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Wednesday, June 26, 2013

हम उनके रक्षक नहीं, तो कम से कम जल्लाद तो न बनें!

हम उनके रक्षक नहीं, तो कम से कम जल्लाद तो न बनें!

26 JUNE 2013 NO COMMENT

बयान मर्लन ब्रांडो ♦ अनुवाद रेयाज़ उल हक़

भारतीय फिल्म उद्योग के रीढ़-विहीन जुगाड़ुओं की भीड़ के बीच इस बयान को याद किये जाने की जरूरत है। यह बयान मशहूर अमेरिकी अभिनेता मर्लन ब्रांडो ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए मिले ऑस्कर अवार्ड को ठुकराते हुए दिया था, जिसे उनकी तरफ से अपाचे आदिवासी समुदाय से आनेवाली अभिनेत्री और नेशनल नेटिव अमेरिकन एफरमेटिव इमेज कमिटी की अध्यक्ष सशीन लिटिलफेदर ने पेश किया था। हालांकि ऑस्कर समारोह में उन्हें पूरा बयान पढ़ने की इजाजत नहीं दी गयी और उन्हें मिनट भर में अपनी बात खत्म कर लेने को कहा गया (इस समय सीमा को पार करने पर मंच से हटा दिये जाने की धमकी दी गयी थी), जिसकी वजह से लिटिलफेदर ने यह बयान समारोह से बाहर प्रेस के सामने पेश किया था। ब्रांडो को यह अवार्ड द गॉडफादर में उनके शानदार अभिनय के लिए दिया गया था। उन्होंने अवार्ड को ठुकराने का साहस दिखाते हुए उन्हीं दिनों अमेरिका के साउथ डकोटा के वुंडेड नी में अमेरिकी फौज द्वारा संघर्षरत अमेरिकी इंडियनों की हत्याओं और भारी दमन की तरफ दुनिया का ध्यान खींचा था। इस संघर्ष में मर्लन ब्रांडो, एंजेला डेविस, जेन फॉन्डा और दर्जनों बुद्धिजीवी, कलाकार, कार्यकर्ताओं ने संघर्षरत आदिवासियों का साथ दिया था। ब्रांडो ने सिर्फ इसी घटना नहीं, बल्कि आदिवासियों और ब्लैक लोगों के निरंतर शोषण का हवाला भी दिया है। यह बयान आज के भारत में मौजूं है, जब भारतीय राज्य यहां के आदिवासियों, दलितों और मुस्लिमों के खिलाफ युद्धरत है। आतंक के खिलाफ युद्ध और ऑपरेशन ग्रीन हंट जैसे फौजी, हिंसक अभियानों के तहत भारतीय राज्य द्वारा जनता के खिलाफ हमले जारी हैं। यहां भी राजसत्ता आदिवासियों को सबसे पहले हथियार रख देने को कहती है और उसके बाद जनसंहारों के सिलसिले शुरू करती है। यह पोस्ट इस उम्मीद में कि अगर आप अपने भाइयों के मुहाफिज नहीं बने, तो उनके जल्लाद भी नहीं बनेंगे: रेयाज़ उल हक़

बेवर्ली हिल्स, कैलिफॉर्निया

जोइंडियन लोग अपनी जमीन, अपनी जिंदगी, अपने परिवारों और आजाद होने के अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं, उनसे दो सौ वर्षों से हम यह कहते आये हैं : 'अपने हथियार रख दो, मेरे दोस्तों और तब हम साथ रहेंगे। केवल तभी, जब तुम अपने हथियारों को रख दोगे, मेरे दोस्त, हम शांति के बारे में बात कर सकतें हैं और एक ऐसे करार पर पहुंच सकते हैं, जो तुम्हारे लिए अच्छी होगी।'

जब उन्होंने अपने हथियार रख दिये, हमने उनका कत्ल किया। हमने उनसे झूठ बोला। हमने धोखे से उन्हें उनकी जमीन से बेदखल किया। हमने उन्हें भुखमरी ही हालत में पहुंचा कर धोखेबाजी भरे करार पर दस्तखत कराये, जिन्हें हम संधियां कहते हैं और कभी उन पर कायम नहीं रहते। हमने एक ऐसे महादेश में उन्हें भिखारी बना दिया जिसने जिंदगी दी है, तब से जब से कोई याद कर सकता है। इतिहास की किसी भी व्याख्या से, चाहे उसे कितना भी तोड़ा मरोड़ा जाए, हमने अच्छा काम नहीं किया है। हमने जो किया है, वह न कानून के मुताबिक है और न ही इंसाफ के लिहाज से जायज। उनके लिए, हमें उन लोगों को फिर से स्थापित नहीं करना है, हमें किसी करार को पूरा नहीं करना है, क्योंकि हमारी ताकत ने हमें यह चरित्र बख्शा है कि हम दूसरों के अधिकारों पर, उनकी संपत्ति छीनने के लिए, उनकी जिंदगियां खत्म करने के लिए हमले करते हैं जबकि वे अपनी जमीन और आजादी को महफूज रखने की कोशिश कर रहे हैं। यह हमारी ताकत का ही गुण है कि वह उनके गुणों को जुर्म और हमारी बुराइयों को हमारा गुण बना देती है।

लेकिन एक चीज ऐसी है, जो इस दुष्टता की पहुंच से परे है और वह है इतिहास का बेमिसाल फैसला। और इतिहास यकीनन हमारे बारे में फैसला करेगा। लेकिन क्या हमें इसकी परवाह है? यह किस तरह का नैतिक स्कीजोफ्रेनिया है जो राष्ट्रीय स्वर (नेशनल वॉयस) के शिखर पर खड़े होकर चिल्ला कर सारी दुनिया को सुनाने की इजाजत देता है कि हम अपने वादों को पूरा कर रहे हैं, जबकि इतिहास का हरेक पन्ना, और अमेरिकी इंडियनों की जिंदगी के पिछले एक सौ वर्षों के प्यास, भुखमरी और जलालत से भरे दिन और रातें इस आवाज का खंडन करती हैं?

marlon brando

ऐसा महसूस होगा कि हमारे इस देश में उसूलों की इज्जत और पड़ोसियों के लिए प्यार नकारा हो गये हैं। और हमने बस इतना किया है और अपनी ताकत से बस यह हासिल किया है कि हम इस दुनिया के नये नये जन्‍मे देशों की उम्मीदों को तबाह कर रहे हैं, अपने दोस्तों और दुश्मनों को भी। कि हम इंसान नहीं हैं और कि हम अपने करारों पर कायम नहीं रहते।

मुमकिन है कि इस वक्त आप खुद से यह कह रहे होंगे कि इन सारी बातों का एकेडमी अवार्डों से क्या लेना-देना है? यहां खड़ी यह औरत क्यों हमारी शाम बर्बाद कर रही है, हमारी जिंदगियों में ऐसी बातों के साथ दखल दे रही है जिनका हमसे कोई सरोकार नहीं है और न ही हम जिनके बारे में कोई परवाह करते हैं। यह हमारा वक्त और पैसा बर्बाद कर रही है और हमारे घरों में घुसपैठ कर रही है।

मुझे लगता है कि इन नहीं पूछे गये सवालों का जवाब यह है कि मोशन पिक्चर कम्युनिटी (फिल्म उद्योग) इंडियनों की दुर्दशा के लिए समान रूप से जिम्मेदार है और यह इंडियनों के चरित्रों का मजाक उड़ाता रहा है। उन्हें पशुओं, विरोधियों और शैतानों के रूप में दिखाता रहा है। इस दुनिया में बच्चों के लिए बड़ा होना काफी मुश्किल है। जब इंडियन बच्चे टीवी देखते हैं और वे फिल्में देखते हैं और जब अपनी नस्ल को फिल्मों में इस तरह दिखाये जाते हुए देखते हैं, तो उनका जेहन इस कदर जख्मी होता है, जिसे हम कभी नहीं जान सकते।

हाल में इस हालत को सुधारने के लिए कुछ डगमगाते हुए कदम उठाये गये हैं, लेकिन वे बेहद डगमाहट से भरे हुए और बेहद कम हैं। इसलिए मैं नहीं सोचता कि इस पेशे का एक सदस्य होते हुए, एक अमेरिकी नागरिक होने की हैसियत से मैं आज की रात यहां यह अवार्ड कबूल कर सकता हूं। मैं सोचता हूं कि इस देश में ऐसे वक्त में अवार्ड कबूल करना और उन्हें देना नाजायज है, जब तक कि अमेरिकी इंडियनों की हालत को बड़े पैमाने पर सुधारा नहीं जाता। अगर हम अपने भाइयों के मुहाफिज नहीं हैं, तो कम से कम हम उनके जल्लाद तो नहीं बनें!

मैं आज रात यहां आपसे सीधे मुखातिब होने के लिए मौजूद होता, लेकिन मैंने महसूस किया कि मैं शायद बेहतर काम कर पाऊंगा अगर मैं वुंडेड नी जाकर अपनी तरफ से हरमुमकिन तरीके से शांति कायम करने में मदद करूं। जब तक नदियां बहेंगी और घास उगा करेगी, वुंडेड नी की घटना तब तक शर्मनाक बनी रहेगी।

मैं उम्मीद करूंगा कि जो लोग सुन रहे हैं, वे इसे एक बदतहजीबी से भरी दखलंदाजी के रूप में नहीं देखेंगे, बल्कि एक ऐसे मुद्दे की तरफ ध्यान ले जाने की एक ईमानदार कोशिश के रूप में लेंगे, जो इस बात को तय करेगा कि आगे इस देश में यह कहने का अधिकार रहेगा कि नहीं कि हम सारे लोगों के आजाद रहने और अपनी जमीन पर, जो जीवंत स्मृतियों से भी बहुत पहले से जिंदगी को सहारा देती आयी हैं, आजादी के साथ रहने के अलग न किये जा सकने वाले अधिकारों में यकीन रखते हैं।

आपकी मेहरबानी के लिए और मिस लिटिलफेदर के प्रति आपकी शिष्टता के लिए शुक्रिया। शुक्रिया और गुड नाइट।

(इससे पहले मोहल्‍ला लाइव की एक पोस्‍ट मर्लन ब्रांडो पर थी, रंगभेद के खिलाफ ऑस्कर ठुकराने वाले मार्लोन को सलाम। यह अनुवाद हाशिया के रास्‍ते हमने हासिल किया है। मूल पाठ यहां है, That Unfinished Oscar Speech)

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