Wednesday, September 12, 2012

बाजार उत्पादन प्रणाली की बदहाली से बेपरवाह, आतंक के विरुद्ध अमेरिका के युद्ध का असर देखना बाकी!

बाजार उत्पादन प्रणाली की बदहाली से बेपरवाह, आतंक के विरुद्ध अमेरिका के युद्ध का असर देखना बाकी!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

बाजार उत्पादन प्रणाली की बदहाली से बेपरवाह, आतंक के विरुद्ध अमेरिका के युद्ध का असर देखना बाकी!घरेलू बाजार में जबरदस्त मजबूती का रुख बरकरार है।अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेजी के रुख से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का संवेदी सूचकांक बुधवार को 23 फरवरी, 2012 के बाद पहली बार 18000 के मनोवैज्ञानिक स्तर से ऊपर बंद हुआ। देश के शीर्ष बैंक आरबीआई की सोमवार को होने वाली बैठक में दरों में कटौती की उम्मीद है। इसी उम्मीद की वजह से बाजार में मजबूती दिख रही है। बाजार में आईआईपी की वृद्धि दर जुलाई में घटकर 0.1 फीसदी हो गई लेकिन इसके बावजूद बाजार में तेजी बनी हुई है। घरेलू बाजार में दोपहर के बाद जबरदस्त मजबूती कायम रही। देश के शीर्ष बैंक आरबीआई की सोमवार को होने वाली बैठक में दरों में कटौती की उम्मीदों से बाजार में तेजी दिखी। आज सेंसेक्स ने छह महीने में पहली बार 18000 के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार किया। सेंसेक्स 147 अंक चढ़कर 18000 और निफ्टी 41 अंक की तेजी के साथ 5431 के स्तर पर बंद हुआ। बाजार में आईआईपी की वृद्धि दर जुलाई में घटकर 0.1 फीसदी हो गई लेकिन इसके बावजूद बाजार मजबूती दिखती रही।दूसरी ओर विश्वभर में अमेरिकी युद्धक अर्थव्यवस्था के हितों का युद्ध और तेज होने के आसार है, जिसमें भारत को सत्तावर्ग ने पार्टनर बना​ ​ दिया है। वैश्विक मंदी युद्ध के कारोबार की वजह से है, इसके मद्देनजर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले लीबिया में अमेरिकी हितों पर हमले की गूंज बाजार में होना तय है। इसके विपरीत औद्योगिक और कृषि उत्पादन करीब करीब ठप हो जाने के बावजूद डालर वर्चस्व की भारतीय अर्थव्यवस्था के माई बाप लोग भारत को अमेरिका बनाने पर तूले हुए हैं। जलसत्याग्रहियों को कहीं जबरन हटाया जा रहा है तो परमाणु पागलपन को जारी ​​रखते हुए प्रतिरोध करने वालों पर गोलियां बरसायी जा रही है। संसद का पूरा सत्र ठप करके लोकतांत्रिक व्यवस्था को गैरप्रासंगिक बना देने वाली राजनीति आर्थिक सुधार अमेरिकी निर्देशन में लागू करते रहने में कोई कसर नही ठोड़ रहा है। नीति निर्धारण करने वाले अर्थशास्त्री न तो जनता और देश की बुनियादी समस्याओं से कोई सरोकार रखते हैं और उनके पास इसका कोई जवाब है, वे तो बस अमेरिकी वित्त सचिव का अनुसरण ​​करते हैं। मध्यपूर्व की आग भारत को झुलसा रही है, पर हम लोग बेखबर है और मीडिया सेनसेक्स के अठारह हजार और सोने के बत्तीस हजार पार कर लेने का जश्न मना रहा है। फेल अमेरिकी अर्थ व्यवस्था का असर अमेरिकी जनता पर हो या नहीं, बाजार और मीडिया, सरकार और सिविल सोसाइटी के तेवर देखकर तो लगता है, भारत का बेड़ा गर्क होना तय है। संसदीय राजनीति ने कालाधन की अर्थ व्यवस्था को जारी रखने के लिए हर इंतजाम चाक चौबंद रखा है। अब चाहे उद्योग ठप हो या फिर कृषि, मारे जायेंगे तो निन्वनब्वे फीसद बहिष्कृत बहुजन ही। बाकी एक फीसद विशिष्ट बाजारू तबके लिए तो दिवाली है।

सनद रहें कि 9/11 की बरसी पर एक बार फिर अमेरिका के इकबाल को चुनौती दी गई है। लीबिया में अमेरिकी दूतावास पर एक बड़ा हमला हुआ है। इस हमले में अमेरिकी राजदूत की मौत हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। अमेरिका ने कहा है कि वो हमले के गुनहगारों को नहीं बख्शेगा। एहतियातन दुनियाभर में अमेरिकी दूतावासों और कूटनीतिज्ञों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। ये घटना अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को भी प्रभावित कर सकती है।कोयला घोटाला, भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम और कांग्रेस की बढ़ती हुई अलोकप्रियता का कोई असर हो या न हो, अमेरिकी विदेश नीति और राजनय का असर भारत के आगामी चुनावों में होना लाजिमी है।भारत में अमेरिकी हितों की हिफाजत के लिए तुरंत ही हरकत में आकर सरकार ने वाशिंगटन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जता दी है , जबकि​ ​ कानून और शासन, आर्थिक सुधारों के शिकार हो रहे हैं निनानब्वे फीसद।इसी बीच बुनियादी ढांचा के लिए वित्त पोषण को मजबूती प्रदान के उद्देश्य से रिजर्व बैंक ने विदेशी बाजारों से ज्यादा धन जुटाने के लिये बाहय वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) नियमों में मंगलवार को छूट दे दी।रिजर्व बैंक की अधिसूचना के अनुसार बुनियादी ढांचा क्षेत्र में शामिल कंपनियों को स्वत: मार्ग के जरिए विदेशी बाजारों से धन (ब्रिज फाइनेंस) जुटाने की मंजूरी दिए जाने का निर्णय किया गया है। ब्रिज फाइनेंस अंतरिम व्यवस्था के रूप में अल्पकालिक ऋण होता है। पूर्व के प्रावधान के तहत कंपनियों को इस प्रकार के धन जुटाने के लिये रिजर्व बैंक से मंजूरी लेनी होती थी।बाजार के बम बम होने के पीछे रिजर्व बैंक की यह कार्रवाई है।

देश के शेयर बाजारों में बुधवार को तेजी का रुख रहा। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 147.08 अंकों की तेजी के साथ 18000.03 पर और निफ्टी 41 अंकों की तेजी के साथ 5,431.00 पर बंद हुआ। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स सुबह 63.18 अंकों की तेजी के साथ 17,916.13 पर खुला और 147.08 अंकों या 0.82 फीसदी तेजी के साथ 18,000.03 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में सेंसेक्स ने 18012.89 के ऊपरी और 17884.96 के निचले स्तर को छुआ।इंटरनैशनल मार्केट्स में चल रही तेजी का असर बुधवार को भारतीय शेयर बाजारों पर देखने को मिला। पिछले 6 महीने में पहली बार सेंसेक्स ने 18 हजार के आंकड़े को पार किया। बुधवार को सेंसेक्स 158.29 अंक चढ़कर 18011.24 और निफ्टी 42.80 अंक चढ़कर 5432.80 पर बंद हुए। टाटा मोटर्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज और लार्सन ऐंड टूब्रो के शेयर में काफी तेजी देखी गई। बाजार की तेजी में मिडकैप शेयरों का योगदान काफी कम रहा।जर्मनी की शीर्ष अदालत द्वारा यूरोक्षेत्र के लिए प्रोत्साहन पैकेज पर मुहर और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नरम मौद्रिक नीति की उम्मीद ने दुनिया भर के बाजारों को मजबूती दी जिसका फायदा देसी बाजारों को बंबई स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स इस साल 23 फरवरी के बाद पहली बार 18000 के पार गया।  

अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक से पहले निवेशकों के सतर्क रवैये के कारण एशियाई बाजार में बुधवार को तेल की कीमत गिरी। अक्टूबर की डिलीवरी के लिए लाइट स्वीट क्रूड का न्यूयार्क का अनुबंध आठ सेंट गिरकर 97.09 डॉलर प्रति बैरल हो गया, जबकि इसी माह की डिलीवरी के लिए ब्रेंट नाथ सी क्रूड छह सेंट गिरकर 115.34 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 14.45 अंकों की तेजी के साथ 5,404.45 पर खुला और 41 अंकों या 0.76 फीसदी तेजी के साथ 5,431.00 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में निफ्टी ने 5,435.55 के ऊपरी और 5,393.95 के निचले स्तर को छुआ।

बीएसई की मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी तेजी रही। मिडकैप सूचकांक 25.29 अंकों की तेजी के साथ 6201.59 पर और स्मॉलकैप सूचकांक 30.40 अंकों की तेजी के साथ 6,610.08 पर बंद हुआ।

बीएसई के 13 सेक्टरों में से 11 में तेजी देखी गई। दो सेक्टरों स्वास्थ्य सेवा और बिजली में क्रमश: 0.43 और 0.98 फीसदी की गिरावट देखी गई।

शेयर कारोबार का नया खिलाड़ी एमसीएक्स-एसक्स ने बुधवार को कहा कि उसका सूचकांक एसएक्स-40 होगा, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के 40 बड़ी बाजार पूंजी और तरल शेयर वाली कम्पनियां होंगी। एमसीएक्स-एसएक्स खुद को प्रमुख एक्सचेंज के रूप में स्थापित कर रही है और एसएक्स-40 बम्बई स्टॉक एक्सचेंज के 30 शेयरों वाले सूचकांक सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के 50 शेयरों वाले सूचकांक निफ्टी के साथ प्रतियोगिता करेगा।

केन्द्र सरकार ने नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास और भारत के अन्य हिस्सों में उसके चार वाणिज्य दूतावासों पर सुरक्षा कड़ी करने का निर्देश दिया है। लीबिया में अमेरिका के शीर्ष राजनयिक की हत्या के बाद यह कदम उठाया गया है।गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने संवाददाताओं से कहा कि हमने देश में सभी अमेरिकी मिशनों पर सुरक्षा कड़ी करने का निर्देश दिया है। नई दिल्ली स्थित दूतावास के अलावा अमेरिका के मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और हैदराबाद में चार वाणिज्य दूतावास भी हैं।
पांचों अमेरिकी राजनयिक मिशनों पर चौबीसों घंटे सुरक्षा रहती है और यहां आने जाने वाले हर व्यक्ति पर कडी नजर रखी जाती है। लीबिया में अमेरिकी राजदूत क्रिस्टोफर स्टीवेन्स और दूतावास के तीन अन्य कर्मचारियों की पूर्वी लीबिया के शहर बेनगाजी में हत्या के कुछ घंटे बाद ही शिन्दे ने यह आदेश दिया।

अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रणव मुखर्जी और मनमोहन सिंह के बाद चिदंबरम की तमाम कवायदों के बावजूद वित्तीय नीतियों की अनुपस्थिति और अर्थ व्यवस्था के बुनियादी ढांचे की समस्याएं जस की तस है। सरकार एकतरफा तौर पर अमेरिका की जीहुजूरी और अमेरिकी अर्थ व्यवस्ता के हितों के मुताबिक आर्थिक सुधार लागू करके आम जनता के खिलाफ अश्वमेध यज्ञ जारी रखे हुए है, जिसमे पुरोहित सभी दलों​ ​ के हैं। खतरे के निशान से ऊपर है डूब में सामिल देश की अर्त व्यवस्था।विनिर्माण, खनन और पूंजीगत उत्पाद क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के कारण औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर जुलाई में 0.1 फीसदी दर्ज हुई, जिससे आर्थिक गतिविधि में नरमी का संकेत मिलता है। इससे आरबीआई सोमवार को मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में ब्याज दरें घटा सकता है।

बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से जुलाई की अवधि में औद्योगिक उत्पादन 0.1 फीसदी घटा। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के आधार पर आकलित कारखाना उत्पादन पिछले साल जुलाई में 3.7 फीसदी बढ़ा था और 2011-12 की अप्रैल से जुलाई अवधि में यह 6.1 फीसदी बढ़ा था।सूचकांक में 75 फीसदी योगदान करने वाले विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन जुलाई के दौरान 0.2 फीसदी घटा, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसमें 3.1 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई थी।अप्रैल से जुलाई के दौरान विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 0.6 फीसदी घटा, जबकि पिछले साल की उक्त चार महीने की अवधि में 6.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई।जुलाई में पूंजीगत उत्पादों का उत्पादन में पांच फीसदी की गिरावट आई, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इस क्षेत्र का उत्पाद 13.7 फीसदी घटा। अप्रैल से जुलाई की अवधि में पूंजीगत उत्पादों का उत्पादन 16.8 फीसदी घटा, जबकि 2011-12 में इस क्षेत्र का उत्पादन 8.2 फीसदी घटा।

बुनियादी ढांचा क्षेत्र से जुड़ी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के प्रमुखों ने आज वित्त मंत्री पी चिदंबरम से मुलाकात की और निवेश बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्धता जताई। इन कंपनियों के अधिकारियों ने सरकार से परियोजना मंजूरी और कोयले की उपलब्धता से जुड़े मुद्दों को सुलझाने का भी आग्रह किया।


बैठक के बाद एनटीपीसी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेश अरूप रायचौधरी ने कहा कि कंपनी की योजना चालू वित्त वर्ष के दौरान 20,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की है। उन्होंने कहा, 'पंूजी निवेश लक्ष्य को शीघ्र हासिल करने के लिए चर्चा जारी है और हमें पूरा विश्वास है कि हम इसे हासिल कर लेंगे।'  रायचौधरी ने कहा, 'कोयला सचिव की मौजूदगी में हमारी कोयले से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। '

उन्होंने उम्मीद जताई कि वित्त मंत्रालय ईंधन स्रोत आवंटन के मुद्दे पर कुछ दिशानिर्देश जारी करेगा। बीएचईएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बी प्रसाद राव ने कहा, 'पहली तिमाही के अंत में ऑर्डर बुकिंग 1.35 लाख करोड़ रुपये की थी। हमारी मुख्य चिंता बिजली क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं से है। हमारा निवेश बिजली क्षेत्र से जुड़ा है। मंजूरी के अलावा कोयला खान आवंटन की दिक्कत बने रहने की आशंका है। '


वित्त मंत्री ने यह बैठक करीब 1.8 लाख करोड़ रुपये नकदी रखने वाली प्रमुख सरकारी कंपनियों की निवेश योजनाओं को शीघ्र निपटाने के लिए बुलाई थी। बैठक में बुनियादी क्षेत्र से जुड़े विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों ने शिरकत की।

औद्योगिक सुस्ती गहराने की खबरों के बीच ब्याज दरों में कटौती के आसार भी नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि देश के बैंको ने अपनी जमा व कर्ज की दरों में भी बदलाव लाना शुरू कर दिया है। देश के दिग्गज निजी बैंक आइसीआइसीआइ ने बुधवार को फिक्स्ड डिपॉजिट [एफडी] दरों को घटाने का एलान किया। सार्वजनिक क्षेत्र के आंध्रा बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने होम लोन को सस्ता कर दिया है।

बाजार के जानकारों का कहना है कि बैंकों ने इस उम्मीद में ये कदम उठाए हैं कि रिजर्व बैंक [आरबीआइ] जल्दी ही नीतिगत ब्याज दरों [रेपो रेट] को कम करेगा। आरबीआइ अगले हफ्ते 17 सितंबर को मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा करेगा।

औद्योगिक उत्पादन की बेहद खस्ताहाल स्थिति में कोई सुधार नहीं आने की सूचनाओं के बीच उद्योग जगत ने भी ब्याज दरों को घटाने के लिए अपना दबाव बढ़ा दिया है। बुधवार को देश के उद्योग चैंबरों- सीआइआइ, फिक्की व एसोचैम ने एक स्वर में सरकार और रिजर्व बैंक से यह मांग की है कि ब्याज दरों में कटौती की जाए नहीं तो औद्योगिक सुस्ती से बाहर आना मुश्किल हो जाएगा।

आइसीआइसीआइ ने 91 दिनों से लेकर पांच वर्ष की मैच्योरिटी वाली एफडी पर ब्याज दरों में आधा फीसद की कमी कर दी है। यह कटौती 11 सितंबर से लागू मानी जाएगी। 45 दिनों तक की खुदरा जमा योजनाओं पर भी ब्याज दरों में बदलाव किया है। कुछ दिन पहले भारतीय स्टेट बैंक ने भी जमा ब्याज दरों को घटाया था। आम तौर जब बैंक जमा दरों को घटाते हैं तो यह माना जाता है कि आने वाले दिनों में कर्ज भी सस्ते होंगे।

वैसे, आंध्रा बैंक ने होम लोन 0.75 फीसद तक सस्ता किया है। तीस लाख रुपये के होम लोन पर ब्याज दर 11 से घटाकर 10.5 फीसद और इससे ज्यादा के कर्ज पर 11.25 से 10.75 प्रतिशत कर दी गई है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने त्योहारी सीजन के लिए होम लोन की नई स्कीम लांच की है। इसमें एक करोड़ रुपये तक के होम लोन के लिए प्रति लाख 915 रुपये की मासिक किस्त तय की गई है। इस स्कीम के तहत 30 वर्षो तक के लिए होम लोन लिए जा सकते हैं। मार्जिन मनी की सीमा भी घटाकर 15 फीसद कर दी है। ग्राहकों को 10 लाख रुपये के उपभोक्ता सामान ऋण देने का भी एलान किया गया है।

कृषि मंत्री शरद पवार ने आज कहा कि मानसून की स्थिति सुधरी है और इस वर्ष अब तक वर्षा की कमी घटकर आठ प्रतिशत रह गयी है लेकिन इसके बावजूद खरीफ मौसम के दौरान दलहन तथा मोटा अनाज के उत्पादन में कमी की आशंका है। पवार ने कहा कि चावल का उत्पादन भी घट सकता है लेकिन घरेलू मांग को पूरा करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार गेहूं, चीनी तथा गैर-बासमती चावल एवं कपास का निर्यात जारी रखेगी।सरकार ने बुधवार देश के सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए कई घोषणाएं की जिसमें मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्र में गरीब परिवारों को वर्ष में न्यूनम 100 दिन की जगह 150 दिन के रोजगार की गारंटी दी गई है। इसके साथ ही सरकार ने सूखा प्रभावित किसानों को राहत देने के लिए चालू वित्तवर्ष में उनके पुनर्निर्धारित फसल ऋण पर ब्याज दर 12 प्रतिशत से घटा कर सात प्रतिशत कर दी है।

कृषि मंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'मानसून की कमी घटकर 8 प्रतिशत रह गयी है और स्थिति सुधरी है। पर बुवाई की स्थिति से यह संकेत नहीं मिलता है कि मोटा अनाज तथा दलहन का उत्पादन पिछले साल के स्तर तक होगा।' उन्होंने कहा, 'चावल की उत्पादकता प्रभावित होगी क्योंकि पानी सही समय पर उपलब्ध नहीं था। लेकिन घरेलू मांग को पूरा करने में दिक्कत नहीं होगी।' पिछले महीने मानसून की स्थिति सुधरी है लेकिन कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात तथा राजस्थान में कमी बरकरार है।

इन चार राज्यों ने 390 से अधिक तालुकों में सूखा घोषित किया है। इसके कारण सरकार ने संकट से निपटने के लिये कई राहत उपायों की घोषणा की है। फसल वर्ष 2011-12 (जुलाई-जून) में देश में रिकार्ड 10.43 करोड़ टन चावल का उत्पादन हुआ जबकि दलहन तथा मोटा अनाज का उत्पादन क्रमश: 1.72 करोड़ टन तथा 4.2 करोड़ टन रहा। पवार ने कहा कि देश के 78 प्रतिशत भागों में सामान्य या अधिक वष्रा हुई जबकि 29 प्रतिशत क्षेत्र में बारिश कम हुई। कृषि मंत्री ने कहा, 'मानसून में सुधार गेहूं के लिए अच्छा होगा।'

अमेरिकी नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय समूह द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के फलस्वरूप ईरान के तेल उत्पादन में 40 प्रतिशत की गिरावट आयी है जिसके कारण उसे करीब नौ अरब डालर प्रति तिमाही का नुकसान उठाना पड़ा।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता विक्टोरिया नुलैंड ने कल यहां संवाददाताओं से कहा, ''मात्र एक साल में ईरान के तेल उत्पादन में 40 प्रतिशत की गिरावट आयी और यह 2011 के प्रतिदिन 25 लाख बैरल से घटकर इस साल जून में 15 लाख बैरल रह गया। नुलैंड ने कहा, इससे ईरान को करीब नौ अरब डालर प्रति तिमाही के राजस्व का नुकसान हुआ। इस प्रकार, अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा ईरान पर बनाया जा रहा दबाव अपना असर दिखाने लगा है। हमें इसे कायम रखने की जरूरत है।'' उन्होंने कहा कि ये आंकड़े उनकी निजी सूचना और दूसरे स्रोतों पर आधारित हैं।

नुलैंड ने कहा कि अमेरिका इस बात को लेकर चिंतित है कि ईरान परमाणु कार्यक्रम पर काम कर रहा है और वह इस बात को साबित करने में असफल रहा है कि यह शांतिपूर्ण उद्येश्यों के लिए है। नुलैंड ने कहा, जैसा कि हमलोगों ने कहा है कि ईरान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष अपने आपको बेदाग साबित करना है और यह बताना है कि वहां किसी प्रकार का सैन्य कार्यक्रम नहीं चल रहा है।

अमेरिका में निर्मित इस्लाम विरोधी एक फिल्म से गुस्साई भीड़ ने मंगलवार रात लीबिया के दूसरे सबसे बड़े शहर बेनगाजी में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास में घुसकर अमेरिकी राजदूत क्रिस्टोफर स्टीवंस और तीन अन्य अमेरिकी कर्मचारियों की हत्या कर दी। हजारों सशस्त्र प्रदर्शनकारियों ने दूतावास को भी आग के हवाले कर दिया। 1979 में काबुल में अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी राजदूत एडॉल्फ डब्स की हत्या भी इसी प्रकार से की गई थी।

विवादित फिल्म के विरोध में लीबिया से पहले मिस्र में प्रदर्शन हुए। काइरो में सैकड़ों लोगों की भीड़ ने अमेरिकी दूतावास में घुसकर वहां इस्लाम के झंडे लहरा दिए। चूंकि ये दोनों घटनाएं 9/11 की 11वीं बरसी के दिन ही घटीं इस कारण अमेरिका समेत दुनिया भर में प्रतिक्रिया हुई है।

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बेनगाजी दूतावास में हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने दुनिया भर में तैनात अमेरिकी राजनयिकों की सुरक्षा बेहद कड़ी करने के आदेश दिए हैं। विवादित फिल्म को बनाने में अमेरिकी पादरी टेरी जोंस की भी भूमिका बताई जा रही है। उन्होंने पिछले साल 9/11 की 10वीं बरसी पर कुरान की प्रतियां जलाने की घोषणा की थी। हालांकि उस वक्त उन्हें ऐसा करने से रोक दिया गया था, लेकिन उनकी घोषणा के बाद दुनिया भर में अमेरिका विरोधी प्रदर्शनों ने हिंसक रूप धारण कर लिया था।

लीबिया के आंतरिक मामलों के मंत्री वानिस अल शरीफ ने बताया कि राजदूत क्रिस्टोफर और तीन अन्य अमेरिकियों पर रॉकेट से हमला किया गया, जिसमें ये चारों मारे गए। प्रदर्शनकारियों ने पहले अमेरिकी वाणिज्य दूतावास को आग लगाई और फिर राजदूत व अन्य तीन लोगों को निशाना बनाया। इससे पहले 'अल जजीरा' ने खबर दी थी कि अमेरिकी राजदूत की मौत दम घुटने से हुई। सीएनएन के अनुसार, हजारों सशस्त्र हमलावरों ने दूतावास की इमारत पर फायरिंग की और देशी बम भी फेंके।

क्रिस्टोफर ने मई 2012 में लीबिया में कार्यभार संभाला था। अरबी भाषा के जानकार क्रिस्टोफर 2007 से 2009 के बीच भी लीबिया में तैनात रहे थे।

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