कोयला आपूर्ति गारंटी समझौते के लिए कोल इंडिया ने रखी शर्त, प्रीमियम कोयला खरीदना अनिवार्य!
सोमवार को ही कोलकाता में यूनियनों की बैठक में विनिवेश और विभाजन के खिलाफ बेमियादी हड़ताल पर फैसला होना है।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के डिक्री जारी करने के बाद निजी कंपनियों को कोयला आपूर्ति के लिए कोलइंडिया पर लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है। कोल पूल प्राइसिंग का फैसला हो जाने के बाद यह दबाव और भयंकर हो गया है और इसी के मध्य कोल इंडिया नें भी कोयला आपूर्ति गारंटी समझौते के लिए शर्त रख दी है कि प्रीमियम कोयला खरीदना अब अनिवार्य होगा। कोल इंडिया (सीआईएल) ने कहा है कि नॉन-पावर और कैप्टिव पावर कंपनियों के लिए बेहतर क्वॉलिटी वाला 25 फीसदी प्रीमियम कोयला खरीदना जरूरी होगा। कोल इंडिया के मुताबिक, अगर ये कंपनियां फ्यूल सप्लाई अग्रीमेंट रिन्यू करना चाहती हैं, तो उनके लिए इस शर्त का पालन करना जरूरी होगा। बेहतर ग्रेड का एक टन कोयला लोअर ग्रेड का 1.5 टन कोयला माना जाएगा और इसी हिसाब से सप्लाई का कैलकुलेशन किया जाएगा।अब देखना है कि कोयला मंत्रालय कोल इंडिया के इस कदम का बचाव कितना करते हैं और कोल इंडिया की यूनियनें अपनी कंपनी को बचाने के लिए किस हद तक साथ देती हैं। अफसरों ने हड़ताल का पहले ही ऐलान कर दिया है और सोमवार को ही कोलकाता में यूनियनों की बैठक में विनिवेश और विभाजन के खिलाफ बेमियादी हड़ताल पर फैसला होना है।
कोयला इंडिया भूमिगत खानों में खंभों में बंद दो अरब टन प्रीमियम गुणवत्ता का कोयला निकालने की परियोजनाओं को शुरू करने की योजना बना रही है और अगर यह उपलब्धि हासिल हो गयी तो सीधे हर साल उत्पादन आंकड़ा कम से कम 10 लाख टन बढ़ जाएगा। इसके मद्देनजर कोल इंडिया की यह शर्त कंपनी को संकट से उबारने के लिए कास महत्व की है।इस सिलसिले में वित्तमंत्रालय और वित्तमंत्री पी चिंदंबरम की हुक्म उदुली करना कोल इंडिया प्रबंधन के लिए महंगा साबित हो सकता है।
गौरतलब है कि बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति पर करीब साल भर विवाद चलने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बिजली कंपनियों को आयातित कोयले की बढ़ी हुई लागत का भार उपभोक्ताओं पर डालने की मंजूरी दे दी। इससे घरेलू बाजार में ईंधन की किल्लत दूर हो सकेगी। हालांकि इसके लिए नियामकीय मंजूरी की दरकार होगी। अगर वहां से भी इसे हरी झंडी मिल गई तो देश में बिजली की कीमत औसतन 20 से 25 पैसे प्रति यूनिट तक बढ़ सकती है।छह साल के दौरान (मार्च 2015 तक) पूरी होने वाली करीब 78,000 मेगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता इस निर्णय के दायरे में आएगी। इसमें से 36,000 मेगावॉट क्षमता के संयंत्र 2009 में ही बिजली उत्पादन शुरू कर चुके हं। इस फैसले का ऐलान करते हुए वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, 'बिजली नहीं होने से अच्छा है महंगी बिजली मिलना। 25,000 मेगावॉट क्षमता पर करीब 1 लाख करोड़ रुपये पहले ही निवेश किया जाचुका है। हमारे पास दो ही रास्ते हैं, महंगी बिजली खरीदें या बिना बिजली के रहें।'
कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवल भी वित्त मंत्री के साथ मौजूद थे।
कारपोरेट लाबी का आरोप हैं कि कोल इंडिया को बेहतर ग्रेड के कोयले के खरीदार नहीं मिल रहे हैं। इस वजह से कंपनी ने यह कदम उठाया है। इसकी कीमत इंपोर्टेड वरायटी के कोयले से ज्यादा हो गई है। कोल इंडिया नॉन-पावर और कैप्टिव कंज्यूमर्स को 5.7 करोड़ टन कोयले की सप्लाई करती है। हकीकत तो यह है कि सीआईएल ने हाल में इस कैटिगरी के कोयले की कीमत कम की है। इसके बावजूद खरीदार को इंटरनैशनल वरायटी का कोयला सस्ता और बेहतर क्वॉलिटी का मिल रहा है।कोल इंडिया इस मामले में पहले ही नोटिफिकेशन जारी कर चुका है। इसमें कहा गया है कि इस संबंध में फैसला में पिछली बोर्ड मीटिंग में लिया गया और सभी नॉन-पावर और कैप्टिव कोल कंज्यूमर्स को यह कोयला खरीदना होगा। अगर वे ऐसा नहीं भी करते हैं, तो इस वॉल्यूम की डिलिवरी मान ली जाएगी और कोल इंडिया अपने ग्राहकों को इस हिसाब से कम कोयले की सप्लाई करेगी।
इसके विपरीत कोल इंडिया के चेयरमैन एस. नरसिंह राव ने बताया, 'बेहतर ग्रेड वाला कोयला सीमेंट और स्पंज आयरन जैसे सेक्टरों के लिए होता है, लिहाजा इसे इन सेक्टरों की कंपनियों को खरीदना चाहिए। ये सेक्टर रेग्युलेटेड नहीं हैं। इसलिए हम इन कंपनियों को कम कीमत पर कोयला बेचने के लिए बाध्य नहीं हैं। उनके प्रॉडक्ट की कीमत मार्केट के हिसाब से तय होती है। ऐसे में उन्हें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।'
सरकार ने पिछले साल कोयला खनन कंपनी कोल इंडिया (सीआईएल) को कहा था कि वह बिजली कंपनियों को कुल सालाना करार का कम से कम 80 फीसदी कोयला हर हाल में मुहैया कराए। हालांकि आज मंत्रिमंडल ने फैसला किया कि सीआईएल घरेलू खदानों से चालू वित्त वर्ष में कुल सालाना आपूर्ति अनुबंध का 65 फीसदी कोयला देगी। बाकी आपूर्ति लागत के आधार पर आयात की जा सकती है। बिजली कपंनियों के पास भी खुद कोयला अयात करने का विकल्प होगा। चिदंबरम ने कहा, 'हमने बिजली नियामक को सलाह दी है कि वह आयातित कोयले पर बिजली की लागत बढ़ाने की अनुमति दें ताकि बिजली क्षेत्र में निवेश फायदेमंद बना रहे।'
कोयले की कमी को पूरा करने के लिए सीआईएल को चालू वित्त वर्ष में 60 लाख टन कोयला आयात करना होगा। कोल इंडिया के चेयरमैन एस नरसिंह राव ने कहा, 'कोयला आयात का आंकड़ा हर साल बदल सकता है क्योंकि ईंधन आपूर्ति करार के मुताबिक ही इसे आयात किया जाएगा। लेकिन 2016-17 में हमें कोयला आयात की जरूरत नहीं होगी ।'
नॉन पावर कंपनियों में सीमेंट, पेपर और वैसी सभी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स शामिल हैं, जो बेचने के लिए थर्मल पावर नहीं तैयार करती हैं। प्रीमियम ग्रेड कोयले में एनर्जी कंटेंट 6,400 जीसीवी (ग्रॉस कैलोरिफिक वैल्यू) से 7,000 जीसीवी के बीच होता है। जीसीवी कोयले में एनर्जी कंटेंट मापने का पैमाना है। नॉन प्रीमियम कोयले में 6,400 जीसीवी से कम एनर्जी कंटेंट होता है।
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