बाजार को क्यों सता रही है चीन की चिंता
चीन के मंदी में जाने का खतरा पैदा हो गया है और इस वजह से शेयर बाजार के साथ मेटल्स में जोरदार गिरावट आई है। खास तौर पर एल्यूमीनियम, कॉपर और निकल सब पर जोरदार दबाव है।
चीन का शेयर बाजार शंघाई कम्पोजिट जबर्दस्त गिरावट की मार झेल रहा है। शंघाई कम्पोजिट अपने उच्चतम स्तर से इस साल अब तक 22 फीसदी से ज्यादा लुढ़क गया है और 4.5 साल के निचले स्तर पर आ गया है। दरअसल चीन में बैंकों ने दिए बड़े कर्जों के डूबने का खतरा बढ़ गया है।
गौरतलब है कि दुनिया में अमेरिका के बाद चीन दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। चीन का सेंट्रल बैंक पीबीओसी नकदी कसने की तैयारी में है। पीबीओसी के इस फैसले से अनिश्चितता का माहौल बन गया है। चीन में शैडो बैंकिंग का खतरा बढ़ गया है यानि बड़े बैंक ने सस्ती दरों पर छोटे बैंक और ट्रस्ट को कर्ज दिया। छोटे बैंक और ट्रस्ट ने ग्राहकों को जोखिम भरे कर्ज दिए। और, अब जोखिम भरे कर्ज के डूबने का खतरा बढ़ गया है।
दिग्गज ब्रोकरेज हाउस गोल्डमैन सैक्स ने चीन के वित्त वर्ष 2013 और वित्त वर्ष 2014 की जीडीपी ग्रोथ का लक्ष्य घटा दिया है। वहीं दिग्गज रेटिंग एजेंसी फिच ने चीन में बैंकों के कर्ज पर सवाल खड़े किए हैं।
दरअसल चीन के मंदी में जाने की आशंका से कॉपर 3 साल के सबसे निचले स्तर पर आ गया है। एल्यूमिनियम में 1987 के बाद सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। गौरतलब है कि चीन के बाजार बेस मेटल्स के लिए काफी अहम माने जाते हैं। आईएमएफ के मुताबिक बेस मेटल्स का करीब 40 फीसदी खपत चीन में होता है। वहीं चीन कॉपर का सबसे बड़ा कंज्यूमर है। हर साल 8.2 मीट्रिक टन कॉपर की खपत चीन में होती है।
वहीं चीन प्रमुख कृषि फसलों का 23 फीसदी इस्तेमाल करता है। चीन, कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। दुनिया की नॉन-रिन्यूएबल एनर्जी का 20 फीसदी खपत चीन में होता है। चीन, सोने का भी दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है। भारत करीब 900 टन सोना खरीदता है, तो चीन करीब 800 टन सोना खरीदता है।
भारत के कुल बेस मेटल्स के इंपोर्ट का 80 फीसदी चीन पर निर्भर होता है। लिहाजा मंदी के खतरे से चीन उत्पादन घटा सकता है, जिससे भारत की मांग पर असर होगा। पिछले साल दुनिया की ग्रोथ 3 फीसदी रही थी जिसमें सबसे ज्यादा हाथ चीन की ग्रोथ का था।
http://hindi.moneycontrol.com/mccode/news/article.php?id=81923
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