Follow palashbiswaskl on Twitter

ArundhatiRay speaks

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Unique Identity No2

Please send the LINK to your Addresslist and send me every update, event, development,documents and FEEDBACK . just mail to palashbiswaskl@gmail.com

Website templates

Jyoti basu is dead

Dr.B.R.Ambedkar

Sunday, June 16, 2013

ईसीएल और बीसीसीएल को हड़पने की तैयारी,कोलइंडिया भी पीपीपी के हवाले होगा! 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के संबंध में कैबिनेट नोट का मसौदा जारी!

ईसीएल और बीसीसीएल को हड़पने की तैयारी,कोलइंडिया भी पीपीपी के हवाले होगा! 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के संबंध में कैबिनेट नोट का मसौदा जारी!


अभी कोलगेट मामले में सवालों के घेरे में हैं प्रधानमंत्री स्वयं। प्रधानमंत्री कार्यालय जांच के घेरे में है। पूर्व कोयला राज्य मंत्री और राहुल गांधी के खास दोस्त सांसद नवीन जिंदल के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुके हैं। कोलगेट तो महज चुनिंदा कोयला ब्लाकों का मामला है, यहां तो पूरे झरिया रानीगंज कोयलाक्षेत्र को ही निजी कंपनियों के हवाले करने की तैयारी है। यह कौन सा गेट है?तमाम निजी बिजली कंपनियां और राज्य सरकारें कोल इंडिया के एकाधिकार के खिलाफ कारपोरेट रणनीति के तहत ही मुहिम छेड़ रखी है, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार भी शामिल है, जबकि सीसीआई को भी लगता है कि इन आरोपों में कोई दम नहीं है।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​  


ईसीएल और बीसीसीएल को हड़पने की तैयारी और कोलइंडिया भी पीपीपी के हवाले होगा!भारत सरकार ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है और कोयला मंत्रालय भी इसके लिए तैयार है। हालांकि अब भी कोयलामंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल सार्वजनिक तौर पर कोल इंडिया के विभाजन और पुनर्गठन के खिलाफ ही बोल रहे हैं। पर वे अपनी सहमति दे चुके हैं।सरकार कोल इंडिया (सीआईएल) का एकाधितकार खत्म करने के लिए इसे छोटी-छोटी कंपनियों में तोड़ने के लिए तैयार है।दलील यह है कि  इससे इन कंपनियों के बीच प्रतिद्वंद्विता बढ़ेगी ।दूसरी ओर,वित्त मंत्रालय ने कोल इंडिया में बिक्री के लिए पेशकश (ओएफएस) के जरिये 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के संबंध में कैबिनेट नोट का मसौदा जारी किया है। कोल इंडिया में विनिवेश से सरकार को करीब 20,000 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त हो सकता है।


कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवालके मुताबिक अगर विशेषज्ञों को यह सुझाव देश हित में लगता है, तो इस बारे में सोचा जा सकता है। जायसवाल ने कहा कि सरकारी माइंस डिवेलपमेंट और कोयले के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) को बढ़ावा दिया जाएगा, क्योंकि इससे एफिशिएंसी बढ़ेगी। इससे उत्पादन में भी इजाफा होगा और भ्रष्टाचार के आरोप लगने का डर भी खत्म होगा। उन्होंने कहा कि अगले ऑक्शन में ब्लॉक्स की रियल वैल्यू का पता चलेगा।्ब जाहिर सी बात है कि कोल इंडिया के विखंडन के लिए कारपोरेट सुझाव है और उसकी लाबिइंग भी जबर्दस्त है और जाहिर है जिन विशेषज्ञों को निर्णायक बता रहे हैं कोयला मंत्री वे भी कारपोरेट नुमाइंदे होंगे। 24 जून को कोलकाता में कोयला उद्योग से जुड़े श्रमिक संगठनों की बैठक में इन्ही मुद्दों पर वित्तमंत्री चिदंबरम के विनिवेश और सुधार संबंधी बयान के बाद बेमियादी हड़ताल की संभावना है।


कोल इंडिया का असल काम तो खानों के विकास और कोयला खनन दोनों हैं। बिना कोयला खानों के विकास के उत्पादन असंभव है। इसमें शायद ही दो राय होगी कि अब तक के इतिहास के मुताबिक कोलइंडिया की खानों के विकास के मामलों में दक्षता और प्रबंधन दोनों बेहतर हैं। जबकि इसके विपरीत निजी क्षेत्र और दूसरे सरकारी प्रतिष्ठानों को आबंटित कोयला ब्लाकों का विकास वर्षों से नहीं हो रहा है। मसलन, पश्चिम बंगाल सरकार को आबंटित कुल्टी ब्लाक का विकास सात साल से नहीं हो रहा है। निजी क्षेत्र को आबंटित कोयला ब्लाकों का भी यही हाल है। ऐसे में कोल इंडिया को खानों के विकास से बेदखल करके पीपीपी माडल लागू करने की बात समझ में नहीं आती।


जहां तक कोलइंडिया के पुनर्गठन या इसके विभाजन की बात है, इस सिलसिले में यह तो खुला राज है कि इसका असली मकसद ईसीएल और बीसीसीएल को  निजी क्षेत्र को बेच देना है ताकि रानीगंज झरिया कोयला क्षेत्र के कोकिंग कोल बहुल खानों पर निजी कंपनियों का दखल हो जाये।


अभी कोलगेट मामले में सवालों के घेरे में हैं प्रधानमंत्री स्वयं। प्रधानमंत्री कार्यालय जांच के घेरे में है। पूर्व कोयला राज्य मंत्री और राहुल गांधी के खास दोस्त सांसद नवीन जिंदल के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुके हैं। कोलगेट तो महज चुनिंदा कोयला ब्लाकों का मामला है, यहां तो पूरे झरिया रानीगंज कोयलाक्षेत्र को ही निजी कंपनियों के हवाले करने की तैयारी है। यह कौन सा गेट है?तमाम निजी बिजली कंपनियां और राज्य सरकारें कोल इंडिया के एकाधिकार के खिलाफ कारपोरेट रणनीति के तहत ही मुहिम छेड़ रखी है, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार भी शामिल है, जबकि सीसीआई को भी लगता है कि इन आरोपों में कोई दम नहीं है।सीसीआई के डायरेक्टर जनरल ने प्राइसिंग, प्रोडक्शन, फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट्स (एफएसए) और कोयले की क्वालिटी पर खास सवाल उठाए थे। कोल इंडिया ने अपनी सफाई पेश की थी। जांच के बाद डीजी ने यह पाया है कि कोयले की क्वालिटी को छोड़कर दूसरा कोई इश्यू नहीं है।


अंतर-मंत्रालय समूह ने कोल इंडिया में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री को पिछले महीने ही मंजूरी दे दी थी। वर्तमान में, कोल इंडिया में सरकार की 90 प्रतिशत हिस्सेदारी है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि निवेश विभाग ने कोल इंडिया में ओएएफस के जरिये 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के लिए कैबिनेट जारी जारी कर दिया है। हमें अगले महीने की शुरुआत तक मंत्रालयों से टिप्पणियां मिलने की उम्मीद है।इससे पहले, विनिवेश विभाग ने कोल इंडिया को सरकार की इक्विटी की आंशिक पुनर्खरीद करने के लिए कहने की योजना बनाई थी। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि कंपनी ने अपने नकदी भंडार से अनुषंगियों में निवेश किया है और इसलिए उसके पास पुनर्खरीद के लिए पैसा नहीं है।कोल इंडिया की ट्रेड यूनियन कंपनी में विनिवेश का विरोध करती रही है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने पिछले सप्ताह कहा था कि कोयला मंत्रालय मुद्दों को सुलझाने के लिए यूनियन से बातचीत करेगा।


वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि कोल इंडिया लिमिटेड में विनिवेश हमारी उन कंपनियों की सूची में शामिल है जिनमें विनिवेश किया जाना है। मंत्रालय इस संबंध में श्रमिक संघों से बात कर रहा है, क्योंकि विनिवेश के विरोध में कुछ आवाजें उठ रही हैं। हम उन्हें विस्तारपूर्वक मुद्दे से अवगत कराएंगे।


कोयला मंत्री जायसवाल ने कहा है कि एक्सपर्ट्स कोल इंडिया की सब्सिडियरीज को अलग-अलग इंडिपेंडेंट कंपनियों में तोड़ने पर स्टडी कर रहे हैं। इससे इस सेक्टर में होड़ बढ़ेगी। इसी साल सरकार ने कंसल्टेंट्स को इनवाइट किया था कि वे कोल इंडिया का स्ट्रक्चर स्टडी करें और इसमें बदलाव के सुझाव दें। उन्होंने कहा, 'पहले रिपोर्ट आने दीजिए और हमें इसके फायदे पता चलने दीजिए। रिपोर्ट दिसंबर तक आ जाएगी। कई लोग पूछते हैं कि हम कोल इंडिया को कैसे रीस्ट्रक्चर करना चाहते हैं। हम इसकी रीस्ट्रक्चरिंग तभी करेंगे, जब इससे फायदा होगा। यही कारण है कि हम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। इसे लेकर कई सवाल भी हैं। मसलन, क्या सभी सब्सिडियरी को अलग-अलग कंपनी बनाना चाहिए? हमें इसके परिणाम पर नजर डालनी होगी। इसमें असफलता नहीं मिलनी चाहिए। हम रिपोर्ट आने के बाद ही इस बारे में कोई फैसला करेंगे। हमारा मकसद रिफॉर्म है।'


वित्त मंत्री ने कहा कि विनेवश से प्राप्त पूरी राशि का इस्तेमाल बैंकों तथा दूसरे सार्वजनिक उपक्रमों के पुनर्पूजीकरण में किया जाएगा। यदि कोल इंडिया में विनिवेश होता है और इससे मुझे 20,000 करोड़ रुपए प्राप्त होते हैं, तो यह पूरी राशि सार्वजनिक क्षेत्र में ही जाएगी। मैं इस राशि का इस्तेमाल चालू खर्च के लिए नहीं करूंगा।उन्होंने कहा इसलिए मेरी कोल इंडिया की यूनियनों से अपील है कि उन्हें इस तरह की कोई शंका नहीं होनी चाहिए कि हम इस धन का इस्तेमाल दूसरे कार्यों में करेंगे। जो भी प्राप्ति होगी उसे वापस सार्वजनिक उपक्रमों की बेहतरी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में ही इस्तेमाल किया जाएगा।


कोयला मंत्री भी निजी कंपनियों के सुर में सुर मिला रहे हैं, चिदंबरम के ताल पर नाच रहे हैं।जायसवाल के मुताबिक, इसमें शक नहीं कि प्राइवेट सेक्टर की क्षमता पब्लिक सेक्टर के मुकाबले कहीं बेहतर है। हालांकि, वह एक सामाजिक झुकाव वाले प्रजातंत्र में काम करने की बाध्यताओं से बंधे हुए हैं। जायसवाल ने माना कि कोल इंडिया और रेलवे की मनमानी की कई शिकायतें हैं, और दोनों ही मोनोपॉली स्टेटस का फायदा उठा रही हैं।उन्होंने कहा, 'यह नेचरल है क्योंकि आप अकेले सप्लायर हैं और पूरा देश बायर है। आप कोल इंडिया को इसके लिए दोष नहीं दे सकते। इंडियन रेलवे में भी यही हो रहा है। सरकार रेलवे चलाती है और पूरा देश इसमें ट्रैवल करता है। ऐसे में हमें वे सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं, जो मिलनी चाहिए। आज एविएशन में अगर आपको एयर इंडिया पसंद नहीं है, तो आपके पास ऑप्शंस हैं। लेकिन ऐसे सेक्टरों में जहां आपके पास ऑप्शन नहीं हैं, आपको ऐसे ऑप्शन क्रिएट करने चाहिए। कोल ब्लॉक ऐलोकेशन का मकसद कोल इंडिया की बादशाहत खत्म करना था।'


No comments: