इससे क्या बिगड गया?अतः अगर आप ऐसी ही सफलता पर इतराते रहे तो समझे आपका फ्यूचर खत्म है.अतः ऐसी सफलताओं पर नाचने के बजाय ऐसी सफलता पर झूमने का मौका तालासें जिससे बहुजनों को लाभ मिले.अगर बाबा साहेब के सम्मान पर ऐसी सफलता से आप खुश हो गए तो शासक –वर्ग थोड़े-थोड़े अंतराल पर आपको खुश का मौका देते रहेंगे पर ,शक्ति के स्रोतों में एक कतरा भी नहीं देंगे.अतः इस सफलता से उत्साहित होकर आप कोई ऐसा मुद्दा उठाने का मन बनायें जिससे दीन-हीन बहुजन समाज की माली हालत में सुधर आ सके .
आंबेडकर जयंती के दिन :टल गई एसएससी की परीक्षा
मित्रों लगभग घंटा भर पहले दलित छात्र संगठन के नेता,संजय बौद्ध का एसएमएस आया जिसमें लिखा था,'ssc exam has been postponed .now it will held on 28th april.dasfi ki muhim rang laai….'मित्रों यह सचमुच भारी खुशी की बात है की दलित छात्रों के संगठन ने कर्मचारी चयन आयोग के उस निर्णय को चुनौती देते हुए बड़ा आन्दोलन खड़ा करने की धमकी दिया था,जिसके तहत आगामी रविवार अर्थात आंबेडकर जयंती के दिन(14 अप्रैल ) परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया था.अब उसमे बदलाव लाते हुए 28 अप्रैल को परीक्षा कराने का निर्णय लिया गया है.यह सचमुच छात्रों के साथ आपकी भी विजय है.मैंने इस आशय का एक लेख 8 अप्रैल को पोस्ट/मेल किया था ,जिस पर आपका व्यापक समर्थन मिला था.छात्रों के उस आन्दोलन पर आपके समर्थन का असर हुआ जिस पर आप चाहें तो थोडा खुश हो सकते हैं.लेकिन मित्रों इस पर आप ज्यादा खुश न हों, इसका अनुरोध करूँगा.
मित्रों!आजाद भारत के दलित आन्दोलन की सबसे बड़ी त्रासदी यह रही की हमारे अधिकांश आन्दोलन ही भावनात्मक व अमूर्त मुद्दों(obstract issue)पर संगठित हुए ,भौतिक मुद्दे(materialistic issue) पूरी तरह उपेक्षित रहे.समाज द्वारा उठाये गए ढेरों मुद्दों में सरकार कुछ के सामने झुक गई और हम खुशी से फुले नहीं समाये कि हमने सरकार को झुका दिया,जैसा कि अभी-अभी परीक्षा की तिथि टाल कर आपको खुश होने का मौका दिया गया है.परीक्षा की तिथि टल जाने से आपको भले ही कुछ भावनात्मक सुख मिल गया,पर शक्ति के स्रोतों-आर्थिक.राजनीतिक और धार्मिक-पर 80-85%कब्ज़ा जमाए चिरसुविधाभोगी समुदाय का इससे क्या बिगड गया?अतः अगर आप ऐसी ही सफलता पर इतराते रहे तो समझे आपका फ्यूचर खत्म है.अतः ऐसी सफलताओं पर नाचने के बजाय ऐसी सफलता पर झूमने का मौका तालासें जिससे बहुजनों को लाभ मिले.अगर बाबा साहेब के सम्मान पर ऐसी सफलता से आप खुश हो गए तो शासक –वर्ग थोड़े-थोड़े अंतराल पर आपको खुश का मौका देते रहेंगे पर ,शक्ति के स्रोतों में एक कतरा भी नहीं देंगे.अतः इस सफलता से उत्साहित होकर आप कोई ऐसा मुद्दा उठाने का मन बनायें जिससे दीन-हीन बहुजन समाज की माली हालत में सुधर आ सके .
आंबेडकर जयंती के दिन :टल गई एसएससी की परीक्षा
मित्रों लगभग घंटा भर पहले दलित छात्र संगठन के नेता,संजय बौद्ध का एसएमएस आया जिसमें लिखा था,'ssc exam has been postponed .now it will held on 28th april.dasfi ki muhim rang laai….'मित्रों यह सचमुच भारी खुशी की बात है की दलित छात्रों के संगठन ने कर्मचारी चयन आयोग के उस निर्णय को चुनौती देते हुए बड़ा आन्दोलन खड़ा करने की धमकी दिया था,जिसके तहत आगामी रविवार अर्थात आंबेडकर जयंती के दिन(14 अप्रैल ) परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया था.अब उसमे बदलाव लाते हुए 28 अप्रैल को परीक्षा कराने का निर्णय लिया गया है.यह सचमुच छात्रों के साथ आपकी भी विजय है.मैंने इस आशय का एक लेख 8 अप्रैल को पोस्ट/मेल किया था ,जिस पर आपका व्यापक समर्थन मिला था.छात्रों के उस आन्दोलन पर आपके समर्थन का असर हुआ जिस पर आप चाहें तो थोडा खुश हो सकते हैं.लेकिन मित्रों इस पर आप ज्यादा खुश न हों, इसका अनुरोध करूँगा.
मित्रों!आजाद भारत के दलित आन्दोलन की सबसे बड़ी त्रासदी यह रही की हमारे अधिकांश आन्दोलन ही भावनात्मक व अमूर्त मुद्दों(obstract issue)पर संगठित हुए ,भौतिक मुद्दे(materialistic issue) पूरी तरह उपेक्षित रहे.समाज द्वारा उठाये गए ढेरों मुद्दों में सरकार कुछ के सामने झुक गई और हम खुशी से फुले नहीं समाये कि हमने सरकार को झुका दिया,जैसा कि अभी-अभी परीक्षा की तिथि टाल कर आपको खुश होने का मौका दिया गया है.परीक्षा की तिथि टल जाने से आपको भले ही कुछ भावनात्मक सुख मिल गया,पर शक्ति के स्रोतों-आर्थिक.राजनीतिक और धार्मिक-पर 80-85%कब्ज़ा जमाए चिरसुविधाभोगी समुदाय का इससे क्या बिगड गया?अतः अगर आप ऐसी ही सफलता पर इतराते रहे तो समझे आपका फ्यूचर खत्म है.अतः ऐसी सफलताओं पर नाचने के बजाय ऐसी सफलता पर झूमने का मौका तालासें जिससे बहुजनों को लाभ मिले.अगर बाबा साहेब के सम्मान पर ऐसी सफलता से आप खुश हो गए तो शासक –वर्ग थोड़े-थोड़े अंतराल पर आपको खुश का मौका देते रहेंगे पर ,शक्ति के स्रोतों में एक कतरा भी नहीं देंगे.अतः इस सफलता से उत्साहित होकर आप कोई ऐसा मुद्दा उठाने का मन बनायें जिससे दीन-हीन बहुजन समाज की माली हालत में सुधर आ सके .
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